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== सूर्य ग्रहणको समय ऋषि-मुनियहरूका कथन ==
ऋषि-मुनिहरूले सूर्य ग्रहण लागेको समय भोजन गर्न न हुने भनेका छन्, किन भने उनको मान्यता अनुशार [[ग्रहण]]को समयमा कीटाणुहरू बहुल्यताले फैलिन्छन् । खाद्य वस्तु, पानी आदिमा सूक्ष्म जीवाणु एकत्रित भएर दूषित गर्दछन् । यसैले ऋषिहरूले भाँडाहरूमा [[कुश]] राख्नु पर्छ भनेका छन्, ताकियसो सबगर्दा कीटाणुसबै कुशकीटाणुहरू मेंकुशमा एकत्रित होहुन्छन् जाएं और उन्हेंउनलाई ग्रहण केपछि बादफाल्न फेंकासकिन्छ जा सके। पात्रों मेंभाँडहरूमा अग्नि डालकर उन्हेंहालेकर पवित्र बनायाबनाइन्छ जातायसो है ताकिगर्नाले कीटाणु मरमर्छन् जाएं। ग्रहण के बादपछि स्नान करने कागर्नाको विधान इसलिए बनाया गयाबनाइएको ताकि स्नान के दौरानगर्नेबेला शरीर के अंदर ऊष्माभित्र काऊष्माको प्रवाह बढ़ेबढेर, भीतरभीत्र-बाहरबाहिरका के कीटाणुकीटाणुहरू नष्ट हो जाएं और धुल कर बहहुन्छन् जाएं।
 
 
[[पुराण|पुराणोंपुराणहरू]] कीको मान्यता के अनुसार राहु चंद्रमा कोचन्द्रमालाई तथा केतु सूर्यसूर्यलाई कोग्रस्दछ ग्रसता है।यि येदुवै दोनोंछायाँका हीसन्तान छायाहुन् की संतानचन्द्रमा हैं। चंद्रमासूर्यको और सूर्य की छाया केछाँयाका साथ-साथसाथै चलतेजान्छन् हैं। चंद्र ग्रहण केचन्द्र समयग्रहणको कफसमयमा कीकफको प्रधानता बढ़तीबढ्दछ है और मन कीमनको शक्ति क्षीण होती हैहुन्छ, जबकित्यस्तै सूर्य ग्रहण केग्रहणको समयसमयमा जठराग्नि, नेत्र तथा पित्त कीपित्तको शक्ति कमज़ोरकमजोर पड़तीपर्दछ है। गर्भवती स्त्री कोस्त्रीलाई सूर्य-चंद्रचन्द्र ग्रहण नहीं देखनेहेर्न चाहिएहुन्न, क्योंकिकिन उसकेभने दुष्प्रभावउसका सेदुष्प्रभावले शिशु अंगहीनअङ्गहीन होकरभएल विकलांगअपाङ्ग बनबन्न सकता हैसक्छ, गर्भपातगर्भपातको कीसम्भावना संभावनाबढ्न बढ़जान्छ जाती है।यसको इसके लिए गर्भवतीलागी केगर्भवतीकि उदर भाग मेंभागमा [[गोबर]] और [[तुलसी]] काको लेप लगा दिया जाता हैलगाइन्छ, जिससेयसो किगर्नाले राहु-केतु उसकाउसलाई स्पर्श गर्दैनन् करें। ग्रहणग्रहणको के दौरानसमयमा गर्भवती महिलामहिलालाई कोकुनै कुछपनि भीचिज [[कैंची]] या चाकू[[चक्कु]]ले सेकाट्न काटनेरोकिन्छ को मना किया जाता है और किसीकुनै वस्त्रादि को सिलनेसिउन सेबाट रोकापनि जातारोकिन्छ है। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से शिशु के अंग या तो कट जाते हैं या फिर सिल (जुड़) जाते हैं।
 
ग्रहण लगने के पूर्व नदी या घर में उपलब्ध जल से स्नान करके भगवान का पूजन, यज्ञ, जप करना चाहिए। भजन-कीर्तन करके ग्रहण के समय का सदुपयोग करें। ग्रहण के दौरान कोई कार्य न करें। ग्रहण के समय में मंत्रों का जाप करने से सिद्धि प्राप्त होती है। ग्रहण की अवधि में तेल लगाना, भोजन करना, जल पीना, मल-मूत्र त्याग करना, केश विन्यास बनाना, रति-क्रीड़ा करना, मंजन करना वर्जित किए गए हैं। कुछ लोग ग्रहण के दौरान भी स्नान करते हैं। ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके ब्राह्‌मण को दान देने का विधान है। कहीं-कहीं वस्त्र, बर्तन धोने का भी नियम है। पुराना पानी, अन्न नष्ट कर नया भोजन पकाया जाता है और ताजा भरकर पिया जाता है। ग्रहण के बाद डोम को दान देने का अधिक माहात्म्य बताया गया है, क्योंकि डोम को राहु-केतु का स्वरूप माना गया है।
"https://ne.wikipedia.org/wiki/सूर्यग्रहण" बाट अनुप्रेषित