"हिन्दु वर्ण व्यवस्था" का संशोधनहरू बिचको अन्तर
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[[श्रीमद्भगवद्गीता]] अध्याय १८मा यस विभाजनको विवरण निम्नलिखित छ<ref>श्रीमद्भगवद्गीता, १८.४१–४५</ref>–
▲* दानमीश्वरभावश्च क्षात्रं कर्म स्वभावजम् ।।४३।
* कृषि गौरक्ष्यवााणज्यं वैश्यकर्म स्वभावजम् ।
* परिचर्यात्मकं कर्म शूद्रस्यापि स्वभावजम् ।।४४।।
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