शेर्पा भाषा
शेर्पा भाषा (ཤར་པའི་སྐད་ཡིག, Wylie: shar pa'i skad yig, अंग्रेजी: Sherpa Language [१]), नेपालमा बोलिने एक प्रमुख भाषा हो। विशेष गरी यो भाषा शेर्पा समुदायको बस्ती रहेका ठाँउमा बोलिन्ने भएकोले नेपालको हिमाली भेगमा यो भाषा निकै प्रचलित छ। यो शेर्पा समुदायको आफ्नो अलगै भाषा हो, जसलाई हामी शेर्पा भाषा भन्ने गर्दछौँ। शेर्पा जातिहरूको आफ्नो छुट्टै भाषा विकास भएको छ। यो भाषाको शुद्ध उच्चारण गर्नु सक्ने लिपि भनेको सम्भोट लिपि हो। जुन प्रकारले संस्कृत, पाली, हिन्दी, नेपाली, भोजपुरी आदि भाषाहरूमा देवनागरी लिपिको प्रयोग गरिन्छ। त्यसै गरी तिब्बती, शेर्पा, लद्दाखी, भुटानी, भोटे आदिका भाषाहरूमा सम्भोट लिपिको प्रयोग गर्ने गर्दछ।[३][४]
शेर्पा भाषा | |
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शर्वी तम्ञाद् ཤར་པའི་གཏམ་སྙད། ཤར་པའི་སྐད་ཡིག | |
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मूलभाषी | नेपाल र भारत |
क्षेत्र | नेपाल, सिक्किम, तिब्बत |
रैथाने(हरू) | शेर्पा |
मातृभाषी वक्ता | १७०,००० |
सिनो-तिब्बती
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सम्भोट लिपि, देवनागरी | |
सरकारी दर्जा | |
आधिकारिक भाषा | ![]() ![]() |
भाषा सङ्केतहरू | |
आइएसओ ६३९-३ | xsr |
ग्लोटोलग | sher1255 [२] |
![]() युनेस्को द्वारा शेर्पा भाषालाई कमजोर वर्गमा राखिएको छ। खतरामा विश्वका भाषाहरूको एटलस |
शेर्पा भाषाको इतिहाससम्पादन
शेर्पा जातिको इतिहासमा समय र परीस्थितिले जतिनै हेरफेर ल्याएपनि शेर्पा भाषामा खासै परिवर्तन नभएको कारण आजसम्म शेर्पा समुदायले आफ्नै धर्म र संस्कृतिलाई जोगाउन सफल भएको देखिन्छ। मौखिकमा बोल्ने शैली फरक भएपनि लिखितमा सम्भोट लिपि र त्यसमा आधारित व्याकरणको नियम भएको हुनले लिखित भाषामा ९०% प्रतिशत सामान्य तिब्बती भाषा र १०% प्रतिशत प्राचीन तिब्बती भाषा लेखेको पाईन्छ। शेर्पाको मातृभाषा भोट बर्मेली भाषा बोल्नेको समूहमा पर्छ र, नेपालमा यो भाषा प्राय सगरमाथा अञ्चलको सोलुखुम्बु र जनकपुर अञ्चलको दोलखा जिल्ला, रामेछाप जिल्ला, बागमती अञ्चलको उत्तर-पुर्व सिन्धुपाल्चोक जिल्ला आदिमा प्रचलित रहेकोछन्।
मूल लिपिसम्पादन
शेर्पा भाषाको लिपिहरू "यअङ्" अर्थात् स्वर वर्ण र "सलज्येद" अथवा व्यंजन वर्ण गरी दुई भागमा विभाजन गरिन्छ। तिब्बती व्याकरणमा विद्वानहरूका आफ्नो आफ्नै विशेष मत भएको कारण यस विभाजनको बारेमा पनि सक्या पण्डित[५], पल्खङ लोचावा[६] र याङ्चन ड्रुब्पयी दोर्जे[७] आदिले ཨ་ཨི་ཨུ་ཨེ་ཨོ། पाँचवटा स्वर वर्ण र ཀ་ཁ་ག་ང་། ཅ་ཆ་ཇ་ཉ། ཏ་ཐ་ད་ན། པ་ཕ་བ་མ། ཙ་ཚ་ཛ་ཝ། ཞ་ཟ་འ་ཡ། ར་ལ་ཤ་ས། ཧ། गरी उनन्तीसवटा व्यंजन वर्णमा छुटाएको अनुसार व्याकरणको नियममा सही भएपनि तिब्बती व्याकरणको मूल लेखक थोन्मि सम्भोटले रचना गर्नु भएको व्याकरण मूलत्रिंशत् नाम[८] मा ཨི་ཨུ་ཨེ་ཨོ། चारवटा स्वर वर्ण र ཀ་ཁ་ག་ང་། ཅ་ཆ་ཇ་ཉ། ཏ་ཐ་ད་ན། པ་ཕ་བ་མ། ཙ་ཚ་ཛ་ཝ། ཞ་ཟ་འ་ཡ། ར་ལ་ཤ་ས། ཧ་ཨ། गरी तीस वटा व्यंजन वर्णमा विभाजन गरिएको छ।
लिपि उच्चारणसम्पादन
अक्षरको आठवटा उच्चारण-स्थानसम्पादन
अक्षरको उच्चारण-स्थानलाई शेर्पा भाषामा ཡི་གེའི་སྐྱེ་གནས། (Wylie: yi ge'i skye gnas) यिगेयी क्येनस भनिन्छ। जुनै पनि भाषाको राम्रो बोलचाल अथवा बोलाईको शैली माथि सम्बन्धित लिपिको उच्चारणका ठुलो भरपर्ने भएको हुनले, शेर्पा भाषाको राम्रो बोलचाल हुनुको लागि सम्भोट लिपिको विशेष उच्चारण कसरी गर्नु पर्ने बारे ज्ञान हुनु पर्दछ। यहाँ सम्भोट लिपिको उच्चारणको लागि १. उदरम् २. कण्ठ ३. जिब्रो ४. तालु ५. मूर्धा ६. दन्त ७. नासिका ८. ओष्ठ गरी आठवटा उच्चारण-स्थानहरू रहेका छन्।
अक्षरका आठ उच्चारण-स्थान ཡི་གེའི་སྐྱེ་གནས་བརྒྱད། | |||||||
१ | २ | ३ | ४ | ||||
उदरम् | ཁོག་པ། | कण्ठ | མགྲིན་པ། | जिब्रो | ལྕེ། | तालु | རྐན། |
५ | ६ | ७ | ८ | ||||
मूर्धा | སྤྱི་བོ། | दन्त | སོ། | नासिका | སྣ། | ओष्ठ | མཆུ། |
स्वर वर्ण एवं उच्चारण-स्थानका परिचायसम्पादन
व्यंजन वर्ण एवं उच्चारण-स्थानका परिचायसम्पादन
शेर्पा भाषामा गणना गर्ने तारिकसम्पादन
शेर्पा भाषामा गिन्ती गर्दा बीस देखि हरेक सङ्ख्याको अगाडि खल भन्ने शब्द जोडिन्छ। “खल” भनेको प्राचीन कालमा शेर्पा पुर्खाहरूले व्यापार गर्दा मापनमा प्रयोग गर्ने साधन हुन। यसमा “रु-खल” र “देग-खल” भनेर दुई प्रकारका खलहरू हुन्छन् र यी दुई खल मध्ये रु-खलको उपयोग मात्राको मापनमा गर्छ भने अर्को देग-खल को प्रयोग वजन नाप्नमा गरेको पाइन्छ। एक रु-खलमा जम्मा बीस “ड्रे” र देग-खल मा बीस “ञगा” हुन्छन्, त्यसै कारण बीस लाई शेर्पा भाषामा खल-चिग, चालीस लाई खल-ञि, साठी लाई खल-सुम, असी लाई खल-जी र सय लाई खल-ङा भनेर गिन्ती गर्दछ। तर आजकाल ज्यादातरले खलको मतलब नबुझेको हुँदा कतिपया शेर्पाहरूले यसलाई खल-ञि भन्दा बीस, खल-सुम भन्दा तीस, खल-जी भन्दा चालीस र खल-ङा भन्दा पचास आदिमा बुझ्ने गरेको गल्तीहरू प्रशस्त देख्छन्। यसै त्रुटिहरूको माध्यमबाट शेर्पाहरूले एक सय लाई “सय-चिग” र दुई सय लाई “सय-ञि” भनेर नेपाली र शेर्पा मिश्रित भाषामा गिन्ती गर्नु पर्ने बत्यता पनि खल-ङा को मतलब पचास हो भन्ने जस्ता गलत अर्थको कारण बाटै भएको भेटिन्छ। यो गल्ती सन २००६ मा छिरी तेन्डी शेर्पा द्वारा प्रकाशित SHERPA CONVERSATION AND BASIC WORDS[९] भन्ने शीर्षक भएको किताबको पृष्ठ सं १७०-१७१ मा पनि दोहराइएको पाइन्छ।
शेर्पा | नेपाली | अंग्रेजी | शेर्पा | नेपाली | अंग्रेजी | शेर्पा | नेपाली | अंग्रेजी |
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གཅིག | चिग | 1 | ཁལ་གཅིག་དང་གཅིག | खल्चिग दङ् चिग | 21 | ཁལ་ཉི་ཤུ། | खल ञि-शु | 400 |
གཉིས། | ञि | 2 | ཁལ་གཅིག་དང་གཉིས། | खल्चिग दङ् ञि | 22 | ཁལ་ཉི་ཤུ་དང་ལྔ། | खल ञि-शु दङ् ङा | 500 |
གསུམ། | सुम | 3 | ཁལ་གཅིག་དང་གསུམ། | खल्चिग दङ् सुम | 23 | ཁལ་སུམ་ཅུ། | खल सुम्चु | 600 |
བཞི། | जी | 4 | ཁལ་གཅིག་དང་བཞི། | खल्चिग दङ् जी | 24 | ཁལ་སུམ་ཅུ་དང་ལྔ། | खल सुम्चु दङ् ङा | 700 |
ལྔ། | ङा | 5 | ཁལ་གཅིག་དང་ལྔ། | खल्चिग दङ् ङा | 25 | ཁལ་བཞི་བཅུ། | खल जिब्चु | 800 |
དྲུག | ड्रुग् | 6 | ཁལ་གཅིག་དང་དྲུག | खल्चिग दङ् ड्रुग् | 26 | ཁལ་བཞི་བཅུ་དང་ལྔ། | खल जिब्चु दङ् ङा | 900 |
བདུན། | दुन | 7 | ཁལ་གཅིག་དང་བདུན། | खल्चिग दङ् दुन | 27 | ཁལ་ལྔ་བཅུ། | खल ङब्चु | 1000 |
བརྒྱད། | ग्यद | 8 | ཁལ་གཅིག་དང་བརྒྱད། | खल्चिग दङ् ग्यद | 28 | |||
དགུ། | गु | 9 | ཁལ་གཅིག་དང་དགུ། | खल्चिग दङ् गु | 29 | |||
བཅུ་ཐམ་པ། | चुथम्पा | 10 | ཁལ་གཅིག་དང་བཅུ་ཐམ་པ། | खल्चिग दङ् चुथम्पा | 30 | |||
བཅུ་གཅིག | चुचिग | 11 | ཁལ་གཉིས། | खल ञि | 40 | |||
བཅུ་གཉིས། | चु-ञि | 12 | ཁལ་གཉིས་དང་བཅུ་ཐམ་པ། | खल ञि दङ् चुथम्पा | 50 | |||
བཅུ་གསུམ། | चुब्सुम | 13 | ཁལ་གསུམ། | खल सुम | 60 | |||
བཅུ་བཞི། | चुब्जी | 14 | ཁལ་གསུམ་དང་བཅུ་ཐམ་པ། | खल सुम दङ् चुथम्पा | 70 | |||
བཅོ་ལྔ། | चोङा | 15 | ཁལ་བཞི། | खल जी | 80 | |||
བཅུ་དྲུག | चुड्रुग | 16 | ཁལ་བཞི་དང་བཅུ་ཐམ་པ། | खल जी दङ् चुथम्पा | 90 | |||
བཅུ་བདུན། | चुब्दुन | 17 | ཁལ་ལྔ། | खल ङा | 100 | |||
བཅོ་བརྒྱད། | चोब्ग्यद | 18 | ཁལ་ལྔ་དང་གཅིག | खल ड्रुग् दङ् चिग | 121 | |||
བཅུ་དགུ། | चुद्गु | 19 | ཁལ་བཅུ་ཐམ་པ། | खल चुथम्पा | 200 | |||
ཉི་ཤུ། / ཁལ་གཅིག | ञि-शु / खल्चिग | 20 | ཁལ་བཅོ་ལྔ། | खल चोङा | 300 |
शब्दकोशसम्पादन
- ཤར་པའི་ཚིག་མཛོད་ཀུན་གསལ་མེ་ལོང་།
- ཤར་པའི་གཏམ་སྙད་ཚིག་མཛོད།
शेर्पा भाषा साहित्यसम्पादन
शेर्पा भाषाको सञ्चारहरूसम्पादन
सन्दर्भ सामग्रीहरूसम्पादन
- ↑ "50th Report of the Commissioner for Linguistic Minorities in India", १६ जुलाई २०१४, पृ: १०९, मूलबाट २ जनवरी २०१८-मा सङ्ग्रहित, अन्तिम पहुँच ६ नोभेम्बर २०१६।
- ↑ Hammarström, Harald; Forkel, Robert; Haspelmath, Martin, सम्पादकहरू (२०१७), "Solu-Khumbu Sherpa", Glottolog 3.0, Jena, Germany: Max Planck Institute for the Science of Human History।
- ↑ ब्रह्मदण्ड नामक शेर्पा इतिहास, लेखक: लामा सङग्यस् तन्जीन शेर्पा | नेपाली अनुवादक: आचार्य ङ्गवाङ वोशेर लामा शेर्पा | वि.स. २०५८ मा नेपाल शेर्पा सङ्घ द्वारा प्रकाशित
- ↑ शेर्पाहरूको इतिहास र संस्कृति, लेखक: आचार्य ङ्गवाङ वोशेर लामा शेर्पा | वि.स. २०५८ मा नेपाल शेर्पा सङ्घ द्वारा प्रकाशित
- ↑ Biography of Sakya Pandita | http://treasuryoflives.org/biographies/view/Sakya-Pandita-Kunga-Gyeltsen/2137
- ↑ ངག་སྒྲོན་རྩ་འགྲེལ་དང་དེའི་ཡང་འགྲེལ། | http://www.tbrc.org/eBooks/W28834-5781-1-566-any.pdf
- ↑ རྟགས་ཀྱི་འཇུག་པའི་སྙིང་པོའི་དོན་མདོ་ཙམ་བརྗོད་པ་དཀའ་གནད་གསལ་བའི་མེ་ལོང་། | http://www.tbrc.org/eBooks/W22334-3867-189-198-any.pdf
- ↑ ལུང་དུ་སྟོན་པའི་རྩ་བ་སུམ་ཅུ་པ། | http://www.tbrc.org/eBooks/W1PD95844-I1PD95960-432-436-abs.pdf
- ↑ http://sherwa.de/language/sh_eng.pdf