ओम जय जगदीश हरे पण्डित श्रद्धाराम फिल्लौरी द्वारा लेखिएको एक हिन्दू धार्मिक गीत हो। यो सर्वोच्च भगवान विष्णुलाई समर्पित छ र अधिकतर विष्णु मन्दिरहरूमा गाइन्छ । धार्मिक भजन हिन्दी भाषाको रचना भएता पनि यसलाई सनातनहरूले व्यापक रूपमा गाइन्छ। सत्य सनातन पूजाको एक रूप आरतीको समयमा सम्पूर्ण मण्डलीद्वारा प्रार्थना गाइन्छ।

हिन्दी नेपाली

ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे

भक्त जनों के संकट

दास जनों के संकट

क्षण में दूर करे

ॐ जय जगदीश हरे

जो ध्यावे फल पावे

दुख बिनसे मन का

स्वामी दुख बिनसे मन का

सुख संपत्ती घर आवे

सुख संपत्ती घर आवे

कष्ट मिटे तन का

ॐ जय जगदीश हरे

मात पिता तुम मेरे

शरण गहूँ मैं किसकी

स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी

तुम बिन और न दूजा

तुम बिन और न दूजा

आस करूँ मैं किसकी

ॐ जय जगदीश हरे

तुम पूरण परमात्मा

तुम अंतर्यामी

स्वामी तुम अंतर्यामी

पारब्रह्म परमेश्वर

पारब्रह्म परमेश्वर

तुम सब के स्वामी

ॐ जय जगदीश हरे

तुम करुणा के सागर

तुम पालनकर्ता

स्वामी तुम पालनकर्ता

मैं मूरख खल कामी

मैं सेवक तुम स्वामी

कृपा करो भर्ता

ॐ जय जगदीश हरे

तुम हो एक अगोचर

सबके प्राणपति

स्वामी सबके प्राणपति

किस विधि मिलूँ दयामय

किस विधि मिलूँ दयामय

तुमको मैं कुमति

ॐ जय जगदीश हरे

दीनबंधु दुखहर्ता

ठाकुर तुम मेरे,

स्वामी ठाकुर तुम मेरे

अपने हाथ उठाओ,

अपने शरण लगाओ

द्वार पड़ा तेरे |

ॐ जय जगदीश हरे

विषय विकार मिटाओ

पाप हरो देवा

स्वमी पाप हरो देवा

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ

संतन की सेवा

ॐ जय जगदीश हरे

तन मन धन

सब कुछ है तेरा

स्वामी सब कुछ है तेरा

तेरा तुझ को अर्पण

तेरा तुझ को अर्पण

क्या लागे मेरा

ॐ जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे

स्वामी जय जगदीश हरे

भक्त जनों के संकट

दास जनों के संकट

क्षण में दूर करे

ॐ जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे, प्रभु जय जगदीश हरे।

प्रभू का चरण उपाशक, हरि का चरण उपाशक।

कति कति पार तरे, ॐ जय जगदीश हरे।

मनको थाल मनोहर, प्रेम रूप बाती, प्रभु प्रेम रूप बाती।

भाब कपुर छ मंगल, भाब कपुर छ मंगल।

अारती सब भाती, ॐ जय जगदीश हरे।

नित्य नीरंजन निर्मल कारण अबिनाशी, प्रभु कारण अबिनाशी।

सरण गत प्रति पालक, सरण गत प्रति पालक।

चिन्मय सुख राशी, ॐ जय जगदीश हरे।

श्रिष्टि स्थिती लय कर्ता, त्रिभुवनका स्वामी, प्रभु त्रिभुवनका स्वामी।

भक्ति सुधा बर्साउ, प्रेम सुधा बर्साउ।

सरण प-याैँ हामी, ॐ जय जगदीश हरे।

आँशु र भाव निबारक, तारक सुख दाता, प्रभु तारक सुख दाता।

गुण अनु रुप तिमी हाै, गुण अनु रुप तिमी हाै।

हरि हर हौ धाता, ॐ जय जगदीश हरे।

यूग यूग पालना गर्छाै, अगणित रुप धरी, प्रभु अगणित रुप धरी।

लिला मय रस बिग्रह, लिला मय रस बिग्रह।

करुणा मुर्ति हरि, ॐ जय जगदीश हरे।

समदा शान्ति प्रदायक, सज्जन हितकारी, प्रभु सज्जन हितकारी।

चरण सरण अब पाँउ, चरण सरण अब पाँउ।

प्रभु भब भय हारी, ॐ जय जगदीश हरे।

भाब मनाेहर, देउ सादक फलदायी, प्रभु देउ सादक फलदायी।

जिवन धन्य बनोस प्रभु, जिवन धन्य बनोस प्रभु।

प्रभु पद सेवा पाई, ॐ जय जगदीश हरे।

संयम सुर सरिताको, अविरल धाराबहोस, प्रभु अविरल धाराबहोस।

जति जति जन्म भए पनि, जहाँ जहाँ जन्म भए पनि।

प्रभुमा प्रेम रहोस, ॐ जय जगदीश हरे।

प्रेम सहित शुभ आरति, जसले नित्य ग-यो, प्रभु जसले नित्य ग-यो ।

दिन दिन निर्मल बन्दै, प्रति दिन पावन बन्दै।

त्यो भब सिन्दू त-यो, ॐ जय जगदीश हरे।