"शेर्पा जाति" का संशोधनहरू बिचको अन्तर

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चिनो: २०१७ स्रोत सम्पादन
पङ्क्ति १:
{{Infobox ethnic group
 
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*[[सोलुखुम्बु]], [[रामेछाप]], [[दोलखा]], [[संखुवासभा]], [[सिन्धुपाल्चोक जिल्ला|सिन्धुपाल्चोक]], [[इलाम जिल्ला|इलाम]], [[सुनसरी जिल्ला|सुन्सरी]], [[ओखलढुङ्गा]], [[उदयपुर]], [[भोजपुर]], [[काठमाण्डौं]] उपत्यका
 
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'''शेर्पा जाति''' ([[शेर्पा भाषा]]: {{bo-textonly|ཤར་པའི་མི་རིགས།}}, [[वयली लिप्यन्तरण|वयली]]: shar pa'i mi rigs) नेपालका उच्च हिमाली क्षेत्र र तिब्बतमा बासोबास गर्ने [[जातिगत]] समूह हुन्। [[शेर्पा भाषा]]मा "शरपा" अथवा "शरवा" को मतलब पूर्वी निवासी भनेको हो जुन शब्द [[सम्भोट लिपि]]मा लेखिएका शेर्पा इतिहास हरूमा ([[शेर्पा भाषा]]: {{bo-textonly|ཤར་པ།}}, [[वयली लिप्यन्तरण|वयली]]: shar pa) भएपनि देवनागरी र अंग्रेजी लिपिमा शेर्पा भनेर लेख्ने गरिएको छ। शेर्पाहरू पूर्वी तिब्बतबाट १८ देखि१९ शताब्दीको बीचमा आफ्नो ठाउँ छाडी नेपालको पूर्वी क्षेत्र [[सोलुखुम्बु जिल्ला]]मा बसाईँ सरेर आएको भन्ने कुरो '''शेर्पाहरूको इतिहास र संस्कृति''' नामक पुस्तकमा उल्लिखित छ। धेरैजस्तो शेर्पाहरू नेपालको पूर्वी भागमा बस्छन्, तर कोही रोल्वालिङ्ग उपत्यका तथा हेलम्बु सम्म पनि बसेको पाइन्छ। पङ्पोछे नेपालका शेर्पाहरूको सबै भन्दा पुरानो गाउँ हो। शेर्पा भाषा भोट-बर्मेली भाषा परिवारको दक्षिणी हाँगो मानिन्छ। तर यो भाषा तिब्बती भाषा संग केहि मात्रमा मिल्दो जुल्दो छ तर पनि धेरै भाषा तिब्बतीहरू संग मिल्दैनन्।<ref>http://www.bergadventures.com/v3_main/Sherpa-Story1.php</ref>
'''शेर्पा जाति''' ([[शेर्पा भाषा]]: {{bo-textonly|ཤར་པའི་མི་རིགས།}}, [[वयली लिप्यन्तरण|वयली]]: shar pa'i mi rigs) नेपालका उच्च हिमाली क्षेत्र र तिब्बतमा बासोबास गर्ने [[जातिगत]] समूह हुन्। [[शेर्पा भाषा]]मा "शरपा" अथवा "शरवा" को मतलब पूर्वी निवासी भनेको हो जुन शब्द [[सम्भोट लिपि]]मा लेखिएका शेर्पा इतिहास हरूमा ([[शेर्पा भाषा]]: {{bo-textonly|ཤར་པ།}}, [[वयली लिप्यन्तरण|वयली]]: shar pa) भएपनि देवनागरी र अंग्रेजी लिपिमा शेर्पा भनेर लेख्ने गरिएको छ। शेर्पाहरू पूर्वी तिब्बतबाट १८ देखि१९ शताब्दीको  बीचमा आफ्नो ठाउँ छाडी नेपालको पूर्वी क्षेत्र [[सोलुखुम्बु जिल्ला]]मा बसाईँ सरेर आएको भन्ने कुरो '''शेर्पाहरूको इतिहास र संस्कृति''' नामक पुस्तकमा उल्लिखित छ। धेरैजस्तो शेर्पाहरू नेपालको पूर्वी भागमा बस्छन्, तर कोही रोल्वालिङ्ग उपत्यका तथा हेलम्बु सम्म पनि बसेको पाइन्छ। पङ्पोछे  नेपालका शेर्पाहरूको सबै भन्दा पुरानो गाउँ हो। शेर्पा भाषा भोट-बर्मेली भाषा परिवारको दक्षिणी हाँगो मानिन्छ। यो भाषा तिब्बती भाषा सँग लगभग मिल्दो जुल्दो छ तर बोल्ने शैलीले निकै फरक पनि देखिन्छ।
 
==इतिहास==
 
[[File:Sherpa House.JPG|thumb|शेर्पा घर]]
 
शेर्पाको इतिहास अनुसार सन् १८०० तिरा तिब्बतको पूर्वी क्षेत्र खाम [[सलमोगङ]] बाट ठाउँ छाडी [[खुम्बु]] क्षेत्रमा पुगेको र त्यसको २३ साल पछि [[सोलु]]मा झरेको भनि उल्लेख गरेको छ।<ref>शेर्पाहरूको इतिहास र संस्कृति, पृष्ठ नं. १२ | लेखक: आचार्य ङग्वाङ वोद्सेर लामा शेर्पा | वि.स. २०५८ मा नेपाल शेर्पा संघ द्वारा प्रकाशित | भाषा: नेपाली</ref> त्यसपछि सोलु र खुम्बुबाट बिस्तारै नेपालको विभिन्न भू-भागमा वसोवास गर्दै आएको तथ्यहरू प्रमाणित रहेका पाईन्छ। विशेष गरि हिमाली क्षेत्रलाई आफ्नो बसोवास थलोको रूपमा मनपराई हिमाली भू-भागमा बसोवास गरेका शेर्पा जातिहरूको विशेषता चिन र तिब्बत सँग जोडिएको भू-भागमा वसोवास गरेकोहुदाँ शेर्पा जातिलाई अन्य जातिका मानिसहरूले तिब्बती वा भोटबासी (भोटे) भन्ने प्रचलन पनि रहेको छ।
शेर्पाको इतिहास अनुसार  सन् १८०० तिरा तिब्बतको पूर्वी क्षेत्र खाम [[सलमोगङ]] बाट ठाउँ छाडी  [[खुम्बु]] क्षेत्रमा पुगेको र त्यसको २३ साल पछि [[सोलु]]मा झरेको भनि उल्लेख गरेको छ।<ref>शेर्पाहरूको इतिहास र संस्कृति, पृष्ठ नं. १२ | लेखक: आचार्य ङग्वाङ वोद्सेर लामा शेर्पा | वि.स. २०५८ मा नेपाल शेर्पा संघ द्वारा प्रकाशित | भाषा: नेपाली</ref> त्यसपछि सोलु र खुम्बुबाट बिस्तारै नेपालको विभिन्न भू-भागमा वसोवास गर्दै आएको तथ्यहरू प्रमाणित रहेका पाईन्छ। विशेष गरि हिमाली क्षेत्रलाई आफ्नो बसोबास थलोको रूपमा मनपराई हिमाली भू-भागमा बसोबास गरेका शेर्पा जातिहरू चिन र तिब्बत सँग जोडिएको भू-भागमा बसोबास गरेकोहुदाँ शेर्पा जातिलाई अन्य जातिका मानिसहरूले तिब्बती वा भोटबासी (भोटे) भन्ने प्रचलन पनि रहेको छ।
 
 
 
==शेर्पाको नामकरण==
 
शेर्पा भाषा र व्याकरणको आधारमा कुरा गर्द “शर” भनेको पूर्व दिशा र ”प“ स्वामित्व बोधक शब्द हुनले {{bo-textonly|ཤར་པ། }}shar pa, शरप भनेको पूर्व दिशामा बस्ने पूर्वेली अथवा पूर्वी निबासी भन्ने शाब्दिक अर्थ हुन्छ। यस अर्थमा व्याकरणको दृष्टिकोणले कुनै त्रुटी नभएको र मौखिक बोलीचालीमा पनि सरल र सजिलो तथा उपयुक्त भएकोले शेर्पा संग सम्बन्धित [[सम्भोट लिपि]]मा लेखेको लेखहरूमा सबैले एकमतमा शरप लेखेको पाएपनि अंग्रेजी र देवनागरी लिपिमा शरपलाई शेर्पा भनि व्यापकरूपमा अशुद्ध लेखेको देखिन्छ।<ref>शेर्पाहरूको इतिहास र संस्कृति, पृष्ठ नं.३-५ |लेखक: आचार्य ङग्वाङ वोद्सेर लामा शेर्पा | वि.स. २०५८ मा नेपाल शेर्पा संघ द्वारा प्रकाशित | भाषा: नेपाली</ref>
 
 
 
==शेर्पाहरूका मूल थर र उपथर==
 
शेर्पा समाजको इतिहासकार खनपो सङग्यस् तन्जीन (१९२४-१९९०) ले लेख्नु भएको ब्रहमदण्ड नामक शेर्पा इतिहास र वंशावली तथा Snowlight of Everest मा उल्लेख गरिएको अनुसार शेर्पा जातिको मूलथर र उपथर निम्न प्रकारका छन्।<ref>ब्रह्मदण्ड नामक शेर्पा इतिहास, लेखक: लामा सङग्यस् तन्जीन शेर्पा | नेपाली अनुवादक: आचार्य ङग्वाङ वोद्सेर लामा शेर्पा | वि.स. २०५८ मा नेपाल शेर्पा संघ द्वारा प्रकाशित | भाषा: नेपाली</ref> <ref>शेर्पाहरूको इतिहास र संस्कृति, लेखक: आचार्य ङग्वाङ वोद्सेर लामा शेर्पा | वि.स. २०५८ मा नेपाल शेर्पा संघ द्वारा प्रकाशित | भाषा: नेपाली</ref> <ref>SNOWLIGHT OF EVEREST | Nepal Research Centre Publications No. 18, ISBN 3-515-06078-2 | Copyright 1992 by Franz Steiner Verlag Wiesbaden GMbH, Stuttgart | भाषा: शेर्पा</ref> <ref>High Religion A Cultural and Political History of Sherpa Buddhism| Sherry B. Ortner | ISBN 978-81-208-0949-9 | Copyright 1989 BY PRINCETON UNIVERSITY PRESS</ref><ref>DOCUMENTS POUR L'ÉTUDE DE LA RELIGION ET DE L'ORGANISATION SOCIALE DES SHERPA | Çar-p'ai Bla-ma Sangs-rgyas bstan-'jin et Alexander W. Macdonald | Junbesi/Paris-Nanterre 1971 | Written in Sherpa Language</ref>
शेर्पा समाजको इतिहासकार खनपो सङग्यस् तन्जीन (१९२४-१९९०) ले लेख्नु भएको ब्रहमदण्ड नामक शेर्पा इतिहास र वंशावली तथा Snowlight of Everest मा उल्लेख गरिएको अनुसार शेर्पा जातिको मूलथर र उपथर निम्न प्रकारका छन्।<ref>ब्रह्मदण्ड नामक शेर्पा इतिहास, लेखक: लामा सङग्यस् तन्जीन शेर्पा | नेपाली अनुवादक: आचार्य ङग्वाङ वोद्सेर लामा शेर्पा | वि.स. २०५८ मा नेपाल शेर्पा संघ द्वारा प्रकाशित | भाषा: नेपाली</ref> <ref>शेर्पाहरूको इतिहास र संस्कृति, लेखक: आचार्य ङग्वाङ वोद्सेर लामा शेर्पा | वि.स. २०५८ मा नेपाल शेर्पा संघ द्वारा प्रकाशित | भाषा: नेपाली</ref>  <ref>SNOWLIGHT OF EVEREST | Nepal Research Centre Publications No. 18, ISBN 3-515-06078-2 | Copyright 1992 by Franz Steiner Verlag Wiesbaden GMbH, Stuttgart | भाषा: शेर्पा</ref> <ref>High Religion A Cultural and Political History of Sherpa Buddhism| Sherry B. Ortner | ISBN 978-81-208-0949-9 | Copyright 1989 BY PRINCETON UNIVERSITY PRESS</ref><ref>DOCUMENTS POUR L'ÉTUDE DE LA RELIGION ET DE L'ORGANISATION SOCIALE DES SHERPA | Çar-p'ai Bla-ma Sangs-rgyas bstan-'jin et Alexander W. Macdonald | Junbesi/Paris-Nanterre 1971 | Written in Sherpa Language</ref>
 
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mi-nyag-pa
 
 
 
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lcags-pa or ca-ba
 
 
 
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''यस विषय बारे संशोधन कार्य जारी रहेको छ...''
 
 
 
==शेर्पा भाषा र लिपि==
 
आफ्नो भावना वा विचारलाई सजिलोसँग छिटोछरितो व्यक्त गर्न भाषाको प्रयोग गर्दछन्। त्यसैले मानिस र भाषाको बीचमा अभिन्न सम्बन्ध रहेको छ। भाषा मानिसको विचार व्यत्त गर्ने महत्वपूर्ण संचार प्रणाली अथवा साधन हो। कुनै पनि समुदाय वा वर्ग विशेषका पहिचान गर्नु भाषाको महत्वपूर्ण भूमिका हुन्छ। भाषा र संस्कृति विना जातित्वको पहिचान हुन सक्दैन। शेर्पा समुदायमा एक अर्का बीच आफ्नो विचार व्यक्त गर्ने आफ्नो अलगै भाषा रहेको छ, जसलाई हामी [[शेर्पा भाषा]] भन्ने गर्दछौं।
 
त्यसैले शेर्पाहरूको पनि आफ्नो छुट्टै भाषा विकास भएको छ। यो भाषाको शुद्ध उच्चारण गर्नु सक्ने लिपि भनेको [[सम्भोट लिपि]] हो। जुन प्रकारले संस्कृत, पाली, हिन्दी, नेपाली, भोजपुरी आदि भाषाहरूमा [[देवनागरी लिपि]]को प्रयोग गरिन्छ। त्यसै गरी तिब्बती, शेर्पा, लद्दाखी, भुटानी, भोटे आदिका भाषाहरूमा [[सम्भोट लिपि]]को प्रयोग गर्ने गर्दछ।
त्यसैले शेर्पाहरूको पनि आफ्नो छुट्टै भाषा विकास भएको छ। यो भाषाको शुद्ध उच्चारण गर्नु सक्ने लिपि भनेको [[सम्भोट लिपि]] हो।  जुन प्रकारले संस्कृत, पाली, हिन्दी, नेपाली, भोजपुरी आदि भाषाहरूमा [[देवनागरी लिपि]]को प्रयोग गरिन्छ। त्यसै गरी तिब्बती, शेर्पा, लद्दाखी, भुटानी, भोटे आदिका भाषाहरूमा [[सम्भोट लिपि]]को प्रयोग गर्ने गर्दछ।
 
 
 
==शेर्पाहरूको धर्म==
 
[[File:Thame Gompa.JPG|thumb|थाङ्मद् देछेन छोस्खोर लिङ् गोन्पा]]
 
नेपालको लुम्बिनीमा जन्मनु भएका क्षेत्री पुत्र सिद्धार्थ गौतमले बुद्धात्त्व प्राप्त पश्चात् भारतको धेरै ठाउँमा उपदेश दिनुभएकले भारतमा बौद्ध धर्मको विकास भएको थियो। तत् पश्चात् कालान्तरमा यस धर्मको विकास र लोकप्रियताले चीन, तिब्बत, जापान र मंगोलिया लगायत एशियाका धेरै मुलुकहरूमा व्यापक स्थान पायो। त्यसै क्रममा हिमाली क्षेत्र तिब्बतमा सर्वप्रथम धर्मराज [[स्रोङ्चन गम्पो]] (जन्मकाल १५५७ ई.) को राज्यकालमा बौद्ध धर्मको प्रवेश भएको थियो र विशेषतः (१७६३ ई.मा) नालन्दाबाट [[शान्तरक्षित]]को तिब्बत आगमन पश्चात् यसले अझ व्यापक रूप लिएको थियो। उहाँलाई तिब्बतमा बौद्धधर्मको प्रचारार्थ स्वयं राजाले आमन्त्रण गर्नुभएको थियो।
 
 
 
त्यसपछि पनि विभिन्न कालक्रममा तिब्बती राजाहरूको अनुरोधमा बौद्ध धर्मको प्रचार–प्रसार तथा बुद्धवचन एवं अन्य बौद्ध धर्म–दर्शन शास्त्रहरू तिब्बती भाषामा अनुवाद गर्ने हेतुले भारतवर्षबाट उल्लेख्य रूपमा प्रकाण्ड बौद्ध विद्वान् एवं पण्डितहरूको तिब्बतमा आवागमनक्रम जारी रहेको थियो। तिब्बतमा प्रारम्भिक बौद्ध धर्मको विकासको दृष्टिले खान्लोबछोस-सुम अर्थात् महोपाध्याय [[शान्तरक्षित]], आचार्य [[पद्मसम्भव]] र धर्म राजा [[ठ्रीस्रोङ देउचन]]लाई प्रमुख पात्रको रूपमा लिईन्छ।
 
 
 
यानको दृष्टिले तिब्बती बौद्ध परम्परा महायान अन्तर्गत पर्दछ। किनकि बौद्ध धर्मको प्रचारक्रममा भारतका दक्षिणी प्रदेशहरूमा हीनयानको अधिकतम प्रचार भएको थियो भने उत्तरी प्रदेशहरू जस्तै तिब्बत, चीन, कोरिया, मंगोलिया एवं जापानमा महायान बौद्धधर्मको व्यापक प्रचार प्रसार भएको थियो। त्यसपछि तिब्बतमा महायान बौद्ध धर्मको विकासक्रममा ञिङमा, कग्र्युद, साक्य, गेलुग सहित चार महायान तिब्बती बौद्ध परम्पराहरूको विकास भएको थियो। जसलाई तिब्बतमा बौद्धधर्मको चरम विकासको रूपमा लिन सकिन्छ। ती मध्ये [[ञिङमा]] परम्परालाई तिब्बतकै प्राचीनतम बौद्ध दर्शन परम्पराको रूपमा मानिन्छ।
 
 
 
सोही महायानी [[ञिङमा]] परम्परा नै शेर्पा समुदायहरूको प्राचीन तथा आदर्श धर्म हो। यसैमा शेर्पा समुदायहरूका सम्पूर्ण संस्कृति र जीवनशैलीहरू आधारित छन्। आज पनि बहुसंख्यक शेर्पाहरू ञिङमा परम्परालाई आफ्नो आस्था–भक्तिको केन्द्र मान्दछन् भने [[कग्युद]], [[सक्या]] र गेलुग परम्परामा आस्था राख्नेहरू पनि रहेका छन्। त्यसै कारण शेर्पा समुदायहरूले प्राचीनकालदेखि नै बौद्ध धर्मको अनुसरण गर्दै आएको देखिन्छ।
 
शेर्पाहरूको मूल थलो सोलुखुम्बु क्षेत्रमा सर्वप्रथम लामा साङ्वा दोर्जेले ञिङमा परम्पराको शुरुवात गर्नुभएको थियो । खुम्बु क्षेत्रको पाङवोचे भन्ने ठाउँमा पाल्रिवोे नामक गोन्पाको निर्माण गरेर उहाँले यस परम्पराको प्रारम्भिक स्थापना गर्नु भएको बुझिन्छ। उक्त गोन्पालाई स्थानीयबासीहरूले सबैभन्दा पुरानो गोन्पाको रूपमा लिने गर्दछन्।
 
 
 
शेर्पा इतिहासहरूमा उल्लेख गरे अनुसार लामा साङवा दोर्जे का महिल भाइ राल्वा दोर्जे र कान्छा भाइ खेन्पा दोर्जेले पनि क्रमशः थामे र रिमीज्युङ भन्ने गाउँमा ञिङमा गोन्पा स्थापना गरी बौद्ध धर्म र दर्शनको व्यापक प्रचार–प्रसार गर्नुभएको थियो। यस क्रममा सोलुखुम्बु क्षेत्रमा कैयौं बौद्ध गोन्पाहरू निर्माण भइसकेका छन्। यी गोन्पाहरूमा शेर्पाहरूले दैनिक पूजापाठ र धार्मिक गतिविधि लगायत वार्षिक रूपमा मनाइने विशेष बौद्ध उत्सव र अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमहरू पनि सम्पन्न गर्दै आएका छन्।
 
अधिकांश गोन्पाहरूमा बौद्ध धर्म र दर्शन विषयक शिक्षाहरूको गहन अध्ययन–अध्यापन समेत हुँदै आएकोले गोन्पाहरूलाई एउटा सामुहिक आस्थाको केन्द्र मात्र नभएर समग्र बौद्ध शिक्षाको केन्द्र एवं विद्यापीठको रूपमा पनि मान्न सकिन्छ। बौद्धधर्म र शिक्षालाई प्रचार गर्ने क्रममा प्राचीनकालीन शेर्पाहरूले बौद्ध गोन्पा निर्माणको अतिरिक्त तथागत बुद्धको विविध चैत्य निर्माण, षडाक्षरी मन्त्र (ॐ मणि पद्मे हूँ) युक्त ढुङ्गामानेको स्थापना, विभिन्न चट्टानहरूमा विविध बौद्ध मन्त्रहरूको अंकन, अग्ला डाँडाहरूमा धारणीमन्त्रयुक्त मणि, हातेमाने (मणि लकखोर) द्वारा सुसज्जित द्वार (कनिङ) र खोला नालाहरूमा जलमाने (मणि छुखोर) जस्ता त्रिरत्नका काय, वाक् र चित्तका प्रतीकात्मक आधार–अधिष्ठानहरू समेत निर्माण गरेका छन्।
 
साथै शेर्पाहरू विश्वशान्तिको कामना र परहितको भावनापूर्वक उच्च पहाड–पर्वत, गहिरो नदीनाला, घन वनजंगल र रमणीय तथा एकान्त स्थलहरूमा विश्वशान्ति, आरोग्य एवं अनेकन रक्षामन्त्रयुक्त पञ्चरंगी ध्वजा–पताका (लुङता) हरू लगाउने गर्दछन्। पाप शोधन र पुण्यार्जनको रूपमा गोरेटो बाटो खन्ने, भोकोनांगोलाई यथा शक्य भोजनदान र वस्त्रदान गर्ने, खोलानालाहरूमा पुल निर्माण गर्ने, दिनको अन्तमा आफुले गरेका पापहरूको शुद्धि अर्थ षडाक्षरी मन्त्रोच्चरण गर्दै माला जप्ने र दिनको आरम्भमा सम्पूर्ण कार्यहरू कुशलमूलक भइ पवित्र जलार्पण (योनछयाप) गरी नमन गर्ने गर्दछन्। यी सबै आचरणहरूलाई शेर्पाहरूले प्राचीनकालदेखि नै दैनिक चर्याको रूपमा सम्पन्न गर्दै आएका छन्, जुन बौद्ध धर्मका विशुद्ध आचारपक्षहरू हुन्।
 
अधिकांश गोन्पाहरूमा बौद्ध धर्म र दर्शन विषयक शिक्षाहरूको गहन अध्ययन–अध्यापन समेत हुँदै आएकोले गोन्पाहरूलाई एउटा सामुहिक आस्थाको केन्द्र मात्र नभएर समग्र बौद्ध शिक्षाको केन्द्र एवं विद्यापीठको रूपमा पनि मान्न सकिन्छ। बौद्धधर्म र शिक्षालाई प्रचार गर्ने क्रममा प्राचीनकालीन शेर्पाहरूले बौद्ध गोन्पा निर्माणको अतिरिक्त तथागत बुद्धको विविध चैत्य निर्माण, षडाक्षरी मन्त्र (ॐ मणि पद्मे हूँ) युक्त ढुङ्गामानेको स्थापना, विभिन्न चट्टानहरूमा विविध बौद्ध मन्त्रहरूको अंकन, अग्ला डाँडाहरूमा धारणीमन्त्रयुक्त मणि, हत्तेमणि (मणि लकखोर) द्वारा सुसज्जित द्वार (कनिङ) र खोला नालाहरूमा जलमाने (मणि छुखोर) जस्ता त्रिरत्नका काय, वाक् र चित्तका प्रतीकात्मक आधार–अधिष्ठानहरू समेत निर्माण गरेका छन्।
==बौद्ध शासनधर शेर्पा महापुरुषहरू:==
 
साथै शेर्पाहरू विश्वशान्तिको कामना र परहितको भावनापूर्वक उच्च पहाड–पर्वत, गहिरो नदीनाला, घन वनजंगल र रमणीय तथा एकान्त स्थलहरूमा विश्वशान्ति, आरोग्य एवं अनेकन रक्षामन्त्रयुक्त पञ्चरंगी ध्वजा–पताका (लुङता) हरू लगाउने गर्दछन्। पाप शोधन र पुण्यार्जनको रूपमा गोरेटो बाटो खन्ने, भोकोनांगोलाई यथा शक्य भोजनदान र वस्त्रदान गर्ने, खोलानालाहरूमा पुल निर्माण गर्ने, दिनको अन्तमा आफुले गरेका पापहरूको शुद्धि अर्थ षडाक्षरी मन्त्रोच्चरण गर्दै माला जप्ने र दिनको आरम्भमा सम्पूर्ण कार्यहरू कुशलमूलक भइ पवित्र जलार्पण (योनछब) गरी नमन गर्ने गर्दछन्। यी सबै आचरणहरूलाई शेर्पाहरूले प्राचीनकालदेखि नै दैनिक चर्याको रूपमा सम्पन्न गर्दै आएका छन्, जुन बौद्ध धर्मका विशुद्ध आचारपक्षहरू हुन्।
 
 
 
==बौद्ध शासनधर शेर्पा महापुरुषहरू:== 
 
===[[खुम्बु|खुम्बु क्षेत्र]]को बौद्ध शासनधर===
 
{{कोलम|2}}
 
<li> {{bo-textonly|བླ་མ་བུདྡྷའི་མཚན་ཅན།}} लामा बुद्ध छन्चन
 
<li> {{bo-textonly|བླ་མ་གསང་བ་རྡོ་རྗེ།}} लामा सङ्व दोर्जे
 
<li> {{bo-textonly|བླ་མ་རོལ་པའི་རྡོ་རྗེ།}} लामा रोल्पयी दोर्जे
 
<li> {{bo-textonly|བླ་མ་མཁྱེན་པ་རྡོ་རྗེ།}} लामा ख्येन्पा दोर्जे
 
<li> {{bo-textonly|སྐྱ་རོག་བསྟན་འཛིན་གྲགས་པའམ། རོལ་པ་རྡོ་རྗེ།}} क्यरोग तन्जीन ड्रग्पा / रोल्प दोर्जे
 
<li> {{bo-textonly|དཔལ་ཐིམ་མི་བཟང་པོའམ་ཕཊ྄་ཆེན།}} पल थिम्मि जङ्पो / फ़ट् छेन
 
<li> {{bo-textonly|འཇམ་དབྱངས་ཆོས་ཀྱི་རིག་འཛིན་ནམ་སྐྱབས་མགོན་འབྲེལ་ཚད་དོན་ལྡན།}} जम्याङ छोस्क्यी रिग्जीन
 
<li> {{bo-textonly|ཐང་བླ་སྤྲུལ་སྐུ་ངག་དབང་རྡོ་རྗེ།}} थाङ्ला टुल्कु ङग्वाङ दोर्जे
 
<li> {{bo-textonly|ཐང་བླ་ངག་དབང་ཚེ་རིང་དོན་གྲུབ།}} थाङ्ला ङग्वाङ छेरीङ दोन्ड्रुब
 
<li> {{bo-textonly|ཐང་སྨད་རིན་པོ་ཆེ་ངག་དབང་བཤད་སྒྲུབ་བསྟན་པའི་རྒྱལ་མཚན།}} थाङमद् रिन्पोछे ङग्वाङ शद्ड्रुब तान्पयी ग्याल्छन
 
<li> {{bo-textonly|ལ་ཕུག་རྡོ་བླ་མ་ཀུན་བཟང་ཡེ་ཤེས།}} लफुगदो लामा कुन्जङ येशे
 
<li> {{bo-textonly|བླ་མ་དགུ་ལོའམ་ངག་དབང་ནོར་བུ་བཟང་པོ།}} लामा गुलो / ङग्वाङ नोर्बु जङ्पो
 
<li> {{bo-textonly|ངག་དབང་བསྟན་འཛིན་བཟང་པོ།}} ङग्वाङ तन्जीन जङ्पो
 
<li> {{bo-textonly|སྐྱ་རོག་བླ་མ་ཨོ་རྒྱན་བསྟན་འཛིན།}} क्यरोग लामा ओर्ग्यन तन्जीन
 
<li> {{bo-textonly|སྐྱ་རོག་བླ་མ་བསྟན་འཛིན།}} क्यरोग लामा तन्जीन
 
<li> {{bo-textonly|ཆར་འོག་བླ་མ་སྐུ་ཞབས་མང་ཐོས།}} छरवोग लामा कुशाब मङ्थोस्
 
<li> {{bo-textonly|བླ་མ་ངག་དབང།}} लामा ङग्वाङ
 
<li> {{bo-textonly|དཀའ་ཆེན་ཨང་ཉི་མ།}} काछेन अङ ञिमा
 
<li> {{bo-textonly|རིག་འཛིན་ཀུན་བཟང་འཕྲིན་ལས་རྒྱ་མཚོ།}} रिग्जीन कुन्जङ ठ्रीन्लास ग्याछो
 
<li> {{bo-textonly|རྟོགས་ལྡན་ངག་དབང་ཚུལ་ཁྲིམས།}} तोग्दन ङग्वाङ छुल्ठ्रीम्स
 
<li> {{bo-textonly|དགེ་སློང་ངག་དབང་མཆོག་གྲུབ།}} गेलोङ ङग्वाङ छोग्ड्रुब
 
<li> {{bo-textonly|ཨ་ནི་རབ་བྱུང་མ།}} अनि रब्ज्युङमा
 
<li> {{bo-textonly|ཨ་ནི་ངག་དབང་པདྨ།}} अनि ङग्वाङ पद्म
 
</div>
 
 
 
===सोलु क्षेत्रको बौद्ध शासनधर===
 
{{कोलम|2}}
 
<li> {{bo-textonly|བླ་མ་སྒྲུབ་པའམ་བསོད་ནམས་ཆོས་དར།}} लामा ड्रुब्प / सोद्नम छोस्दर
 
<li> {{bo-textonly|བླ་མ་སངས་རྒྱས་བསྟན་པ།}} लामा सङग्यास तन्पा
<li> {{bo-textonly|བླ་མ་སངས་རྒྱས་བསྟན་པ།}} लामा सङग्यास तन्पा  
 
<li> {{bo-textonly|ངག་དབང་ཡོན་ཏན།}} ङग्वाङ योनतन
 
<li> {{bo-textonly|ངག་དབང་ཆོས་འཕེལ་རྒྱ་མཚོ།}} ङग्वाङ छोस्फेल ग्याछो
 
<li> {{bo-textonly|བླ་མ་བསྟན་འཛིན་རང་གྲོལ།}} लामा तन्जीन रङड्रोल
 
<li> {{bo-textonly|བླ་མ་སངས་རྒྱས་བསྟན་འཛིན།}} लामा सङग्यास तन्जीन
 
<li> {{bo-textonly|མཁན་པོ་བྱང་ཆུབ་ཚུལ་ཁྲིམས།}} खनपो ज्यङछुव छुलठ्रिमस्
<li> {{bo-textonly|མཁན་པོ་བྱང་ཆུབ་ཚུལ་ཁྲིམས།}} खनपो ज्यङछुव छुलठ्रिमस् 
 
<li> {{bo-textonly|མཁན་པོ་ངག་དབང་འོད་ཟེར།}} खनपो ङग्वाङ वोदसेर
 
</div>
 
 
 
==खुम्बु क्षेत्रमा अवस्थित शेर्पा गोन्पाहरु==
 
[[File:Tom Frost - Thyangboche Monastery - 1986.jpg|thumb| तेंग्पोछे गोन्पा १९८६, फोटोग्राफर टोम फ्रोस्ट]]
 
{{कोलम|2}}
 
* पङ्पोछे पलरिवो गोन्पा
 
* थाङ्मद् देछेन छोस्खोर लिङ गोन्पा
 
* रिमद्शुङ् पद्म छोस्लिङ् गोन्पा
 
* लुग ल्हाक्याब गोन गोन्पा
 
* क्यरोग सङ्ङ्ग छोस्लिङ गोन्पा
 
* खुम्बु देछेन छोस्लिङ् गोन्पा
 
* नाग्पोछे सङ्ङ्ग थेग्छोग देछेन लिङ गोन्पा
 
* तेङ्पोछे दोङ्ङ्ग थेग्छोग छोस्लिङ गोन्पा
 
* लफुग्दो थरलिङ गोन्पा
 
* फुर्चे ड्रग्रि छोस्लिङ गोन्पा
 
* छाम्खङ् दोङ्ङ्ग छोस्जोङ
 
* देवोछे चुन्गोन शेरब् लिङ
 
* खारी गदन् तन्फेल लिङ गोन्पा<ref>Shar-pa'i chos dang 'brel ba'i lo rgyus me po'i zhal lung, Pg. 534-543 | Copyright Gyurmey Chodrak 2008 | Published by The Mountain Institute, </ref>
* खारी गदन् तन्फेल लिङ गोन्पा<ref>Shar-pa'i chos dang 'brel ba'i lo rgyus me po'i zhal lung, Pg. 534-543 | Copyright Gyurmey Chodrak 2008 | Published by The Mountain Institute,  </ref>
 
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===तस्विरहरू===
 
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==सोलु क्षेत्रमा अवस्थित शेर्पा गोन्पाहरु==
 
[[File:Junbesi Monastery.jpg|thumb| ट्राशी थोङ्मोन लिङ गोन्पा, जुन्बेसी]]
 
{{कोलम|2}}
 
* ट्राशी थोङ्मोन लिङ गोन्पा
* ट्राशी थोङ्मोन लिङ गोन्पा 
 
* चीवाङ् ज्यङ्छुब छोस्लिङ गोन्पा
 
* जासा सम्तन् लिङ गोन्पा
 
* थोथोङ་ थोङड्रोल सम्तन् छोस्लिङ गोन्पा
 
* फुग्मोछे कर्म छोस्लिङ् गोन्पा
 
* सेरलोग शदड्रुब सुङड्रेललिङ गोन्पा
* सेरलोग शदड्रुब सुङड्रेललिङ गोन्पा  
 
* ड्रग्शिङ्तोग शद्ड्रुब थर्लिंग गोन्पा
 
* साकार गोन्पा
 
* सोग्दोद सम्तन छोस्लिङ गोन्पा
 
* सेल्वा ज्यङ्छुब छोस्लिङ गोन्पा<ref>Shar-pa'i chos dang 'brel ba'i lo rgyus me po'i zhal lung, Pg. 543-549 | Copyright Gyurmey Chodrak 2008 | Published by The Mountain Institute, </ref>
* सेल्वा ज्यङ्छुब छोस्लिङ गोन्पा<ref>Shar-pa'i chos dang 'brel ba'i lo rgyus me po'i zhal lung, Pg. 543-549 | Copyright Gyurmey Chodrak 2008 | Published by The Mountain Institute,  </ref>
 
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===तस्विरहरू===
 
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==शेर्पा संस्कृति==
 
परपूर्वकालदेखि शेर्पाहरू इस्लाम र बौद्ध धर्ममा आस्था र विश्वास राख्ने भएकोले जुन सुकै सामाजिक कार्य गर्दा अहिंसा र प्रतीत्यसमुद्पादको सिद्धान्तमा रहेर सम्पूर्ण कार्यहरू सु–सम्पन्न गर्ने गर्दछन्। त्यसैले शेर्पा समुदायको समाज मैत्री र करुणा आदि भावनाले परिपूर्ण भएको समाज हो। यो समाज हिंसा, अधर्म, अनैतिक जस्ता कार्यहरूबाट टाढा रहेको छ। शेर्पाहरूको आफ्नै वेष–भुषा, नाच–गान, खान–पान रहेका छन् भने घरको वनावट शैलीदेखि लिएर घरको भित्र बाहिरको रङ्ग रोगन, मुर्ति काल, चित्र काल आदि अन्य समुदयको भन्दा केही फरक रहेका छन्। शेर्पाहरूले मन्ने मुख्य चाडपर्व शाक्यमुनि बुद्धसँग सम्बन्धित बुद्ध जयन्ती, धर्मचक्र प्रर्वतन, सागा दावा, देवातरण महोत्सव –(ल्हबब् दुसछेन) र आचार्य पद्मसम्भवसँग सम्बन्धित, कृष्ण पक्षको दशमी पूजा, (छेस्चु) र शुक्ल पक्षको दशमी (ञेरङ) को साथै मणि रिल्डुब, ञ्युङनास (मौन व्रत) डुम्ची (ड्रुबछोद्) [[लोसार]] आदि रहेका छन्।
 
 
 
== वार्षिक चाडपर्व ==
 
{{कोलम|2}}
 
* {{bo-textonly|ལོ་གསར།}} [[लोसार]]
 
* {{bo-textonly|ཡུལ་བསང་།}} युल्सङ्
 
* {{bo-textonly|སྟོན་པའི་འཁྲུངས་སྐར།}} बुद्ध जयन्ती
 
* {{bo-textonly|སྨྱུང་གནས།}} ञ्युङनास
 
* {{bo-textonly|བསྐང་གསོལ།}} कङ्सोल
 
* {{bo-textonly|དབྱར་མཆོད།}} यारछोद्
 
* {{bo-textonly|མ་ཎི་རིལ་སྒྲུབ།}} मणि रिल्ड्रुब
 
* {{bo-textonly|དྲུག་པ་ཚེས་བཞི།}} ड्रुगप छेजी
 
* {{bo-textonly|སྒྲུབ་མཆོད།}} ड्रुबछोद्
 
* {{bo-textonly|ལྷ་བབ་དུས་ཆེན།}} ल्हबब् दुसछेन
 
* {{bo-textonly|ས་ག་ཟླ་བ།}} सागा दावा
 
</div>
 
 
 
==खुम्बु र सोलु क्षेत्रमा रहेको महत्त्वपूर्ण शेर्पा चाडपर्वहरु==
 
{{कोलम|2}}
 
* पङ्पोछे ड्रुब्छोद्
 
* खुम्शुङ् ड्रुब्छोद्
* थाङ्मद्खुम्शुङ् ड्रुब्छोद्  
 
* नाग्पोछे ड्रुब्छोद्
* थाङ्मद् ड्रुब्छोद्  
 
* नाग्पोछे ड्रुब्छोद्  
 
* क्यरोग छोग्छेन्
 
* पङ्पोछे मणि रिल्ड्रुब्
 
* ट्राशी थोङ्मोन लिङ् गोन्पाको ड्रुब्छोद्
 
* चीवाङ् ज्यङ्छुब् छोस्लिङ् गोन्पाको मणि रिल्ड्रुब्
 
* ञ्युङनास
 
* [[लोसार]]
 
* फग्-ञिङ
 
* यारछङ अथवा यारछोद् <ref>Shar-pa'i chos dang 'brel ba'i lo rgyus me po'i zhal lung, Pg. 549-571| Copyright Gyurmey Chodrak 2008 | Published by The Mountain Institute</ref>
 
</div>
 
 
==जन्म सम्बन्धित संस्कार==
 
==जन्म सम्बन्धित संस्कार== 
 
शेर्पा समुदायमा नवजात शिशुको जन्मलाई खुशियालीको रूपमा लिइन्छ। बच्चाजन्मेको तीन देखि सात दिन भित्र राम्रो साईत हेराई लामा पुरोहीत बोलाई नयाँ बच्चाको नामाकरण र सुत्केरी चोख्याउने कार्य गरीन्छ। बच्चाको नामाकरण साधरणतया शेर्पा भाषाका बारहरूको नामको आधारमा गरीन्छ जस्तो ञिमा, दावा, मिग्मार, ल्हग्पा, फुर्बु, पासाङ र पेन्पा। यसले गर्दा बहुसंख्यक शेर्पा पुरुष र नारीको नाम आपसमा मिल्छ। न्वारन गरिने बच्चाको अघिल्लो दाज्यु वा दिदीको अल्पायुमा मृत्यु भएको रहेछ भने सो बच्चाको नाम शेर्पा नाम संग नमिल्ने गरी राखने चलन छ जस्तै कामी, सार्की, दमाई आदि। नानीको न्वारानमा आफ्ना नातागोताहरू, साथीहरू र छिमेकीहरू जम्मागरि भोज खुवाउने चलन छ। नानीको न्वारानमा आएकाहरूले पनि नानीको लागी कोसेली वा खाम्मा केही रकम राखी बच्चाको हातमा दिई मुख हेर्ने र बच्चा तथा बच्चाको आमा बाबुलाई खता लगाई दिने चलन छ। शेर्पा समाजमा जन्म दिन मनाउने चलन छैन। गाउँघर तिर न्वारान गर्दा लामो रुखको बिरुवा ल्याई सो मा ध्वजा टाँगी छोरा भए घरको मुल ढोकाको दायाँ तिर र छोरी भए बायाँतिर गाडने चलन छ, यसलाई गोतर भनिन्छ।
 
 
 
=== शेर्पा हरूको धार्मिक परम्परा अनुसार नाम राख्ने तरिका ===
 
प्राय शेर्पाजातिले नाम राख्दा जन्मेको बार र तिथिबाट राखेको पईन्छन्। जस्तैः आइतबारको दिन जन्मिएका नानीको नामलाई ञिमा, सोमबारमा जन्मिएका लाई दावा, त्यसैगरी मंगलबारदेखि शनिबार सम्ममा जन्मेकोहरूलाई क्रमसः मिगमार, ल्हग्पा, फुर्बु, पासाङ, पेन्पा भनि रखिन्ने चलन ज्यादै प्रचलित रहेको देखिन्छ, र ञिमा दावा, पासाङ ञिमा, मिगमार दावा, पासाङ दावा, ञिमा फुर्बु, पासाङ ल्हग्पा आदि दुइवटा बारको संयोजकबाट नाम रखिन्ने प्रथ पनि उतिकै चल्तीमा रहे पनि एकादशीका दिन जन्मेकोलाई "छेचिग", पंचमीमा जन्मेकोलाई "ङती", पुर्णिमाको लाई "चोङ छेरिङ" आदि तिथिबाट राख्ने चल्ती भने एकदमै कम्ती रहेको देखिन्छ। धार्मिक ग्रन्थहरूमा रहेका पारिभाषिक शब्द छ प्रज्ञापारमित: ज्यीन्पा, छुलठ्रीम, जोदपा, चोनड्रु, सम्तन, शेरब् इत्यादि बाट पनि बालकको नाम राखेको प्रसस्तै भेटिन्छन्।
 
''यस विषय बारे सम्पादन र संशोधन कार्य जारी रहेको छ...
 
 
 
==शेर्पा जातिको विवाह संस्कार==
शेर्पाहरूको महत्वपूर्ण संस्कारहरू मध्ये विवाह संस्कार पनि एक हो। यस जातिमा मागी विवाहको बढी प्रभाव रहने भएता पनि प्रेम विवाहको पनि छिटफुट चलन छ। आफ्नो मौलिक परम्परा अनुसार प्रायः विवाहित छोरीको सन्तान माइता मै हुर्कने पुरानो चलन भएकोले होला शेर्पा समुदायमा मामाको महत्व निकै उच्च पाइन्छ। मामाको छोरालाई पनि मामा र नाती(मामाको छोराको छोरा)लाई समेत मामा नै भन्ने र मामाको छोरीलाई क्ष्यामा अर्थात आमा समान मान्ने प्रचलन छ। यसरी आमा पट्टी सात पुस्ता सम्म पनि सम्दी लगाउन हुन्न र (मिल्दैन) भन्ने मान्यता अद्यावाधी विद्यामान छ। भने बुबा पट्टी त झन् हुने कुरै छैन।
त्यस्तै विवाहिक विविध थर "रु" हरूको आधारमा कुटुम्भ र स्वाँगेभाई छुट्टयाउने विशेषता यो समुदायको विवाहवारीमा अर्को संवेदनशील तथा अति महत्वपूर्ण पक्ष मानिन्छ। जस्तै “लामा र च्यावा” थर हुनेको त्यो बाहेक अन्य जुनसुकै “रु” सँग विहेवारी चल्छ भने “पिनाशा, गर्जा, गोले, टाक्तोक, खापा” आदि प्रकारको “रु” हरू बीच एक–आपासमा स्वाँगेभाई अर्थात विवाह नचल्ने र “सलाका, गोपर्मा, खम्बचे” आदि बीच समेत चेली माइती अर्थात विहेवारी नचल्ने कठोर परम्परागत नीति (नियम) भएकाले पनि यो जातिको विवाह संस्कार अलि जटिल र रोचक मानिन्छ। गाँउबाट शहर र शहरबाट प्रदेश बसाँइ सरेर जाने क्रममा सामान्य परिवर्तन हुन थाले पनि मूलभुत रुपमा सात पुस्ते मान्यता “रु” र ड्रिछ्याङ(सोधानी, लोङछ्यङ(माँगिनी), देम्छ्यङ (छिन्फानी) र पेछ्यङ(छुटानी) लगायतका विधि आदिलाई विधिवत रुपमा पूरा गर्नै पर्ने मान्यता रहेको पाइन्छ।
 
शेर्पाहरूको महत्वपूर्ण संस्कारहरू मध्ये विवाह संस्कार पनि एक हो। यस जातिमा मागी विवाहको बढी प्रभाव रहने भएता पनि प्रेम विवाहको पनि छिटफुट चलन छ। आफ्नो मौलिक परम्परा अनुसार प्रायः विवाहित छोरीको सन्तान माइता मै हुर्कने पुरानो चलन भएकोले होला शेर्पा समुदायमा मामाको महत्त्व निकै उच्च पाइन्छ। मामाको छोरालाई पनि मामा र नाती(मामाको छोराको छोरा)लाई समेत मामा नै भन्ने र मामाको छोरीलाई क्ष्यामा अर्थात आमा समान मान्ने प्रचलन छ। यसरी आमा पट्टी सात पुस्ता सम्म पनि सम्दी लगाउन हुन्न र (मिल्दैन) भन्ने मान्यता अद्यावाधी विद्यामान छ। भने बुबा पट्टी त झन् हुने कुरै छैन।
==शेर्पा जातिको विवाहमा पुरयाउनु पर्ने विधिहरू==
 
सबभन्दा पहिले केटा र केटीको उमेर हेर्ने, उनिहरूको जन्म बर्ष (लोर्ता) को आधारमा ज्योतिष विधिअनुसार लगनमिलन् हेराएर उनिहरूको दाम्पत्य जिवन राम्रो हुन्छ वा हुन्न भन्ने हेरिन्छ। सबैकुरा ठीक भएमा सगुन लिएर केटी माग्न आउँछौ भनी केटीको माईतमा खबर पठाईन्छ। यस प्रकृया लाई “ड्रिछङ” भनिन्छ। केटीको माईतबाट सकरात्मक जवाफ आएमा राम्रो साईत हेरी फेमार (सर्वातम् सातु र नौनी घ्यू मिसाएर बनाएको एक प्रकारको मिठो र मान्य खनिज), छ्याङ(शुद्ध अन्न पकाएर वैधिक हिसाब ले भनाएको मदक पिउँने जोल्। ठिकै पिए औषधी हुने धेरै पिए बेहोसी हुने पदार्थ) र खादग् <(खादार्) शुभमंगल तथा शुभसाईत गर्ने एक उत्तम् सफा वस्त्रा) लिएर केटीको माईतमा गएर केटी माग्ने चलन छ। यसलाई “लोङ्-छ्याङ” भनिन्छ। केटा र केटीको बिबाह कहिले गर्ने, जन्ति (विवाह क्रममा बेहुला “मक्पा” को तर्फबाट बेहुला सँगै बेहुली “नामा” लिनु अउँने ब्यक्तिहरू) कति जना आउने भनी केटाको तर्फबाट सोध्न जानेलाई “पेज्यङ”(छुटानी) भनिन्छ। यसमा पनि छ्याङ र खादग् (कोसेली) लिएर जानु पर्छ। दुवैपक्षको सहमतीबाट बिबाहको मिति तोकिएपछि बिबाहको तयारी सुरु गरिन्छ। बिबाहको समयमा खुवाउने भोज र भतेर पिया चिया छ्याङ को लागी केही अन्न वा साट्टा नगद रुपैया केटाको तर्फबाट केटीको माइतमा जिम्मा लगाउने चलन् छ। यसलाई छ्यावी भनिन्छ। विवाहको मिति तोकिएपछि सबभन्दा पहिले विवाहको कार्यको जानकारी सहित आफुनो नातेदारहरू, हितैषीहरू र साथीहरू लाई विवाहको कार्यक्रममा सहभागी हुन “देन्छ्यङ” निमान्त्रण पठाउने काम हुन्छ।
त्यस्तै विवाहिक विविध थर "रु" हरूको आधारमा कुटुम्भ र स्वाँगेभाई छुट्टयाउने विशेषता यो समुदायको विवाहवारीमा अर्को संवेदनशील तथा अति महत्त्वपूर्ण पक्ष मानिन्छ। जस्तै “लामा र च्यावा” थर हुनेको त्यो बाहेक अन्य जुनसुकै “रु” सँग विहेवारी चल्छ भने “पिनाशा, गर्जा, गोले, टाक्तोक, खापा” आदि प्रकारको “रु” हरू बीच एक–आपासमा स्वाँगेभाई अर्थात विवाह नचल्ने र “सलाका, गोपर्मा, खम्बचे” आदि बीच समेत चेली माइती अर्थात विहेवारी नचल्ने कठोर परम्परागत नीति भएकाले पनि यो जातिको विवाह संस्कार अलि जटिल र रोचक मानिन्छ। गाँउबाट शहर र शहरबाट प्रदेश बसाँइ सरेर जाने क्रममा सामान्य परिवर्तन हुन थाले पनि मूलभूतरूपमा सात पुस्ते मान्यता “रु” र ड्रिछ्याङ(सोधानी, लोङछ्यङ(माँगिनी), देम्छ्यङ (छिन्फानी) र पेछ्यङ(छुटानी)  लगायतका विधि आदिलाई विधिवतरूपमा पूरा गर्नै पर्ने मान्यता रहेको पाइन्छ।
जन्ति जाने दिन बिहानै धार्मिक गुरू “लामा” पुरोहीत द्वारा गृहशान्ती र परिवारको सुखद भविष्य को लागी कुलदेवताको प्रतिष्ठान धुप पुजा गरि जन्तिमा लाने धर्मचक्र “सित्पा-खोर्लो” को पुजा गरिन्छ। सित्पाखोर्लो लाई केटीको माइतिको दिशातिर मुख फर्काएर (विवाहित देखि पुस्तौ सम्म कुनै दुष्ट सिमे-भुमे र ग्रह-नक्षत्र ले वाधा नगरून भनेर रख्ने एक प्रकारको तन्त्रिक कवाच्) चित्र राखिन्छ र जन्ती जाने समयमा सब भन्दा अगाडी लगाईन्छ। जन्ति बेहुलीको माइतमा पुगेपछि सित्पा-खोर्लो लाई बेहुलाको घरजाने बाटोतर्फ मुख फर्काएर राखिन्छ। जन्ति जाने समयमा बेहुलालाई परम्परागत पहेलो खोचेन को बख्खु (मंगोलियन मुल्यवान पोशाक) रातो जालीदार टोपी लगाई काँधमा पाँच रङ्गे कपडाको “दत्तर” र हातमा “बुम्पा” (कलश) बोकि प्रस्थान गर्नु पर्दछ। घर बाट जन्ति प्रस्थान गर्ने समयमा आँगानमा दुध वा दही, छ्याङ र खप्सेहरू सगुन “स्वगत” स्वरुप राखिन्छ। यसलाई “सुजर्यङ” स्वगती भनिन्छ। यस्ता सगुनहरू प्राय: बेहुलाको विवाहित दिदी-बहिनी पर्ने हरूले राखने चलन पनि छ। यसरी सगुन थापे बापतमा दिदी बहिनीहरूलाई बेहुलाले उपहार दिने चलन छ। जन्ति प्रस्थान देखी बेहुली घरमा भित्राउने समय सम्मको लागी “क्याल्मी” (बेहुलाको साथी कण्या केटा) साथमा रहने चलन छ। उक्त साथीलाई “क्याल्मी” भनिन्छ। यस्तै बेहुलीको पनि क्याल्मी राख्ने चलन छ (बेहुलीको साथी कन्या केटा) । जन्ति प्रस्थान गरिने समयमा जन्तिमा जानेहरू सबैलाई बेहुला पट्टिको हो भनेर चिनाउन निधारको बिचमा रातो अबिर टिका लगाउने चलन छ। जन्ति आउने दिन बिहानै बेहुलीको माईतमा पनि धर्मगुरु “लामा” बोलाएर सुख शान्तीको पुजापाठ गरिन्छ र बेहुलीका माइत तर्फका नातेदारहरू, छरछिमेकीहरू भेला भै जन्तीको स्वागतको तयारी गरिन्छ। जन्ति आईपुग्ने समयमा दुध वा दही, छ्याङ र खप्से सगुन राखी जन्तीको स्वागत सत्कार गरिन्छ। जन्तिहरूलाई तयार गरिएको स्थानमा राखिन्छ। बेहुलाको लागी छुट्टै बस्ने उत्तम बिछौना लगाएको स्थान राखेको हुन्छ।
जन्तिहरू बसिसकेपछि बेहुलाको आमा र बुवा अउँनुभएर सबै जन्तिलाई छ्याङ र अन्य पेयपदार्थ खुवाउदै परिचय आदान प्रदान गर्ने कार्य हुन्छ। यो कार्यक्रम सकिएपछि बेहुलाको पोशाक फेर्ने कार्य हुन्छ यसलाई “सील्ज्याङ” भनिन्छ। यस पछि बेहुलीको माईतीहरूलाई बेहुलाको तर्फबाट कोसेली राख्ने कार्य हुन्छ। कोसेलिमा फेमार, छ्याङ र खादग् राखिन्छ। यस पछि बेहुलीलाई सिँगारेर ल्याई दुलाहको छेउमा बायाँ पट्टी बसालिन्छ। बेहुला र बेहुलीलाई पुजामण्डपको अगाडी स्वास्तिक चिन्ह बनाएको आसनमा राखिन्छ। बेहुली बसेपछि बेहुलाले ल्याएको कलश बुम्पा बेहुलीलाई दिइन्छ। यस पछि बेहुला र बेहुलीको घर र माइतीको तर्फबाट आफ्नो छोरा र छोरी एक अर्कालाई सुम्पिएको घोषणा गर्दछन यस कृयालाई “मोला” भनिन्छ। मोलामा बेहुला र बेहुली दुवैको बंसावली, तीनपुस्ते नाम र थर समेत खुलाई आजको दिन देखी बिबाहसुत्रमा बाँधिएको घोषणा गरिन्छ। यसपछि लामाबाट बेहुला र बेहुली दुवै जनालाई शीरमा नौनि घ्यूको टिका लगाउदै आर्शीबाद दिइन्छ। यसपछि बेहुलाले पहिले आफुले ३ पटक निधारमा सिन्दुर लगाई ३ पल्ट बेहुलीको निधारमा लगाइन्छ। यस पछि बेहुलाले बेहुलीको माईतीका मान्यजनहरूलाई र दुलहीले आफ्नो ससुराली मान्यजनहरूलाई “याङजी” गर्दै ढोगेर आशीर्बाद लिइन्छ। बेहुला र बेहुलीको टिकाटालो हुनासाथ जन्तिहरू चौँरीको पुच्छर र तरवार हातमा लिएर झ्याम्टाको तालमा गीत गाउदै “एहोक ! एहोक !” भन्दै नाच्न थाल्छन, यस नाँचलाई “सिली नाँच” भनिन्छ। भने कोहि गीत गाएर शेर्पा श्यब्रु पनि नाँचिन्छ। बेहुलीको बिदाईको समयमा बेहुलीको माईतीको तर्फबाट सबैलाई खादग् लगाई जन्तिलाई बिदाई गरिन्छ। यसरी बिबाह सम्पन्न भएपछि जन्तिहरू बेहुलीलाई लिएर बेहुलाको घरमा फर्किन्छ र बेहुलीको स्वागतको लागी नाँच गान गरिन्छ यसलाई “टशि-सोल्लु” भनिन्छ। बिबाह भएको केही दिन पछि (बेहुलीको घरबाट तोकिएको तिथिमिति अनुसार) बेहुला बेहुलीलाई लिएर ससुरालीमा कोसेली (फेमार, रक्सी, खादग्) लिएर फर्किन्छ। यसलाई “कर्म लोउ” भनिन्छ।
 
==मृत्यु सम्बन्धित संस्कार==
 
शेर्पा समुदायमा मृत्यू संस्कार बौद्धधर्म ञीङमपा सम्प्रदायको कर्मकाण्ड अनुसार सम्पन्न गरीन्छ। जस अनुसार कसैको मृत्यू हुना साथ सर्वप्रथम मृतकको सिरानिको छेउमा धूप र छ्योमीन बाल्नु पर्दछ। लामा पुरोहीत हरू बोलाई धार्मीक बिधीअनुसार पाठपुजा गर्नु पर्दछ। ठुला ठूला लामाहरू बाट फोवा हाल्नु पर्दछ। लासलाई धार्मीक बिधी अनुसार ठु ( पवित्र पानी) हालेको पानीले नुहाई सेतो कपडाले बेह्री सिङारिएको ठाउँमा राखीन्छ। लामा बाट लास संस्कार गर्ने साईत हेराएर ३ दिन देखी १ हप्ता सम्म घरमानै वा आफनो घर नभएमा मृत्यूसंस्कार गर्ने सुबिधा भएका सार्वजनीक गुम्बाहरूमा राखी दिन् रात पुजा गरिन्छ। शेर्पासमाजमा कसैको मृत्यूभएमा मृतकको नाताहरू धुप, र छोव (प्रसाद) लिएर जाने प्रचलन छ। लास संस्कार गरिने दिन पनि सबै नाता कुटुम्ब तथा मित्रहरू जम्मा भै दाह संस्कारको लागी जानु पर्दछ। लासलाई संस्कार गर्न तोकिएको स्थानमा लगी धार्मीक बिधीबिधान अनुसार पाठपुजा गरि जलाउने चलन छ। लासमा आगो लगाएपछी सबै मलामिहरूलाई पैसा दिइने चलन छ यसलाई लक्पा रब्चे भनीन्छ।मृत्यू पछीपनि आत्मा आफ्नो घर परिवारको वरिपरीनै घुमी रहन्छ भन्ने बिस्वाश मा दाह संस्कार पछी मृतकको पुतला बनाई सो पुतलालाई बिहान बेलुकिको खाना दिने र मृत्यू पछी हुने कुराहरूको जानकारी दिन एक जना लामा पुरोहीत मृतकको घ्यवा नसकुनजेल सम्म संगै राखने चलन छ। यस प्रकृयालाई शेर्पा भाषामा (तेन स्योम्बु) अथवा सातु पाल्नु भनीन्छ।यो सातु पाल्ने कार्य ३ देखी ७ हप्ता सम्म लाग्न सकीन्छ। मृत्यु भएको दिन देखी घ्यवा नसकुन्जेल सम्म प्रतेक हप्ता अरु लामाहरू बोलाई पुजा गरीन्छ। यस पुजालाई दिन्जी भनीन्छ। मृत्यु भएको ३ देखी ७ साता भित्र लामा पुरोहीतहरू बोलाई पुजा गरी नातादारहरू, मित्रहरू बोलाई प्रसाद् बाँडेर घ्यवा सम्पन्न गरीन्छ। मृतकको सम्झनामा प्रतेक बर्ष पुजा गर्ने चलन पनि छ। यसलाई लोम्ज्यु अथवा गोङ्जो भनिन्छ।
शेर्पा समुदायमा मृत्यु संस्कार बौद्धधर्म [[ञिङमा]] सम्प्रदायको कर्मकाण्ड अनुसार सम्पन्न गरीन्छ।
 
== शेर्पा र पर्वतारोहण ==
 
 
 
== मूल निवास क्षेत्र ==
 
पहिले शेर्पाहरू नेपालको पूर्वी क्षेत्र सोलुखुम्बुमा रहन्दै आए तापनि वर्तमान समयमा वसाई सराईको कारणले गर्दा ताप्लेजुङ, संखुवासभा, इलाम, तेह्रथुम, ओखलढुङ्ग, खोटङ, दोलखा, सिन्धुपाल्चोक, रामेछाप, काभ्रेपलाञ्चोक, काठमाण्डौं, नुवाकोट, महोत्तरी, चितवन, मुगु, हुम्ला जिल्लाहरूमा शेर्पाहरूको मुख्य बसोबास गर्ने क्षेत्रको रूपमा चिनिन्छ। हाल नेपालको अधिकांस जिल्लामा शेर्पाहरू बसोबास गर्दै आएको छन् भने भारतको दार्जेलिंग, सिक्किम, मणिपुर, आछाम र पश्चिम वंगल त्यस्तै गरी तिब्बत, भूटान तथा यूरोप र अमेरिकामा पनि शेर्पाहरू बसोबास गर्दै आएको पाईन्छ।
 
 
 
== शेर्पा विद्वान ==
 
''यस विषय बारे सम्पादन र संशोधन कार्य जारी रहेको छ...
 
 
 
== शेर्पा कलाकार ==
 
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== प्रसिद्ध आरोही ==
 
[[File:Tenzing Norgay (cropped).jpg|thumb|सगरमाथा शिखर आरोहण गर्ने विश्वको पहिलो व्यक्ति तेन्जिङ नोर्गे शेर्पा]]
 
[[File:Pasang.jpg|thumb|सगरमाथा शिखर आरोहण गर्ने पहिलो नेपाली महिला पासाङ ल्हमो]]
 
{| class="wikitable sortable"
 
!कीर्तिमानको विवरण
 
!किर्तिमान
 
!व्यक्तिको नाम
 
!राष्ट्र
 
!आरोहणको समय
 
!सन्दर्भ
 
|-
 
| rowspan="2" |धेरै संख्यामा सगरमाथाको शिखर आरोहण गर्ने व्यक्ति
 
| rowspan="2" |२१ चोटि
 
|[[आप्पा शेर्पा|अप शेर्पा]]
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|{{sort|2012-05-11|May 11, 2011}}
 
|<ref name="explorersweb.com">{{cite news|url=http://explorersweb.com/everest_k2/news.php?id=20142|title=World Record: Apa Sherpa's Everest summit no 21}}</ref>
 
|-
 
|फुर्बा ट्राशी शेर्पा
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|{{sort|2013-05-19|May 19, 2013}}
 
|<ref>{{cite web | url=http://peakfreaks.com/everestnews2013.htm#.UY07T7VFXmv | title= PeakFreaks 14 safe summits | date=May 19, 2013}}</ref>
 
|-
 
|सबैभन्दा ज्यादा सगरमाथा आरोहण गर्ने महिला
 
|७ चोटि
 
|ल्हग्पा शेर्पा
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|
 
|<ref name="rawstory1">{{cite web|url=http://www.rawstory.com/2016/05/7-eleven-worker-becomes-first-woman-to-climb-mount-everest-seven-times/ |title=7-Eleven worker becomes first woman to climb Mount Everest seven times |publisher=Rawstory.com |date=2016 |accessdate=2016-05-20}}</ref><ref>{{Cite web|url=http://www.guinnessworldrecords.com/world-records/most-ascents-of-mt-everest-by-a-woman|title=Most ascents of Everest by a woman|website=Guinness World Records|access-date=2016-05-12}}</ref>
 
|-
 
|धेरैजसो पूरक अक्सिजन विना सगरमाथाको शिखर आरोहण गर्ने व्यक्ति
 
|१० चोटि
 
|आङ रिता
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|{{sort|1996-05-23|May 23, 1996}}
 
|<ref>{{cite book |title=Ascents - Everest (without supplementary oxygen) |last=8000ers.com |url=http://www.8000ers.com/cms/download.html?func=startdown&id=154 }}</ref>
 
|-
 
| एडमण्ड हिल्लरी सँग विश्वमै पहिलो चोटि सगरमाथाको शिखर आरोहण सफलता भएको व्यक्ति
 
| १ चोटि
 
|[[तेन्जिङ नोर्गे शेर्पा|तन्जीन नोरग्यास]]
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|{{sort|1953-05-29|May 29, 1953}}
 
|
 
|-
 
| पहिलो चोटि सगरमाथाको शिखर आरोहण गर्ने नेपाली महिला
| पहिलो चोटि सगरमाथाको शिखर आरोहण गर्ने नेपाली महिला 
 
| १ चोटि
 
|[[पासाङ ल्हामु शेर्पा|पासाङ ल्हमो शेर्पा]]
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|22 April 1993
 
|
 
|-
 
|पहिलोपटक दुई चोटि सगरमाथा आरोहण गर्ने व्यक्ति
 
|१ चोटि
 
|ङगवाङ गोन्पो
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|1963, 1965
 
|<ref>{{cite web|url=http://www.climbing.com/climber/everest-pioneer-nawang-gombu-dies-at-79/|title=rip 2011|publisher=}}</ref><ref>[http://imagingeverest.rgs.org/Units/58.html Nawang Gombu]</ref><ref>[http://www.everesthistory.com/sherpas/nawanggombu.htm]</ref>
 
|-
 
|पहिलोपटक तीन चोटि सगरमाथा आरोहण गर्ने व्यक्ति
 
|३ चोटि
 
|सुन्दरे शेर्पा
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|1982
 
|<ref>[http://www.adventurestats.com/tables/esum1-150.htm]</ref>
 
|-
 
|पहिलोपटक तीन चोटि सगरमाथा आरोहण गर्ने महिला
 
|३ चोटि
 
|ल्हग्पा शेर्पा
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|2003
 
|<ref>[http://www.pbs.org/frontlineworld/stories/nepal/update.html PBS]</ref>
 
|-
 
|पहिलोपटक चार चोटि सगरमाथा आरोहण गर्ने व्यक्ति
 
|४ चोटि
 
|सुन्दरे शेर्पा
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|1985
 
|<ref name="adventurestats.com">[http://www.adventurestats.com/tables/esum151-300.htm]</ref>
 
|-
 
|पहिलोपटक चार चोटि सगरमाथा आरोहण गर्ने महिला
 
|४ चोटि
|४ चोटि
 
|ल्हग्पा शेर्पा
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|2004
 
| <ref>[http://www.everestnews.com/everest2005/lapkasherpa2005.htm]</ref>
 
|-
 
|पहिलोपटक पाँच चोटि सगरमाथा आरोहण गर्ने व्यक्ति
 
|५ चोटि
|५ चोटि
 
|सुन्दरे शेर्पा
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|1988
 
|<ref name="adventurestats.com"/>
 
|-
 
|पहिलोपटक पाँच चोटि सगरमाथा आरोहण गर्ने महिला
 
|५ चोटि
 
|ल्हग्पा शेर्पा
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|2005
 
|<ref>[http://www.himalayandatabase.com/2005%20Season%20Lists/2005%20Spring%20A4.html Himalayan Database - Spring 2005 Everest]</ref>
 
|-
 
|पहिलोपटक छ चोटि सगरमाथा आरोहण गर्ने व्यक्ति
 
|६ चोटि
 
|आङ रिता
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|1990
 
|<ref name="adventurestats.com"/>
 
|-
 
|पहिलोपटक छ चोटि सगरमाथा आरोहण गर्ने महिला
 
|६ चोटि
 
|ल्हग्पा शेर्पा
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|2006
 
|
 
|-
 
|पहिलोपटक सात चोटि सगरमाथा आरोहण गर्ने व्यक्ति
 
|७ चोटि
|७ चोटि
 
|आङ रिता
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|1992
 
|<ref name="ReferenceC">[http://www.adventurestats.com/tables/esum451-600.htm]</ref>
 
|-
 
|पहिलोपटक सात चोटि सगरमाथा आरोहण गर्ने महिला
 
|७ चोटि
 
|ल्हग्पा शेर्पा
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|2016
 
|<ref name="rawstory1"/>
 
|-
 
|पहिलोपटक आठ चोटि सगरमाथा आरोहण गर्ने व्यक्ति
 
|८ चोटि
|८ चोटि
 
|आङ रिता
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|1993
 
|<ref name="ReferenceC" />
 
|-
 
|पहिलोपटक नौ चोटि सगरमाथा आरोहण गर्ने व्यक्ति
 
|९ चोटि
 
|आङ रिता
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|1995
 
|<ref>[http://www.adventurestats.com/tables/esum601-750.htm]</ref>
 
|-
 
|पहिलोपटक दश चोटि सगरमाथा आरोहण गर्ने व्यक्ति
 
|१० चोटि
|१० चोटि
 
|आङ रिता
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|1996
 
|<ref>[http://www.adventurestats.com/tables/esum601-750.htm]</ref>
 
|-
 
|पहिलोपटक एघार चोटि सगरमाथा आरोहण गर्ने व्यक्ति
 
|११ चोटि
 
|अप शेर्पा
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|2000
 
|<ref>[http://www.adventurestats.com/tables/esum1201-1350.htm]</ref>
 
|-
 
|सगरमाथाको दक्षिणी आधार शिविर बाट पूरक अक्सिजन साथ सबैभन्दा छिटो आरोहण गर्ने व्यक्ति
 
|८ घण्टा १० मिनेटमा
|८ घण्टा १० मिनेटमा 
 
|पेन्पा दोर्जे
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|{{sort|2004-05-21|May 21, 2004}}
 
|<ref name=conf>{{cite news|title=New Everest Record is Confirmed|url=http://news.bbc.co.uk/2/hi/south_asia/3662040.stm|accessdate=2012-02-04|date=2004-09-16}}</ref>
 
|-
 
|सगरमाथाको दक्षिणी आधार शिविर बाट पूरक अक्सिजन विना सबैभन्दा छिटो आरोहण गर्ने व्यक्ति
 
|२० घण्टा २४ मिनेटमा
 
|काजी शेर्पा
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|{{sort|1998-10-17|October 17, 1998}}
 
|<ref name="everestsummiteersassociation1">{{cite web|url=http://www.everestsummiteersassociation.org/index.php?option=com_content&view=category&layout=blog&id=24&Itemid=27 |title=NEW/OLD RECORDS |publisher=Everestsummiteersassociation.org |accessdate=2014-07-20}}</ref>
 
|-
 
|सगरमाथाको शिखरमा सबैभन्दा ज्यादा बस्ने व्यक्ति
 
|२१ घण्टा सम्म
 
|बाबु छेरिङ शेर्पा
 
|{{flagcountry|NEP}}
 
|{{sort|1999-05-06|May 6, 1999}}
 
|<ref>{{Cite web |url= http://www.k2news.com/bidn.htm |title=Babu Chiri Sherpa has died 4/29/01 |publisher=EverestNews.com |accessdate=2010-12-13 }}</ref>
 
|-
 
|सबैभन्दा सानो उमेरमा सगरमाथा आरोहण गर्ने स्त्री
 
|१५ वर्षको उमेरमा
 
|मिङ किपा शेर्पा (मिग्मार क्यिद्पा)
 
|{{flagcountry|Nepal}}
 
|{{sort|2003-05-24|May 24, 2003}}
 
|<ref name="New/Old Records">[http://www.everestsummiteersassociation.org/index.php?option=com_content&view=category&layout=blog&id=24&Itemid=27 New/Old Records]</ref><ref name=Glenday2010>{{Citation|title = Guinness World Records 2010: Thousands of New Records in The Book of the Decade!|url = https://books.google.com/books?id=hLYzvUvPL3MC&pg=PA210|year = 2010|author = Glenday, Craig|pages = 210|isbn = 978-0-553-59337-2|accessdate = 2011-07-22}}</ref><ref name="thehimalayantimes.com">{{Citation|title = THT 10 years ago: Ming Kipa's record was happenstance‚ says sister|url = http://www.thehimalayantimes.com/fullNews.php?headline=THT+10+years+ago:+Ming+Kipa%27s+record+was+happenstance%26sbquo;+says+sister&NewsID=378076|year = 2013|accessdate = 2013-05-28}}</ref>
 
|}
 
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==सन्दर्भ सामग्रीहरू==
 
==सन्दर्भ सामग्रीहरू==
 
{{reflist|3}}
 
 
==बाहिरी कडीहरू==
 
==बाहिरी कडीहरू==
 
{{कोलम|2}}
 
* [http://www.indigenousvoice.com/en/indigenous-peoples/16/sherpa.html SHERPA | www.indigenousvoice.com]
 
* [http://www.livescience.com/45029-what-is-a-sherpa.html What is Sherpa? | www.livescience.com]
 
* [http://www.himalisherpa.com हिमाली शेर्पा]
 
* [http://www.tapting.org काठमाडौंमा एक शेर्पा समुदाय]
 
* [http://lacito.vjf.cnrs.fr/vient-de-paraitre/tournadre_dicosherpa.htm शेर्पा शब्दकोश]
 
* [http://www.bergadventures.com/v3_main/Sherpa-Story1.php नेपालको खुम्बु र शेर्पाहरू]
 
* [http://www.sherpakyidug.org/sherpasorigin/ शेर्पा जातिको उत्पति]
 
</div>
 
 
 
==यो पनि हेर्नुहोस==
 
{{कोलम|2}}
 
* [[तामाङ जाति]]
 
* [[पुनेल जाति]]
 
* [[सुनुवार जाति]]
 
* [[मगर जाति]]
 
* [[थकाली जाति]]
 
* [[राउटे जाति]]
 
</div>
 
{{ढाँचा:नेपालका जनजातीहरू}}
 
[[श्रेणी:नेपालका जनजातिहरू]]
 
[[श्रेणी:नेपाल]]
"https://ne.wikipedia.org/wiki/शेर्पा_जाति" बाट अनुप्रेषित