"सूर्यग्रहण" का संशोधनहरू बिचको अन्तर

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धेरै जसो चन्द्रमाले सूर्यको केही भागलाई मात्र छेक्दछ । यो स्थितिलाई खण्डग्रास-ग्रहण भनिन्छ । कहिले कहीं मात्र चन्द्रमाले सूर्यलाई पूरा छेक्दछ । यसलाई पूर्ण-ग्रहण अथवा खग्रास ग्रहण भनिन्छ । पूर्ण-ग्रहण धर्तीको धेरै कम क्षेत्रमा मात्र देख्न सकिन्छ । धेरैमा धेरै दुई सय पचास (२५०) किलोमीटरको सम्पर्कमा मात्र पूर्ण ग्रहण देख्न सकिन्छ । यस क्षेत्र भन्दा बाहिर खण्ड-ग्रहण मात्र देखिन्छ । पूर्ण-ग्रहणको समयमा चन्द्रमालाई सूर्यको अगाडीबाट जानमा दुई घण्टाको समय लाग्दछ । चन्द्रमाले सूर्यलाई धेरैमा धेरै, सात मिनटसम्म पुरा छेक्दछ । यसमा केही समयको लागी आकाशमा अँधेरो हुन जान्छ, या दिनमा रात हुन्छ ।
 
== ज्योतिष विज्ञानविज्ञानका की दृष्टि सेदृष्टिले सूर्य ग्रहण ==
[[ग्रहण]] प्रकृ्ति काप्रकृ्तिको एक अद्भुत चमत्कार है।हो । [[ज्योतिष]]का केदृष्टिकोणले दृष्टिकोणहेर्ने सेहो यदि देखा जाए तोभने अभूतपूर्व अनोखा, विचित्र ज्योतिष ज्ञान, [[ग्रह]] और उपग्रहोंउपग्रहरूको की गतिविधियाँगतिविधि एवं उनकाउनिहरूको स्वरूप स्पष्ट करतागर्दछ है। सूर्य ग्रहण (सूर्योपराग) तब होता है, जब सूर्य आंशिक अथवा पूर्ण रूप सेरूपले चन्द्रमा द्वारा आवृ्त (व्यवधान / बाधा) होभएको जाए।बेला इसपर्दछ प्रकार केयस ग्रहणप्रकारका केग्रहणको लिएलागी चन्दमा काचन्दमादाई पृथ्वी और सूर्यसूर्यको केबीचमा बीच आनाआउनु आवश्यक है। इससे पृ्थ्वीयसमा परपृ्थ्वीमा रहनेरहनेहरूलाई वाले लोगों को सूर्य कासूर्यको आवृ्त भाग नहीं दिखाई देतादेखिन्न है।
* सूर्यग्रहण होनेहुनाको के लिएलागि निम्न शर्तेकुराहरू पूरीपूरा होनीहुनु आवश्यक है।छ ।
# अमावस्या होनी चाहिये।
# चन्दमा का रेखांश राहू या केतु के पास होना चाहिये।
# चन्द्रमा का अक्षांश शून्य के निकट होना चाहिए।<ref>{{cite web |url=http://astrobix.com/indian_festivals/surya_grahan/Suryagrahan_When_Why_How.aspx |title=सूर्यग्रहण कब, क्यों और कैसे ? |accessmonthday= |accessyear= |last= |first= |authorlink= |format=ए.एस.पी |publisher=सूर्य ग्रहण |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
 
उत्तरी ध्रुव को दक्षिणी ध्रुव से मिलाने वाली रेखाओं को रेखांश कहा जाता है तथा भूमध्य रेखा के चारो वृ्ताकार में जाने वाली रेखाओं को अंक्षाश के नाम से जाना जाता है। सूर्य ग्रहण सदैव अमावस्या को ही होता है। जब चन्द्रमा क्षीणतम हो और सूर्य पूर्ण क्षमता संपन्न तथा दीप्त हों। चन्द्र और [[राहू ग्रह|राहू]] या [[केतु ग्रह|केतु]] के रेखांश बहुत निकट होने चाहिए। चन्द्र का अक्षांश लगभग शून्य होना चाहिये और यह तब होगा जब चंद्र रविमार्ग पर या रविमार्ग के निकट हों, सूर्य ग्रहण के दिन सूर्य और चन्द्र के कोणीय व्यास एक समान होते हैं। इस कारण चन्द सूर्य को केवल कुछ मिनट तक ही अपनी छाया में ले पाता है। सूर्य ग्रहण के समय जो क्षेत्र ढक जाता है उसे पूर्ण छाया क्षेत्र कहते हैं।
 
== प्रकार ==
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