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'''शेख अबु अल-फैज''', प्रचलित नाम:'''फैजी''' (२४ सितंबर १५४७, [[आगरा]]–५ अक्टोबर, १५९५, [[लाहौर]])<ref name="orsini">{{cite book|last=ओर्सिनी|first=फ्रांन्सेस्का (संपा.)|title=लव इन साउथ एसिया: अ कल्चरल हिन्स्ट्री|publisher=कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय प्रेस|location=कैम्ब्रिज|year=२००६|series=|pages=११२-११४|isbn=0521856787|url=http://books.google.co.in/books?id=kWG6wH4lDqUC&pg=PT127&dq=Love+in+South+Asia:+a+cultural+history+By+Francesca+Orsini+Notes+on+Faizi&lr=&ei=-MRBS4iqFojokASYi7moAQ&cd=1#v=onepage&q=&f=false}}</ref> मध्यकालीन भारतको फारसी कवि थियो। १५८८ मा त्यो अकबरको मलिक-उश-शु‘आरा (विशेष कवि) बन्यो थियो।<ref name=ain1>ब्लॉक्मैन, एच. (ट्र.) (१९२७, पुनर्मुद्रण १९९३)। ''द आइन-ए-अकबरी बाय अबुल-फज्ल अल्लामी'', खण्ड-१, कलकत्ता:द एसियाटिक सोसायटी, पृ. ५४८-५०</ref> फैजी [[अबुल फजल]] का बडा भाई था। सम्राट [[अकबर]] ने उसे अपने बेटे के गणित शिक्षक के पद पर नियुक्त किया था। बाद में अकबर ने उसे अपने [[अकबर के नवरत्न|नवरत्नों]] में से एक चुना था। फैजी के पिता का नाम शेख मुबारक नागौरी था। ये [[सिन्ध]] के सिविस्तान, सहवान के निकट रेल नामक स्थान के एक सिन्धी शेख, शेख मूसा की पांचवीं पीढी से थे। यिनको जन्म [[आगरा]]मा ९५४ हि. (१५४७ ई.)मा भयो। पूरी शिक्षा आफ्नो पिता देखि प्राप्त गर्यो। शेख मुबारक सुन्नी, शिया, महदवी सबै भन्दा सहानुभूति राखथे। फैजी तथा अबुल फजल त्यहि दृष्टिकोणको कारण [[अकबर]]को राज्यकालमा सुलह कुल (धार्मिक सहिष्णुता)को नीतिको स्पष्ट रूप दे सके। [[हुमायूँ]]को पुन: हिंदुस्तानको राज्य प्राप्त गरेर लागि पछि ईरानको अनेक विद्वान भारत पहुँचे। उनि शेख मुबारकको मदरसे, [[आगरा]]मा पनि आए। फैजीको उनको विचारै देखि अवगत भएको अवसर मिलयो।
९७४ हि. (१५६७ ई.)मा फैजी शाही दरबारको कवि बने, तर अझै सम्म धार्मिक विषयहरूमा अकबरले
==कार्य==
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