"रवीन्द्रनाथ ठाकुर" का संशोधनहरू बिचको अन्तर

सा बोट: स्वचालित पाठ परिवर्तन (-एशिया +एसिया)
कुनै सम्पादन सारांश छैन
पङ्क्ति १:
[[चित्र:Tagore3.jpg|thumb|right|रवीन्द्रनाथ टेगोर]]
 
'''रवीन्द्रनाथ टेगोर''' वा '''रवीन्द्रनाथ ठाकुर''' ([[बांग्ला]]: রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর ''रोबिन्द्रोनाथ ठाकुर'') ([[7 मई]], [[1861]] [[कोलकाता]], [[भारत]] – [[7 अगस्ट]], [[1941]]) विश्वविख्यात [[कवि]], [[साहित्यकार]], [[दार्शनिक]] र [[भारतीय साहित्य]] का एकमात्र [[नोबेल पुरस्कार]] विजेता हुन्। [[बांग्ला साहित्य]]को माध्यम बाट भारतीय सांस्कृतिक चेतनामा नयाँ ज्यान हाल्ने एक युगद्रष्टा थिए। उनी [[एसिया]] का प्रथम [[नोबेल पुरस्कार]] सम्मानित व्यक्ति हुन्। टेगोर विश्वका एकमात्र त्यस्ता साहित्यकार हुन् जसका दुई रचना दुई अलग देशका राष्ट्रगान बने। [[भारत]]को [[राष्ट्रिय गान|राष्ट्र-गान]] [[जन गण:আপন मन]]সুরে र[[बंगलादेश]]कोদিবে [[राष्ट्रियভরি गान]]সকল [[आमारছিদ্র सोनार बांग्ला]] टेगोरकै रचना हुन्।তার।</big>
 
== सम्मान ==
उनको काव्यरचना [[गीताञ्जलि]] का लागि उनलाई सन् [[1913]]मा साहित्य तर्फको [[नोबेल पुरस्कार]] प्रदान गरियो।
 
== रवीन्द्र साहित्य ==
[[गीताञ्जलि]] बाट एक लोकप्रिय रचनाः
[[गीताञ्जलि]] से एक लोकप्रिय रचनाः
{|style="border:1px; border: thin solid white; background-color:#ffffff; margin:10px;" cellpadding="3"
|-
|
:আমার এ গান ছেড়েছে তার সকল অলংকার,
:তোমার কাছে রাখে নি আর সাজের অহংকার।
:অলংকার যে মাঝে পড়ে মিলনেতে আড়াল করে,
:তোমার কথা ঢাকে যে তার মুখর ঝংকার।
<br />
:তোমার কাছে খাটে না মোর কবির গর্ব করা,
:মহাকবি তোমার পায়ে দিতে যে চাই ধরা।
:জীবন লয়ে যতন করি যদি সরল বাঁশি গড়ি,
:আপন সুরে দিবে ভরি সকল ছিদ্র তার।</big>
||
:आमार ए गान छेडेछे तार शॉकोल ऑलोंकार
Line ३६ ⟶ १७:
 
धोने धान्ये पुष्पे भोरा, आमादेईर बसुन्धरा <br />
ताहार माझे आछे देशेक सकोल देशेर शेरा <br />
ओ जे स्वप्नों दिये तोइरी शे देश स्मृति दिये घेरा <br />
ऐमोन देशटि कोथाये खुंजे पाबे नाको तुमि <br />
सकोल देशेर रानी शे जे आमार जन्मोभूमि - २ ॥धृ॥
 
चन्द्रो सुरजो ग्रोहो तारा कोथाये उजलो ऐमोन धारा <br />