बैतडेली भाषा
बैतडी जिल्ला मा बोलिने स्थानीय भाषालाई बैतडेलि भाषा भनिन्छ । यो भाषा नेपाली (खस ) भाषाभन्दा फरक रहेको पाइन्छ । यहाँका स्थानिय बासिन्दाहरू एक आपसमा कुरा गर्दा आप्नै भाषा बोल्ने गर्दछन् । यहाँ स्थानिय रूपमा प्रयोगमा आउने केही शब्दहरू सङ्कलन गरी त्यसको नेपालिमा अर्थ लगाइएको छ ।नेपालको इतिहास हेर्ने हो भने नेपाली भाषा यस भाषाबाट साभार भएको हो।यो भाषा लाई सुदुरपश्चिमका ९ वटा जिल्ला अनि रुकुम जस्ता पश्चिम जिल्ला मा पनि बोलिन्छ।
बैतडेली भाषा र नेपाली भाषामा फरक
सम्पादन गर्नुहोस्बैतडा भाषा | नेपाली भाषा |
जनजाइ | नजानुहोस् |
नाइथिन | छैन |
बेलि | हिजो |
बासा | साँझ |
द | एऽऽ |
जनबसै | नबस्नुहोस् |
झिक्क, मैथ | धेरै |
नानो | सानो |
कैखाइ | कसलाई |
नान | अलिकती |
कैको | कसको |
ब्यानल | बिहान |
धइ | खै |
नानका | साना साना |
ठौर | ठाउँ |
पोरु | अस्ति |
बौजु | भाउजु |
काकी | कान्छी आमा |
गोसि | देवर/नन्द |
पुसाइ | फुपाजु |
काजी | भाइ /बहिनी |
जत्काल | सुत्केरी |
चेलो | छोरा |
चेली | छोरी |
तम | तपाईँ /तिमी |
तलि | तल |
आँसि | हँसिया |
तिखुन | बन्चरो |
बेल्चो | साबेल |
बौसो | कुटो |
मल्लो | माथिल्लो |
रुप्या | रुपियाँ |
जतरा | जाँतो |
धुलो | पिठो |
बिल्लो | बिरालो |
बल्लु | गोरु |
ठण्णो | चिसो |
झगुलो | फ्रग |
इजा | आमा |
कइंसि | सानी आमा |
बुनु | बाली छर्नु |
बर्यात | बिहे |
बैकान | पुरुष |
बैकिनी | महिला |
स्याणी | स्वास्नी |
मान्सु | मान्छे |
निका | आराम |
छकला | दिउसो |
पटकन | आगन |
उइले | उसले |
बोलईजन | नबोल |
उनरो | उनको |
किभ्यो | केभो |
जनगरै | नगर |
निको | राम्रो |
ढकना | तल |
टुपा | माथी |
मुल्या | टुहुरा |
बाकारा | बाख्रा |
भोज्या/कद | फर्सी |
डा | खुर्सानी |
छन्चर बार | शनिबार |
छाच | मोहि |
धिनाली | दही |
केला | केरा |
बौस्या | लोग्ने |
कटौरा/बेल्या | कचौरा |
गाड | खोलो |
जोड़ो | जुम्रा |
सीनू | सुत्नु |
थेल्वा | बेलना |
जेउडो | डोरी/नाम्लो |
माल | ढोका |
काठो | भिर |
भुइसो | भैंसी |
तोख्या | तिमिसङ्ग |
आसि | हसिया |
कानो | अन्धो |
दोकान | पसल |
थेल्का | कपडा |
कसणो | लोटा |
| गौ ||गहु |सिलो || सिलौटो
यो भाषाको उत्पत्ति
सम्पादन गर्नुहोस्बैतडेलि भाषाको उत्पत्तिको कुन समयदेखि भएको हो त्यसको कुनै ठोस प्रमाण नभएपनी परपुर्वकालदेखिनै बोलिदै आएको मानिन्छ । बैतडी जिल्ला भारत सँग जोडिएको हुदा भारतको कुमाउँ, गढवाल तिरको कुमाउनी भाषासँग मिल्दोजुल्दोरहेको छ ।इतिहास हेर्ने हो भने यो भाषा पहिले नेपाल भरि नै बोलिने बिस्वास गरिन्छ र यसलाई परिवर्तन गरी नेपाली बनाइएको उल्लेख गरिएको छ।