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'''हिमाचल प्रदेश''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]: Himachal Pradesh, [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]]: ਹਿਮਾਚਲ ਪ੍ਰਦੇਸ਼, [[सहायता:IPA|उच्चारण]] {{audio-IPA|Himachal.ogg|[hɪmaːtʃəl prəd̪eːʃ]}}) उत्तर-पश्चिमी [[भारत]] मेंमा स्थित एक राज्य है। यह 21,629 मील² (56019 किमी²) <ref name=area>{{cite web |url = http://www.indianmirror.com/geography/geo9.html| title = भारत के बारे मेंबारेमा सांख्यकीय तथ्य |accessdate = 2006-10-26| publisher = www.indianmirror.com }}</ref> से अधिक क्षेत्रक्षेत्रमा मेंफैलिएको फ़ैला है तथा उत्तर मेंउत्तरमा [[जम्मू कश्मीर]], पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम मेंपश्चिममा [[पंजाब]], दक्षिण मेंदक्षिणमा [[हरियाणा]] एवं [[उत्तर प्रदेश]], दक्षिण-पूर्व मेंपूर्वमा [[उत्तराखण्ड]] तथा पूर्व मेंपूर्वमा [[तिब्बत]] से घिरा हुआ है। हिमाचल प्रदेश का शाब्दिक अर्थ ''बर्फ़ीले पहाड़ों का प्रांत'' है। <ref name=hplm1>{{cite web |url = http://www.himachalpradesh.us/geography/himalayas_in_himachal.php |title = हिमाचल प्रदेश का शाब्दिक अर्थ |accessdate = 2007-05-20 |publisher = www.himachalpradesh.us}}</ref>
हिमाचल प्रदेश को '''देव भूमि''' भी कहा जाता है। इस क्षेत्र मेंक्षेत्रमा आर्यों का प्रभाव [[वेद|ऋग्वेद]] से भी पुराना है। आंग्ल-गोरखा युद्ध के बाद, यह ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के हाथ में मा आ गया। सन 1857 तक यह [[महाराजा रणजीत सिंह]] के शासन के अधीन पंजाब राज्य (पंजाब हिल्स के सीबा राज्य को छोड़कर) का हिस्सा था।<ref name=bsahis123>{{cite web
|url = http://www.webindia123.com/himachal/history/history.htm
|title = हिमाचल का इतिहास
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|publisher = Suni system (P)
}}</ref>
सन 1950 मे मा इसे [[केन्द्र शासित प्रदेश]] बनाया गया, लेकिन 1971 मे मा इसे, [[हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम-1971]] के अन्तर्गत इसे 25 जून 1971 को भारत का अठारहवाँ राज्य बनाया गया।
हिमाचल प्रदेश की [[प्रतिव्यक्ति आय]] भारत के किसी भी अन्य राज्य की तुलना मेंतुलनामा अधिक है। बारहमासी नदियों की बहुतायत के कारण, हिमाचल अन्य राज्यों को [[पनबिजली]] बेचता है जिनमेजसमा प्रमुख हैं [[दिल्ली]], [[पंजाब]] और [[राजस्थान]]। राज्य की अर्थव्यवस्था तीन प्रमुख कारकों पर निर्भर करती है जो हैं, पनबिजली, [[पर्यटन]] और [[कृषि]]। <ref>[http://www.yesbank.in/downloads/KnowledgeBank_17Jan06/YESBANK_Knowledge_ExecutiveSummary_Himachal.pdf हिमाचल प्रदेश मेंप्रदेशमा अर्थव्यवस्था विकास] yesbank.in अभिगमन तिथी- April 2008</ref>
हिंदु राज्य की जनसंख्या का 95% हैं और प्रमुख समुदायों मेसमुदायहरुमा ब्राह्मण, राजपूत, कन्नेत, राठी और कोली शामिल हैं। ट्रान्सपरेन्सी इंटरनैशनल के 2005 के सर्वेक्षण के अनुसार, हिमाचल प्रदेश देश मेंदेशमा केरल के बाद दूसरी सबसे कम भ्रष्ट राज्य है।<ref>{{cite web| url = http://www.transparency.org/regional_pages/asia_pacific/newsroom/news_archive__1/india_corruption_study_2005 | title= भारतीय भ्रष्टाचार अध्ययन - 2005 | publisher=Transparency International | accessdate=2007-05-29}}</ref>
 
==इतिहास==
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|<!--col7-->[[File:Narasimha Temple, Brahmaur, Chamba.jpg|199x70px]]
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हिमाचल प्रदेश का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना कि मानव अस्तित्व का अपना इतिहास है। इस बात की सत्यता के प्रमाण हिमाचल प्रदेश के विभिन्न भागों मेंभागहरुमा हुई खुदाई मेंमा प्राप्त सामग्रियों से मिलते हैं। प्राचीनकाल मेंप्राचीनकालमा इस प्रदेश के आदि निवासी दास, दस्यु और निषाद के नाम से जाने जाते थे। उन्नीसवीं शताब्दी मेंशताब्दीमा रणजीत सिंह ने इस क्षेत्र के अनेक भागों को अपने राज्य मेंराज्यमा मिला लिया। जब अंग्रेज यहां आए, तो उन्होंने गोरखा लोगों को पराजित करके कुछ राजाओं की रियासतों को अपने साम्राज्य मेंसाम्राज्यमा मिला लिया।
 
*'''शिमला हिल स्टेट्स की स्थापना'''
1945 ई. तक प्रदेश भर मेंभरमा प्रजा मंडलों का गठन हो चुका था। 1946 ई. मेंमा सभी प्रजा मंडलों को एचएचएसआरसी मेंमा शामिल कर लिया तथा मुख्यालय मंडी मेंमा स्थापित किया गया। मंडी के स्वामी पूर्णानंद को अध्यक्ष, पदमदेव को सचिव तथा शिव नंद रमौल (सिरमौर) को संयुक्त सचिव नियुक्त किया। एचएचएसआरसी के नाहन मेंमा 1946 ई. मेंमा चुनाव हुए, जिसमेंजसमा यशवंत सिंह परमार को अध्यक्ष चुना गया। जनवरी, 1947 ई. मेंमा राजा दुर्गा चंद (बघाट) की अध्यक्षता मेंअध्यक्षतामा शिमला हिल्स स्टेट्स यूनियन की स्थापना की गई। जनवरी, 1948 ई. मेंमा इसका सम्मेलन सोलन मेंमा हुआ। हिमाचल प्रदेश के निर्माण की घोषणा इस सम्मेलन मेंसम्मेलनमा की गई। दूसरी तरफ प्रजा मंडल के नेताओं का शिमला मेंमा सम्मेलन हुआ, जिसमेंजसमा यशवंत सिंह परमार ने इस बात पर जोर दिया कि हिमाचल प्रदेश का निर्माण तभी संभव है, जब शक्ति प्रदेश की जनता तथा राज्य के हाथ सौंप दी जाए। शिवानंद रमौल की अध्यक्षता मेंअध्यक्षतामा हिमालयन प्लांट गर्वनमेंट की स्थापना की गई, जिसका मुख्यालय शिमला मेंशिमलामा था। दो मार्च, 1948 ई. को शिमला हिल स्टेट के राजाओं का सम्मेलन दिल्ली मेंदिल्लीमा हुआ। राजाओं की अगवाई मंडी के राजा जोगेंद्र सेन कर रहे थे। इन राजाओं ने हिमाचल प्रदेश मेंप्रदेशमा शामिल होने के लिए 8 मार्च, 1948 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। 15 अप्रैल, 1948 ई. को हिमाचल प्रदेश राज्य का निर्माण किया था। उस समय प्रदेश भर को चार जिलों मेंजिल्लाहरुमा बांटा गया और पंजाब हिल स्टेट्स को पटियाला और पूर्व पंजाब राज्य का नाम दिया गया। 1948 ई. मेंमा सोलन की नालागढ़ रियासत कों शामिल किया गया। अप्रैल 1948 मेंमा इस क्षेत्र की 27,000 वर्ग कि.मी. मेंमा फैलीफैलिएको लगभग 30 रियासतों को मिलाकर इस राज्य को [[केंद्र शासित प्रदेश]] बनाया गया।
*'''1950 ई. मेंमा प्रदेश का पुनर्गठन'''
1950 ई. मेंमा प्रदेश के पुनर्गठन के अंतर्गत प्रदेश की सीमाओं का पुनर्गठन किया गया। कोटखाई को उपतहसील का दर्जा देकर खनेटी, दरकोटी, कुमारसैन उपतहसील के कुछ क्षेत्र तथा बलसन के कुछ क्षेत्र तथा बलसन के कुछ क्षेत्र कोटखाई मेंमा शामिल किए गए। कोटगढ़ को कुमारसैन उपतहसील मेंउपतहसीलमा मिला गया। उत्तर प्रदेश के दो गांव संगोस और भांदर जुब्बल तहसील मेंतहसीलमा शामिल कर दिए गए। पंजाब के नालागढ़ से सात गांव लेकर सोलन तहसील मेंतहसीलमा शामिल गए गए। इसके बदले मेंबदलामा शिमला के नजदीक कुसुम्पटी, भराड़ी, संजौली, वाक्ना, भारी, काटो, रामपुर। इसके साथ ही पेप्सी (पंजाब) के छबरोट क्षेत्र कुसुम्पटी तहसील मेंतहसीलमा शामिल कर दिया गया।
*'''बिलासपुर जिला का विलय'''
बिलासपुर रियासत को 1948 ई. मेंमा प्रदेश से अलग रखा गया था। उन दिनों इस क्षेत्र मेंक्षेत्रमा भाखड़ा-बांध परियोजना का कार्य चलाने के कारण इसे प्रदेश मेंप्रदेशमा अलग रखा गया। एक जुलाई, 1954 ई. को कहलूर रियासत को प्रदेश मेंप्रदेशमा शामिल करके इसे बिलासपुर का नाम दिया गया। उस समय बिलासपुर तथा घुमारवीं नामक दो तहसीलें बनाई गईं। यह प्रदेश का पांचवां जिला बना। 1954 मेंमा जब ‘ग’ श्रेणी की [[रियासत]] बिलासपुर को इसमेंयसमा मिलाया गया, तो इसका क्षेत्रफल बढ़कर 28,241 वर्ग कि.मी.हो गया।
*'''किन्नौर जिला की स्थापना'''
एक मई, 1960 को छठे जिला के रूप मेंरूपमा किन्नौर का निर्माण किया गया। इस जिला मेंमा महासू जिला की चीनी तहसील तथा रामपुर तहसील को 14 गांव शामिल गए गए। इसकी तीन तहसीलें कल्पा, निचार और पूह बनाई गईं।
*'''पंजाब का पुनर्गठन'''
वर्ष 1966 मेंमा पंजाब का पुनर्गठन किया गया तथा पंजाब व हरियाणा दो राज्य बना दिए गए। भाषा तथा तिहाड़ी क्षेत्र के पंजाब से लेकर हिमाचल प्रदेश मेंप्रदेशमा शामिल कर दिए गए। संजौली, भराड़ी, कुसुमपटी आदि क्षेत्र जो पहले पंजाब मेंपंजाबमा थे तथा नालागढ़ आदि जो पंजाब मेंपंजाबमा थे, उन्हें पुनः हिमाचल प्रदेश मेंप्रदेशमा शामिल कर दिया गया। सन 1966 मेंमा इसमेंयसमा [[पंजाब]] के पहाड़ी क्षेत्रों को मिलाकर इसका पुनर्गठन किया गया तो इसका क्षेत्रफल बढ़कर 55,673 वर्ग कि.मी. हो गया।
*'''1972 ई. मेंमा पुनर्गठन'''
हिमाचल प्रदेश को पूर्ण [[राज्य]] का दर्जा २५ जनवरी, १९७१ को मिला। 1 नवंबर, 1972 को कांगड़ा ज़िले के तीन ज़िले कांगड़ा, ऊना तथा हमीरपुर बनाए गए। महासू ज़िला के क्षेत्रोंक्षेत्र में सेबाट सोलन ज़िला बनाया गया।
 
== भूगोल ==
{{main|हिमाचल प्रदेश का भूगोल}}
 
हिमाचल प्रदेश [[हिमालय]] पर्वत की [[शिवालिक]] श्रेणी का हिस्सा है। शिवालिक पर्वत श्रेणी से ही [[घग्गर]] नदी निकलती है। राज्य की अन्य प्रमुख नदियों मेंमा [[सतलुज]] और [[व्यास]] शामिल है। '''हिमाचल''' [[हिमालय]] का सुदूर उत्तरी भाग [[लद्दाख]] के ठंडे मरुस्थल का विस्तार है और लाहौल एवं स्पिति जिले के स्पिति उपमंडल मेंउपमंडलमा है। हिमालय की तीनों मुख्य पर्वत श्रंखलाएँ, बृहत हिमालय, लघु हिमालय; जिन्हें हिमाचल मेंहिमाचलमा [[धौलाधार]] और [[उत्तरांचल]] में मा नागतीभा कहा जाता है और उत्तर-दक्षिण दिशादिशामा में फैलीफैलिएको [[शिवालिक]] श्रेणी, इस हिमालय खंड मेंखंडमा स्थित हैं। लघु हिमालय मेंहिमालयमा 1000 से 2000 मीटर ऊँचाई वाले पर्वत ब्रिटिश प्रशासन के लिए मुख्य आकर्षण केंद्र रहे हैं।
 
===नदियां===
 
हिमाचल प्रदेश मेंप्रदेशमा पांच प्रमुख नदियां बहती हैं। हिमाचल प्रदेश मेंप्रदेशमा बहने वाले पांचों नदियां एवं छोटे-छोटे नाले बारह मासी हैं। इनके स्रोत बर्फ से ढकी पहाडि़यों मेंपहाडमा स्थित हैं। हिमाचल प्रदेश मेंप्रदेशमा बहने वाली पांच नदियोंनदिहरु में सेमध्ये चार का उल्लेख ऋग्वेद मेंऋग्वेदमा मिलता है। उस समय ये अन्य नामों से जानी जाती थीं जैसे अरिकरी (चिनाब) पुरूष्णी (रावी), अरिजिकिया (ब्यास) तथा शतदुई (सतलुज) पांचवी नदी यमुना जो यमुनोत्तरी से निकलती है उसका सूर्य देव से पौराणिक संबंध दर्शाया जाता है।
 
'''रावी नदीः''' रावी नदी का प्राचीन नाम ‘इरावती और परोष्णी’ है। रावी नदी मध्य [[हिमालय]] की धौलाधार शृंखला की शाखा बड़ा भंगाल से निकलती है। रावी नदी ‘भादल’ और ‘तांतागिरि’ दो खड्डों से मिलकर बनती है। ये खड्डें बर्फ पिघलने से बनती है। यह नदी चंबा से खेड़ी के पास [[पंजाब]] मेंमा प्रवेश करती है और पंजाब से [[पाकिस्तान]] मेंमा प्रवेश करती है। यह भरमौर और [[चंबा]] शहर मेंसहरमा बहती है। यह बहुत ही उग्र नदी है। इसकी सहायक नदियां तृण दैहण, बलजैडी,स्यूल, साहो, चिडाचंद, छतराड़ी और बैरा हैं। इसकी लंबाई 720 किलोमीटर है, परंतु हिमाचल मेंहिमाचलमा इसकी लंबाई 158 किलोमीटर है। सिकंदर महान के साथ आए यूनानी इतिहासकार ने इसे ‘हाइड्रास्टर और रहोआदिस’ का नाम दिया था।
 
'''ब्यास नदीः''' ब्यास नदी का पुराना नाम ‘अर्जिकिया’ या ‘विपाशा’ था। यह [[कुल्लू]] मेंमा व्यास कुंड से निकलती है। व्यास कुंड पीर पंजाल पर्वत शृंखला मेंशृंखलामा स्थित रोहतांग दर्रे मेंमा है। यह [[कुल्लू]], [[मंडी]], [[हमीरपुर]] और [[कांगड़ा]] मेंमा बहती है। कांगड़ा से मुरथल के पास पंजाब मेंपंजाबमा चली जाती है। [[मनाली]], [[कुल्लू]], बजौरा, औट, पंडोह, [[मंडी]], सुजानपुर टीहरा, नादौन और देहरा गोपीपुर इसके प्रमुख तटीय स्थान हैं। इसकी कुल लंबाई 460 कि.मी. है। हिमाचल मेंहिमाचलमा इसकी लंबाई 260 कि.मी. है। कुल्लू मेंमा पतलीकूहल, पार्वती, पिन, मलाणा-नाला, फोजल, सर्वरी और सैज इसकी सहायक नदियां हैं। कांगड़ा मेंकांगडामा सहायक नदियां बिनवा न्यूगल, गज और चक्की हैं। इस नदी का नाम महर्षि ब्यास के नाम पर रखा गया है। यह प्रदेश की जीवनदायिनी नदियोंनदिहरु मेंमध्ये से एक है।
 
'''चिनाव नदीः''' चिनाव नदी जम्मू-कश्मीर से होती हुई पंजाब राज्य मेंराज्यमा बहने वाली नदी है। पानी के घनत्व की दृष्टि से यह प्रदेश की सबसे बड़ी नदी है। यह नदी समुद्र तल से लगभग 4900 मीटर की ऊंचाई पर बारालाचा दर्रे (लाहौल स्पीति) के पास से निकलने वाली चन्द्रा और भागा नदियों के तांदी नामक स्थान पर मिलने से बनती है। इस नदी को वैदिक साहित्य मेंसाहित्यमा ‘अश्विनी’ नाम से संबोधित किया गया है। ऊपरी हिमालय पर टांडी मेंमा ‘चन्द्र’ और ‘भागा’ नदियां मिलती हैं, जो चिनाव नदी कहलाती है। महाभारत काल मेंकालमा इस नदी का नाम ‘चंद्रभागा’ भी प्रचलित हो गया था। ग्रीक लेखकों ने चिनाव नदी को ‘अकेसिनीज’ लिखा है, जो अश्विनी का ही स्पष्ट रूपांतरण है। चंद्रभागा नदी मानसरोवर (तिब्ब्त) के निकट चंद्रभागा नामक पर्वत से निस्तृत होती है और सिंधु नदी मेंनदीमा गिर जाती है। चिनाव नदी की ऊपरी धारा को चद्रभागा कहकर, पुःन शेष नदी का प्राचीन नाम अश्विनी कहा गया है। इस नदी को हिमाचल से अदभुत माना गया है। इस नदी का तटवर्ती प्रदेश पूर्व गुप्त काल मेंकालमा म्लेच्छों तथा यवन शव आदि द्वारा शासित था।
 
==जलवायु==
{{main|हिमाचल प्रदेश की जलवायु}}
हिमाचल मेंहिमाचलमा तीन ऋतुएं होती हैं - ग्रीष्म ऋतु, शरद ऋतु और वर्षा ऋतु। हिमाचल प्रदेश की समुद्रतल से ऊंचाई की विविधता के कारण जलवायुजलवायुमा में भीपनि भिन्नता है। कहीं सारा वर्ष [[बर्फ]] गिरती है, तो कहीं [[गर्मी]] होती हे। हिमाचल मेंहिमाचलमा गर्म पानी के चशमें भी हैं और हिमनद भी है। ऐसा समुद्रतल से ऊंचाई की भिन्नता की वजह से है।
 
== कृषि ==
{{main|कृषि (हिमाचल प्रदेश)}}
 
[[कृषि]] हिमाचल प्रदेश का प्रमुख [[व्‍यवसाय]] है। यह राज्‍य की [[अर्थव्‍यवस्‍था]] में मा महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह 69 प्रतिशत कामकाजी आबादी को सीधा रोजगार मुहैया कराती है। कृषि और उससे संबंधित क्षेत्र से होने वाली आय प्रदेश के कुल घरेलू उत्‍पाद का 22.1 प्रतिशत है। कुल भौगोलिक क्षेत्र 55.673 लाख हेक्‍टेयर में सेमध्ये 9.79 लाख हेक्‍टेयर भूमि के स्‍वामी 9.14 लाख किसान हैं। मंझोले और छोटे किसानो के पास कुल भूमि का 86.4 प्रतिशत भाग है। राज्‍य मेंराज्‍यमा कृषि भूमि केवल 10.4 प्रतिशत है। लगभग 80 प्रतिशत क्षेत्र वर्षा-सिंचित है और किसान इंद्र देवता पर निर्भर रहते हैं।
 
=== बागवानी ===
 
प्रकृति ने हिमाचल प्रदेश को व्‍यापक कृषि जलवायु परिस्थितियां प्रदान की हैं जिसकी वजह से किसानों को विविध फल उगाने में मा सहायता मिली है। बागवानी के अंतर्गत आने वाले प्रमुख फल हैं-[[सेब]], [[नाशपाती]], [[आडू]], [[बेर]], [[खूमानी]], गुठली वाले फल, [[नींबू]] प्रजाति के फल, [[आम]], [[लीची]], [[अमरूद]] और झरबेरी आदि। 1950 में मा केवल 792 हेक्‍टेयर क्षेत्र [[बागवानी]] के अंतर्गत था, जो बढ़कर 2.23 लाख हेक्‍टेयर हो गया है। इसी तरह,1950 में मा फल उत्‍पादन 1200 मीट्रिक टन था, जो 2007 में मा बढकर 6.95 लाख टन हो गया है।
 
=== वानिकी ===
 
राज्‍य का कुल भौगोलिक [[क्षेत्रफल]] 55,673 वर्ग किलोमीटर है। वन रिकार्ड के अनुसार कुल वन क्षेत्र 37,033 वर्ग किलोमीटर है। इसमेंयस सेमध्ये 16,376 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र ऐसा है जहां पहाड़ी [[चरागाह]] वाली वनस्‍पतियां नहीं उगाई जा सकतीं क्‍योंकि यह स्‍थायी रूप से [[बर्फ]] से ढका रहता है।
 
राज्‍य मेंराज्‍यमा 2 राष्‍ट्रीय पार्क और 32 वन्‍यजीवन [[अभयारण्‍य]] हैं। वन्‍यजीवन अभयारण्‍य के अंतर्गत कुल क्षेत्र 5,562 कि.मी., राष्‍ट्रीय पार्क के अंतर्गत 1,440 कि.मी. है। इस तरह कुल संरक्षित क्षेत्र 7,002 कि.मी. है।
 
== सड़कें ==
 
हिमाचल प्रदेश राज्‍य मेंराज्‍यमा यहां की सड़कें ही यहां की जीवन रेखा हैं और ये [[संचार]] के प्रमुख साधन हैं। इसके 55,673 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में सेमध्ये 36,700 किलोमीटर मेंकिलोमीटरमा बसाहट है, जिसमेंजस सेमध्ये 16,807 गांव अनेक पर्वतीय श्रृखलाओं और घाटियों के ढलानों पर फैले हुए हैं। जब यह राज्‍य 1948 में अस्तित्‍वमा मेंअस्तित्‍वमा आया, तो यहां केवल 288 कि.मी. लंबी सड़कें थीं जो 15 अगस्‍त 2007 तक बढ़कर 30,264 हो गई हैं।
 
== सिंचाई और जलापूर्ति ==
 
साल 2007 तक हिमाचल प्रदेश मेंप्रदेशमा कुल बुवाई क्षेत्र 5.83 लाख हेक्‍टेयर था। गांवों में मा पीने के पानी की सुविधा उपलब्‍ध कराई गई और अब तक राज्‍य मेंराज्‍यमा 14,611 हैंडपंप लगाए जा चुके हैं। हिमाचल प्रदेश मेंप्रदेशमा भूजल की उलब्धता 36,615.92 हैक्टेयर मीटर (है.मी.) है।<ref>http://hindi.indiawaterportal.org/ केंद्रीय भूजल बोर्ड</ref>
 
== पर्यटन ==
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|<!--col8-->[[File:Kufri Simla Himachal Inida (12).JPG|199x70px]]
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[[पर्यटन]] उद्योग को हिमाचल प्रदेश मेंप्रदेशमा उच्‍च प्राथमिकता दी गई है और हिमाचल सरकार ने इसके विकास के लिए समुचित ढांचा विकसित किया है जिसमेंजसमा जनोपयोगी सेवाएं, सड़कें, संचार तंत्र हवाई अड्डे यातायात सेवाएं, जलापूर्ति और जन स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं शामिल है। राज्‍य पर्यटन विकास निगम राज्‍य की आय मेंआयमा 10 प्रतिशत का योगदान करता है।
राज्‍य मेंराज्‍यमा तीर्थो और नृवैज्ञानिक महत्‍व के स्‍थलों का समृद्ध भंडार है। राज्‍य को व्‍यास, पाराशर, वसिष्‍ठ, मार्कण्‍डेय और लोमश आदि ऋषियों के निवास स्‍थल होने का गौरव प्राप्‍त है। गर्म पानी के स्रोत, ऐतिहासिक दुर्ग, प्राकृतिक और मानव निर्मित झीलें, उन्‍मुक्‍त विचरते चरवाहे पर्यटकों के लिए असीम सुख और आनंद का स्रोत हैं।
 
=== पर्यटन आकर्षण ===
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'''चंबा घाटी'''
 
[[चंबा]] घाटी (915 मीटर) की ऊंचाई पर [[रावी]] नदी के दाएं किनारे पर है। पुराने समय मेंसमयमा राजशाही का [[राज्‍य]] होने के नाते यह लगभग एक शताब्‍दी पुराना राज्‍य है और 6वीं शताब्‍दी से इसका [[इतिहास]] मिलता है। यह अपनी भव्‍य [[वास्‍तुकला]] और अनेक रोमांचक यात्राओं के लिए एक आधार के तौर पर विख्‍यात है।
 
'''डलहौज़ी'''
 
पश्चिमी हिमाचल प्रदेश मेंप्रदेशमा [[डलहौज़ी]] नामक यह पर्वतीय स्‍थान पुरानी दुनिया की चीजों से भरा पड़ा है और यहां राजशाही युग की भाव्‍यता बिखरी पड़ी है। यह लगभग 14 वर्ग किलो मीटर फैला है और यहां काठ लोग, पात्रे, तेहरा, बकरोटा और बलूम नामक 5 पहाडियां है। इसे 19वीं शताब्‍दी मेंशताब्‍दीमा ब्रिटिश गवर्नर जनरल, लॉड डलहौज़ी के नाम पर बनाया गया था। इस कस्‍बे की ऊंचाई लगभग 525 मीटर से 2378 मीटर तक है और इसके आस पास विविध प्रकार की वनस्‍पति-पाइन, देवदार, ओक और फूलों से भरे हुए रोडो डेंड्रॉन पाए जाते हैं डलहौज़ी मेंमा मनमोहक उप निवेश यु‍गीन वास्‍तुकला है जिसमेंजसमा कुछकेही सुंदर [[गिरजाघर]] शामिल है। यह मैदानों के मनोरम दृश्‍यों को प्रस्‍तुत करने के साथ एक लंबी रजत रेखा के समान दिखाई देने वाले रावी नदी के साथ एक अद्भुत दृश्‍य प्रदर्शित करता है जो घूम कर डलहौज़ी के नीचे जाती है। बर्फ से ढका हुआ [[धोलाधार]] पर्वत भी इस कस्‍बे से साफ दिखाई देता है।
 
'''धर्मशाला'''
 
[[धर्मशाला]] की ऊंचाई 1,250 मीटर (4,400 फीट) और 2,000 मीटर (6,460 फीट) के बीच है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, जहां पाइन के ऊंचे पेड़, [[चाय]] के [[बागान]] और इमारती लकड़ी पैदा करने वाले बड़े वृक्ष ऊंचाई, शांति तथा पवित्रता के साथ यहां खड़े दिखाई देते हैं। वर्ष 1960 से, जब से [[दलाई लामा]] ने अपना अस्‍थायी [[मुख्‍यालय]] यहां बनाया, [[धर्मशाला]] की अंतरराष्‍ट्रीय ख्‍याति भारत के छोटे [[ल्‍हासा]] के रूप मेंरूपमा बढ़ गई है।
 
'''कुफरी'''
 
अनंत दूरी तक चलता आकाश, बर्फ से ढकी चोटियां, गहरी घाटियां और मीठे पानी के झरने, [[कुफरी]] में मा यह सब है । यह पर्वतीय स्‍थान [[शिमला]] के पास समुद्री तल से 2510 मीटर की ऊंचाई पर हिमाचल प्रदेश के दक्षिणी भाग मेंभागमा स्थित है। कुफरी मेंकुफरीमा ठण्‍ड के मौसम मेंमौसममा अनेक खेलों का आयोजन किया जाता है जैसे स्‍काइंग और टोबोगेनिंग के साथ चढ़ाडयों पर चढ़ना। ठण्‍ड के मौसम मेंमौसममा हर वर्ष खेल कार्निवाल आयोजित किए जाते हैं और यह उन पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है जो केवल इन्‍हें देखने के लिए यहां आते हैं। यह स्‍थान ट्रेकिंग और पहाड़ी पर चढ़ने के लिए भी जाना जाता है जो रोमांचकारी खेल प्रेमियों का आदर्श स्‍थान है।
 
'''मनाली'''
 
[[कुल्‍लू]] से उत्तर दिशा मेंदिशामा केवल 40 किलो मीटर की दूरी पर लेह की ओर जाने वाले राष्‍ट्रीय राजमार्ग पर घाटी के सिरे के पास [[मनाली]] स्थित है। लाहुल, स्‍पीति, बारा भंगल (कांगड़ा) और जनस्‍कर पर्वत श्रृंखला पर चढ़ाई करने वालों के लिए यह एक मनपसंद स्‍थान है। मंदिरों से अनोखी चीजों तक, यहां से मनोरम दृश्‍य और रोमांचकारी गतिविधियां मनाली को हर मौसम और सभी प्रकार के यात्रियों के बीच लोकप्रिय बनाती हैं।
 
 
'''कुल्‍लू'''
 
[[कुल्लू]] घाटी को पहले कुलंथपीठ कहा जाता था। कुलंथपीठ का शाब्दिक अर्थ है रहने योग्‍य दुनिया का अंत। कुल्‍लू घाटी भारत मेंभारतमा देवताओं की घाटी रही है। यहां के मंदिर, सेब के बागान और दशहरा हजारों पर्यटकों को कुल्‍लू की ओर आकर्षित करते हैं। यहां के स्‍थानीय [[हस्‍तशिल्‍प]] कुल्‍लू की सबसे बड़ी विशेषता है।
 
'''शिमला'''
 
हिमाचल प्रदेश की [[राजधानी]] और ब्रिटिश कालीन समय मेंसमयमा ग्रीष्‍म कालीन राजधानी [[शिमला]] राज्‍य का सबसे महत्‍वपूर्ण पर्यटन केन्‍द्र है। यहां का नाम देवी '''श्‍यामला''' के नाम पर रखा गया है जो काली का अवतार है। शिमला लगभग 7267 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और यह अर्ध चक्र आकार मेंआकारमा बसा हुआ है। यहां घाटी का सुंदर दृश्‍य दिखाई देता है और महान हिमालय पर्वती की चोटियां चारों ओर दिखाई देती है। शिमला एक पहाड़ी पर फैला हुआ है जो करीब 12 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र मेंक्षेत्रमा है। इसके पड़ोस मेंमा घने जंगल और टेढ़े-मेढे़ रास्ते हैं, जहां पर हर मोड़ पर मनोहारी दृश्य देखने को मिलते हैं। यह एक आधुनिक व्यावसायिक केंद्र भी है। शिमला विश्व का एक महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। यहां प्रत्येक वर्ष देश-विदेश से बड़ी संख्या मेंमा लोग भ्रमण के लिए आते हैं। बर्फ से ढकी हुई यहां की पहाडि़यों मेंपहाडहरुमा बड़े सुंदर दृश्य देखने को मिलते हैं जो पर्यटकों को बार-बार आने के लिए आकर्षित करते हैं। शिमला संग्रहालय हिमाचल प्रदेश की कला एवं संस्कृति का एक अनुपम नमूना है, जिसमेंजसमा यहां की विभिन्न कलाकृतियां विशेषकर वास्तुकला, पहाड़ी कलम, सूक्ष्म कला, लकडि़यों पर की गई नक्काशियां, आभूषण एवं अन्य कृतियां संग्रहित हैं। शिमला मेंशिमलामा दर्शनीय स्थलों के अतिरिक्त कई अध्ययन केंद्र भी हैं, जिनमेंजसमा लार्ड डफरिन द्वारा 1884-88 मेंमा निर्मित भारतीय उच्च अध्ययन केंद्र बहुत ही प्रसिद्ध है। यहां कुछ ऐतिहासिक सरकारी भवन भी हैं, जैसे वार्नेस कोर्ट, गार्टन कैसल व वाइसरीगल लॉज ये भी बड़े ही दर्शनीय स्थल हैं। चैडविक झरना भी एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। इसके साथ ही ग्लेन नामक स्थल भी है। इसके समीप बहता हुआ झरना और सदाबहार जंगल बहुत ही आकर्षक हैं।
 
== राजनीति ==
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|}
 
वर्ष 1971 में मा हिमाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा मिलने के बाद यहां [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|कांग्रेस]] और [[भारतीय जनता पार्टी|भाजपा]] की बारी-बारी से सरकार बनती रही है।
*'''विधान सभा'''
{{main|हिमाचल प्रदेश विधान सभा}}
'''हिमाचल प्रदेश विधान सभा''' शिमला मेंशिमलामा स्थित है। वर्तमान हिमाचल प्रदेश विधानसभा एकसदनीय है।
 
*'''विधानसभा चुनाव २०१२'''
{{main|हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2012}}
नवम्बर २०१२ मे मा हिमाचल प्रदेश की हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए हुआ चुनाव था।
[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|कांग्रेस]] ने इस चुनाव में मा जीत हासिल की। ६८ सीटो में सीटहरु सेमध्ये ३६ सीट जीत कर [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|कांग्रेस]] पार्टी ने सरकार बनाई।
 
{| class="wikitable" border="1" align="center" cellpadding="3" cellspacing="1" width="560" style="margin: 0 0 1em 1em; background: #F4F5F6; border: 1px #C6C7C8 solid; border-collapse: collapse; font-size: 90%"
पङ्क्ति १७९:
{{main|हिमाचल प्रदेश सरकार}}
 
नवम्बर २०१२ मेमा [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|कांग्रेस]] ने राज्य का [[विधानसभा]] चुनाव जीता। [[वीरभद्र सिंह]] राज्य के मुख्यमंत्री बने।
 
*'''मुख्यमंत्री'''
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*'''लोकसभा'''
 
लोकसभा मेंलोकसभामा [[हिमाचल प्रदेश]] के ४ निर्वाचन क्षेत्र हैं। [[कांगड़ा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र| कांगड़ा]], [[मंडी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र| मंडी ]], [[शिमला लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र| शिमला]] और [[हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश) लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र| हमीरपुर]]। हिमाचल प्रदेश से चार सदस्य चुने जाते हैं। प्रदेश विधानसभा मेंविधानसभामा 68 विधानसभा चुनाव क्षेत्र हैं। लोकसभा के चार चुनाव क्षेत्रों के अंतर्गत प्रत्येक चुनाव क्षेत्र मेंक्षेत्रमा 17-17 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। लाहुल-स्पीति, किन्नौर तथा भरमौर जनजातीय क्षेत्र हैं और ठंडे व दुर्गम क्षेत्र हैं। इस कारण इन क्षेत्रों मेंक्षेत्रमा चुनाव प्रायः गर्मियों मेंगर्मीमा करवाए जाते हैं।
 
== परिवहन ==
{{main|हिमाचल की परिवहन व्यवस्था}}
 
सड़क मार्ग इस राज्य की यातायात का मुख्य माध्यम है। परंतु [[मानसून]] और ठंड के मौसम मेंमौसममा [[भू-स्खलन]] और अन्य वजहों से यह काफी बाधित होता है।
 
== हिमाचल प्रदेश के जिले ==
पङ्क्ति २०४:
{{Image label|x=0.770|y=0.560 |scale=250|text=[[किन्नौर जिला|किन्नौर]]}}
{{Image label|x=0.510|y=0.450 |scale=250|text=[[कुल्लू जिला|कुल्लू]]}}
{{Image label|x=0.520|y=0.270 |scale=250|text=[[लाहौल और स्पीती जिला|लाहौल और स्पीती]]}}
{{Image label|x=0.410|y=0.570 |scale=250|text=[[मंडी जिला|मंडी]]}}
{{Image label|x=0.573|y=0.684 |scale=250|text=[[शिमला जिला|शिमला]]}}
पङ्क्ति २२२:
| [[उना जिला]] || [[चंबा जिला]]
|-
| [[लाहौल और स्पीती जिला]] || [[सिरमौर जिला]]
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| [[किन्नौर जिला]] || [[कुल्लू जिला]]
पङ्क्ति २३३:
[[चित्र:A Village near Trilokinath temple, Lahaul.jpg|thumb|right|225px|लाहौल के निकट गांव]]
 
भारत की 2011 जनगणना के अनुसार हिमाचल प्रदेश की कुल जनसंख्या 6,856,509 है। इनमेंयसमा पुरुषों की जनसंख्या 3,473,892 तथा महिलाओं की जनसंख्या 3,382,617 है। 2011 की जनगणना आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश का लिंग अनुपात 974/1000 और साक्षरता दर 83.78% है।
{| class="wikitable" border="1" align="center" cellpadding="3" cellspacing="1" width="500" style="margin-left:5px; background: #F4F5F6; border: 1px #C6C7C8 solid; border-collapse: collapse; font-size: 100%"
|-
! क्र.सं !! जिला !! क्षेत्रफल किमी² मे मा !! जनसंख्या !! मुख्यालयसदर मुकाम
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! 1
पङ्क्ति २५७:
|-
! 7
| [[लाहौल और स्पीती जिला|लाहौल और स्पीती]] || 13,835 || 31,528 || [[केलोन्ग]]
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! 8
पङ्क्ति २७८:
{{main|हिमाचल प्रदेश की संस्कृति}}
 
राज्य की प्रमुख भाषाओं मेंभाषाहरुमा [[हिन्दी]], [[काँगड़ी]], [[पहाड़ी]], [[पंजाबी]], और [[मंडियाली]] शामिल हैं.हैं। [[हिन्दू]], [[बौद्ध]] और [[सिख]] यहाँ के प्रमुख धर्म हैं। पश्चिम मेंपश्चिममा [[धर्मशाला]], [[दलाई लामा]] की शरण स्थली है।
 
==पहाड़ी चित्रकला==
हिमाचल प्रदेश मेंप्रदेशमा चित्रकला का इतिहास काफी समृद्ध रहा है। प्रदेश की चित्रकला का राष्ट्र के [[इतिहास]] में मा उल्लेखनीय योगदान है। यहां की चित्रकला की संपदा अज्ञात थी। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध मेंउत्तरार्द्धमा हिमाचल तथा पंजाब के अनेक स्थानों पर चित्रों के नमूनों की खोज की गई। मैटकाफ प्रथम व्यक्ति थे, जिन्होंने कांगड़ा के पुरात्न महलों मेंमहलहरुमा चित्रों की खोज की गुलेर, सुजानपुर टीहरा तथा [[कांगड़ा]] ऐसे ही स्थान थे, जहां पर यह धरोहर छिपी हुई थी।
 
==खनिज संपदा==
हिमाचल मेंहिमाचलमा अनेक प्रकार के खनिज होते है। इनमेंयसमा चूने का पत्थर, डोलोमाइट युक्त चूने की पत्थर, चट्टानी नमक, सिलिका रेत और स्लेट होते है। यहां [[लौह]] अयस्क, [[तांबा]], [[चांदी]], [[शीशा]], [[यूरेनियम]] और [[प्राकृतिक]] गैस भी पाई जाती है।<br />
'''चट्टानी नमकः''' चट्टानी नमक मेंनमकमा स्थानीय भाषा मेंभाषामा ''लेखन'' कहा जाता है। यह [[भारत]] की एकमात्र चट्टानी नमक की खान है। मैगली मेंमैगलीमा नमकीन पानी को सुखाकर नमक तैयार किया जाता है। चट्टानी नमक दवाइयां और पशु चारे के काम मेंकाममा प्रयुक्त होता है।<br />
'''प्राकृतिक तेल गैसः''' प्राकृतिक तेल गैस स्वारघाट ([[बिलासपुर]]) चौमुख ([[सुंदरनगर]]), चमकोल ([[हमीरपुर]]) तथा दियोटसिद्ध ([[हमीरपुर]]) मेंमा पाई जाती है। प्राकृतिक तेल गैस ज्वालामुखी ([[कांगड़ा]]) और रामशहर ([[सोलन]]) मेंमा भीपनि पाई जाती है।<br />
'''स्लेट :''' प्रदेश मेंप्रदेशमा स्लेट की लगभग 222 छोटी व बड़ी खाने हैं। खनियारा ([[धर्मशाला]]), [[मंडी]], [[कांगड़ा]] और [[चंबा]] मेंमा अच्छी मात्रा मेंमात्रामा स्लेट प्राप्त होता है। मंडी मेंमंडीमा स्लेट से टाइलें बनाने का कारखाना है। स्लेट छत्त और फर्श बनाने मेंबनाउनमा प्रयुक्त होता है। अच्छा स्लेट, भारी हिमपात से भी नहीं टूटता है।<br />
'''सिलिका रेत :''' सिलिका रेत, बिलासपुर, हमीरपुर, [[कांगड़ा]], ऊना और मंडी की खड्डों व नालों मेंमा पाई जाती है। ऊना जिला के पलकवा, हरोली, बाथड़ी खड्डों मेंमा चमकदार पत्थर व रेत पाई जाती है। यह भवन निर्माण, पुल, बांध और सड़कें बनाने मेंबनाउनमा प्रयुक्त होती है।<br />
'''यूरेनियम :''' छिंजराढा, जरी (बंजार), ढेला, गढ़सा घाटी (कुल्लू) और हमीरपुर मेंहमीरपुरमा यूरेनियम होने की संभावना का पता चला है। यह नाभिकीय ऊर्जा का स्रोत है।
 
==संचार माध्यम==
प्रदेश के विकास मेंविकासमा संचार माध्यम अहम भूमिका निभा रहे है। प्रदेश के दुर्गम इलाकों तक इन संचार माध्यमों का विस्तार हो चुका है। वर्तमान प्रदेश मेंप्रदेशमा रेडियो, टेलिविजन, दूरभाष, तार, फैक्स, डाक, ई-मेल, इंटरनेट आदि सुविधाएं उपलब्ध है। 1914 मेंमा [[शिमला]] में मा देश का प्रथम स्वचालित दूरभाष केंद्र स्थापित किया गया था। पांच नवंबर, 1983 को लाहुल-स्पीति के हिक्किम क्षेत्र मेंक्षेत्रमा विश्व का सर्वाधिक ऊंचाई वाला [[डाकघर]] खोला गया था। [[शिमला]] मेंमा प्रदेश का प्रथम [[आकाशवाणी]] केंद्र खोला गया। [[हमीरपुर]], [[धर्मशाला]], [[कुल्लू]], [[कसौली]] और [[किन्नौर]] मेंमा आकाशवाणी केंद, प्रसारण केंद्र स्थापित किए गए है। तरंग टावर मंडी जिला के [[जोगिंदर नगर]] तहसील मेंतहसीलमा स्थापित किया गया था।
 
==प्रदेश की बिजली परियोजनाएं==
 
हिमाचल प्रदेश मेंप्रदेशमा कई प्रकार से विद्युत [[ऊर्जा]] प्राप्त होती है। यह नाभिकीय स्रोत, जल विद्युत, सौर ऊर्जा, कोयले और पेट्रोलियम पदार्थ आदि से प्राप्त होती है। हिमाचल प्रदेश मेंप्रदेशमा जल विद्युत उत्पादन की अधिक क्षमता है, क्योंकि प्रदेश मेंप्रदेशमा पांच प्रमुख नदियां और अनेक सहायक नदियां हैं। नदियों पर बांध बनाकर जल विद्युत उत्पन्न की जाती है। प्रदेश मेंप्रदेशमा अनेक परियोजनाएं हैं, जिनमेंजस सेमध्ये कुछकेही तो पूरी हो चुकी हैं और कुछ निर्माणाधीन हैं, जिनका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है।
'''पौंग बांध परियोजना'''- यह बांध [[कांगड़ा]] जिला मेंमा व्यास नदी पर देहरा से 35 किलोमीटर दूर पौंग गांव की भूमि पर बना है, जो देश का सबसे ऊंचा राक-फिल डैम है। इसकी ऊंचाई 435 फुट है और इस पर 160 करोड़ रुपए व्यय हुए हैं। इसमेंयसमा 5.6 मिलियन एकड़ फुट पानी जमा रखा जाता है, हालांकि इसमेंयसमा कुल 6.6 एकड़ मिलियन फुट पानी जमा किया जा सकता है।
 
'''भाखड़ा बांध परियोजना'''-यह बांध [[सतलुज]] नदी पर जिला [[बिलासपुर]] के भाखड़ा गांव मेंमा बना है, जो सन् 1948 मेंमा शुरू होकर सन् 1963 मेंमा बनकर तैयार हुआ था। इसकी ऊंचाई 226 मीटर है। यह एशिया का सबसे ऊंचा बांध है। इसमेंयसमा दो विद्युत घर हैं, जिनमेंजसमा 1200 मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता है। इस बांध के कारण गोविंद सागर झील बनी है।
 
== संदर्भसन्दर्भ ==
{{reflist}}
 
== बाहरी कड़ियां ==
* [http://himachalpr.gov.in हिमाचल सरकार का आधिकारिक जालस्थल]
* [http://himachal.nic.in/tour/census.htm 2001 की जनगणना मेंजनगणनामा हिमाचल के आंकड़े]
* [http://planningcommission.nic.in/plans/stateplan/stplsf.htm हिमाचल विकास रपट-भारतीय योजना आयोग]
* [http://www.himachaltourism.gov.in हिमाचल सरकार का पर्यटन जालस्थल]
* [http://www.hptdc.gov.in हिमाचल पर्यटन विकास निगम का जालस्थल]
* [http://www.himachaltourism.nic.in हिमाचल मेंहिमाचलमा पर्यटन के बारे मेंबारेमा औरअरु जानकारी]
* [http://www.himtimes.com हिमाचल के बारे मेंबारेमा समाचार स्थल]
* [http://www.devbhoomihimachal.com हिमाचल के विविध पक्षों पर आधारित जालस्थल - देवभूमि हिमाचल]
* [http://himachalmitra.com/ हिमाचल मित्र - हिमाचली समाज की रचनात्मक अभिव्यक्ति (हिन्दी वेब-पत्रिका)]
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{{भौगोलिक स्थान
|केन्द्र =हिमाचल प्रदेश
|उत्तर =[[जम्मू और कश्मीर]]
|पूर्वोत्तर =
|पूर्व ={{पताका|चीन}}
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}}
 
{{भारत के प्रान्त और संघ राज्यक्षेत्र}}
{{हिमाचल से जुड़े विषय}}
 
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}}
 
'''हिमाचल प्रदेश''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]: Himachal Pradesh, [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]]: ਹਿਮਾਚਲ ਪ੍ਰਦੇਸ਼, [[सहायता:IPA|उच्चारण]] {{audio-IPA|Himachal.ogg|[hɪmaːtʃəl prəd̪eːʃ]}}) उत्तर-पश्चिमी [[भारत]] मेंमा स्थित एक राज्य है। यह 21,629 मील² (56019 किमी²) <ref name=area>{{cite web |url = http://www.indianmirror.com/geography/geo9.html| title = भारत के बारे मेंबारेमा सांख्यकीय तथ्य |accessdate = 2006-10-26| publisher = www.indianmirror.com }}</ref> से अधिक क्षेत्रक्षेत्रमा मेंफैलिएको फ़ैला है तथा उत्तर मेंउत्तरमा [[जम्मू कश्मीर]], पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम मेंपश्चिममा [[पंजाब]], दक्षिण मेंदक्षिणमा [[हरियाणा]] एवं [[उत्तर प्रदेश]], दक्षिण-पूर्व मेंपूर्वमा [[उत्तराखण्ड]] तथा पूर्व मेंपूर्वमा [[तिब्बत]] से घिरा हुआ है। हिमाचल प्रदेश का शाब्दिक अर्थ ''बर्फ़ीले पहाड़ों का प्रांत'' है। <ref name=hplm1>{{cite web |url = http://www.himachalpradesh.us/geography/himalayas_in_himachal.php |title = हिमाचल प्रदेश का शाब्दिक अर्थ |accessdate = 2007-05-20 |publisher = www.himachalpradesh.us}}</ref>
हिमाचल प्रदेश को '''देव भूमि''' भी कहा जाता है। इस क्षेत्र मेंक्षेत्रमा आर्यों का प्रभाव [[वेद|ऋग्वेद]] से भी पुराना है। आंग्ल-गोरखा युद्ध के बाद, यह ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के हाथ मेंमा आ गया। सन 1857 तक यह [[महाराजा रणजीत सिंह]] के शासन के अधीन पंजाब राज्य (पंजाब हिल्स के सीबा राज्य को छोड़कर) का हिस्सा था।<ref name=bsahis123>{{cite web
|url = http://www.webindia123.com/himachal/history/history.htm
|title = हिमाचल का इतिहास
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|publisher = Suni system (P)
}}</ref>
सन 1950 मेमा इसेयसलाई [[केन्द्र शासित प्रदेश]] बनाया गया, लेकिन 1971 मेमा इसेयसलाई, [[हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम-1971]] के अन्तर्गत इसे 25 जून 1971 को भारत का अठारहवाँ राज्य बनाया गया।
हिमाचल प्रदेश की [[प्रतिव्यक्ति आय]] भारत के किसी भी अन्य राज्य की तुलना मेंतुलनामा अधिक है। बारहमासी नदियों की बहुतायत के कारण, हिमाचल अन्य राज्यों को [[पनबिजली]] बेचता है जिनमेजसमा प्रमुख हैं [[दिल्ली]], [[पंजाब]] और [[राजस्थान]]। राज्य की अर्थव्यवस्था तीन प्रमुख कारकों पर निर्भर करती है जो हैं, पनबिजली, [[पर्यटन]] और [[कृषि]]। <ref>[http://www.yesbank.in/downloads/KnowledgeBank_17Jan06/YESBANK_Knowledge_ExecutiveSummary_Himachal.pdf हिमाचल प्रदेश मेंप्रदेशमा अर्थव्यवस्था विकास] yesbank.in अभिगमन तिथी- April 2008</ref>
हिंदु राज्य की जनसंख्या का 95% हैं और प्रमुख समुदायों मेसमुदायहरुमा ब्राह्मण, राजपूत, कन्नेत, राठी और कोली शामिल हैं। ट्रान्सपरेन्सी इंटरनैशनल के 2005 के सर्वेक्षण के अनुसार, हिमाचल प्रदेश देश मेंदेशमा केरल के बाद दूसरी सबसे कम भ्रष्ट राज्य है।<ref>{{cite web| url = http://www.transparency.org/regional_pages/asia_pacific/newsroom/news_archive__1/india_corruption_study_2005 | title= भारतीय भ्रष्टाचार अध्ययन - 2005 | publisher=Transparency International | accessdate=2007-05-29}}</ref>
 
==इतिहास==
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|<!--col7-->[[File:Narasimha Temple, Brahmaur, Chamba.jpg|199x70px]]
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हिमाचल प्रदेश का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना कि मानव अस्तित्व का अपना इतिहास है। इस बात की सत्यता के प्रमाण हिमाचल प्रदेश के विभिन्न भागों मेंभागहरुमा हुई खुदाई मेंखुदाईमा प्राप्त सामग्रियों से मिलते हैं। प्राचीनकाल मेंप्राचीनकालमा इस प्रदेश के आदि निवासी दास, दस्यु और निषाद के नाम से जाने जाते थे। उन्नीसवीं शताब्दी मेंशताब्दीमा रणजीत सिंह ने इस क्षेत्र के अनेक भागों को अपने राज्य मेंराज्यमा मिला लिया। जब अंग्रेज यहां आए, तो उन्होंने गोरखा लोगों को पराजित करके कुछ राजाओं की रियासतों को अपने साम्राज्य मेंसाम्राज्यमा मिला लिया।
 
*'''शिमला हिल स्टेट्स की स्थापना'''
1945 ई. तक प्रदेश भर मेंभरमा प्रजा मंडलों का गठन हो चुका था। 1946 ई. मेंमा सभी प्रजा मंडलों को एचएचएसआरसी मेंमा शामिल कर लिया तथा मुख्यालय मंडी मेंमा स्थापित किया गया। मंडी के स्वामी पूर्णानंद को अध्यक्ष, पदमदेव को सचिव तथा शिव नंद रमौल (सिरमौर) को संयुक्त सचिव नियुक्त किया। एचएचएसआरसी के नाहन मेंमा 1946 ई. मेंमा चुनाव हुए, जिसमेंजसमा यशवंत सिंह परमार को अध्यक्ष चुना गया। जनवरी, 1947 ई. मेंमा राजा दुर्गा चंद (बघाट) की अध्यक्षता मेंअध्यक्षतामा शिमला हिल्स स्टेट्स यूनियन की स्थापना की गई। जनवरी, 1948 ई. मेंमा इसका सम्मेलन सोलन मेंमा हुआ। हिमाचल प्रदेश के निर्माण की घोषणा इस सम्मेलन मेंमा की गई। दूसरी तरफ प्रजा मंडल के नेताओं का शिमला मेंमा सम्मेलन हुआ, जिसमें यशवंत सिंह परमार ने इस बात पर जोर दिया कि हिमाचल प्रदेश का निर्माण तभी संभव है, जब शक्ति प्रदेश की जनता तथा राज्य के हाथ सौंप दी जाए। शिवानंद रमौल की अध्यक्षता में हिमालयन प्लांट गर्वनमेंट की स्थापना की गई, जिसका मुख्यालय शिमला में था। दो मार्च, 1948 ई. को शिमला हिल स्टेट के राजाओं का सम्मेलन दिल्ली में हुआ। राजाओं की अगवाई मंडी के राजा जोगेंद्र सेन कर रहे थे। इन राजाओं ने हिमाचल प्रदेश में शामिल होने के लिए 8 मार्च, 1948 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। 15 अप्रैल, 1948 ई. को हिमाचल प्रदेश राज्य का निर्माण किया था। उस समय प्रदेश भर को चार जिलों में बांटा गया और पंजाब हिल स्टेट्स को पटियाला और पूर्व पंजाब राज्य का नाम दिया गया। 1948 ई. में सोलन की नालागढ़ रियासत कों शामिल किया गया। अप्रैल 1948 में इस क्षेत्र की 27,000 वर्ग कि.मी. मेंमा फैलीफैलिएको लगभग 30 रियासतों को मिलाकर इस राज्य को [[केंद्र शासित प्रदेश]] बनाया गया।
*'''1950 ई. में प्रदेश का पुनर्गठन'''
1950 ई. में प्रदेश के पुनर्गठन के अंतर्गत प्रदेश की सीमाओं का पुनर्गठन किया गया। कोटखाई को उपतहसील का दर्जा देकर खनेटी, दरकोटी, कुमारसैन उपतहसील के कुछ क्षेत्र तथा बलसन के कुछ क्षेत्र तथा बलसन के कुछ क्षेत्र कोटखाई मेंमा शामिल किए गए। कोटगढ़ को कुमारसैन उपतहसील मेंउपतहसीलमा मिला गया। उत्तर प्रदेश के दो गांव संगोस और भांदर जुब्बल तहसील मेंतहसीलमा शामिल कर दिए गए। पंजाब के नालागढ़ से सात गांव लेकर सोलन तहसील मेंतहसीलमा शामिल गए गए। इसके बदले मेंबदलामा शिमला के नजदीक कुसुम्पटी, भराड़ी, संजौली, वाक्ना, भारी, काटो, रामपुर। इसके साथ ही पेप्सी (पंजाब) के छबरोट क्षेत्र कुसुम्पटी तहसील मेंतहसीलमा शामिल कर दिया गया।
*'''बिलासपुर जिला का विलय'''
बिलासपुर रियासत को 1948 ई. मेंमा प्रदेश से अलग रखा गया था। उन दिनों इस क्षेत्र मेंमा भाखड़ा-बांध परियोजना का कार्य चलाने के कारण इसे प्रदेश मेंप्रदेशमा अलग रखा गया। एक जुलाई, 1954 ई. को कहलूर रियासत को प्रदेश मेंप्रदेशमा शामिल करके इसे बिलासपुर का नाम दिया गया। उस समय बिलासपुर तथा घुमारवीं नामक दो तहसीलें बनाई गईं। यह प्रदेश का पांचवां जिला बना। 1954 मेंमा जब ‘ग’ श्रेणी की [[रियासत]] बिलासपुर को इसमेंयसमा मिलाया गया, तो इसका क्षेत्रफल बढ़कर 28,241 वर्ग कि.मी.हो गया।
*'''किन्नौर जिला की स्थापना'''
एक मई, 1960 को छठे जिला के रूप मेंरूपमा किन्नौर का निर्माण किया गया। इस जिला मेंमा महासू जिला की चीनी तहसील तथा रामपुर तहसील को 14 गांव शामिल गए गए। इसकी तीन तहसीलें कल्पा, निचार और पूह बनाई गईं।
*'''पंजाब का पुनर्गठन'''
वर्ष 1966 मेंमा पंजाब का पुनर्गठन किया गया तथा पंजाब व हरियाणा दो राज्य बना दिए गए। भाषा तथा तिहाड़ी क्षेत्र के पंजाब से लेकर हिमाचल प्रदेश मेंप्रदेशमा शामिल कर दिए गए। संजौली, भराड़ी, कुसुमपटी आदि क्षेत्र जो पहले पंजाब मेंपंजाबमा थे तथा नालागढ़ आदि जो पंजाब मेंपंजाबमा थे, उन्हें पुनः हिमाचल प्रदेश मेंप्रदेशमा शामिल कर दिया गया। सन 1966 मेंमा इसमें [[पंजाब]] के पहाड़ी क्षेत्रों को मिलाकर इसका पुनर्गठन किया गया तो इसका क्षेत्रफल बढ़कर 55,673 वर्ग कि.मी. हो गया।
*'''1972 ई. मेंमा पुनर्गठन'''
हिमाचल प्रदेश को पूर्ण [[राज्य]] का दर्जा २५ जनवरी, १९७१ को मिला। 1 नवंबर, 1972 को कांगड़ा ज़िले के तीन ज़िले कांगड़ा, ऊना तथा हमीरपुर बनाए गए। महासू ज़िला के क्षेत्रों में से सोलन ज़िला बनाया गया।
 
पङ्क्ति ५३८:
{{main|हिमाचल प्रदेश का भूगोल}}
 
हिमाचल प्रदेश [[हिमालय]] पर्वत की [[शिवालिक]] श्रेणी का हिस्सा है। शिवालिक पर्वत श्रेणी से ही [[घग्गर]] नदी निकलती है। राज्य की अन्य प्रमुख नदियों में [[सतलुज]] और [[व्यास]] शामिल है। '''हिमाचल''' [[हिमालय]] का सुदूर उत्तरी भाग [[लद्दाख]] के ठंडे मरुस्थल का विस्तार है और लाहौल एवं स्पिति जिले के स्पिति उपमंडल में है। हिमालय की तीनों मुख्य पर्वत श्रंखलाएँ, बृहत हिमालय, लघु हिमालय; जिन्हें हिमाचल में [[धौलाधार]] और [[उत्तरांचल]] में नागतीभा कहा जाता है और उत्तर-दक्षिण दिशा में फैली [[शिवालिक]] श्रेणी, इस हिमालय खंड में स्थित हैं। लघु हिमालय में 1000 से 2000 मीटर ऊँचाई वाले पर्वत ब्रिटिश प्रशासन के लिए मुख्य आकर्षण केंद्र रहे हैं।
 
===नदियां===
पङ्क्ति ५४४:
हिमाचल प्रदेश में पांच प्रमुख नदियां बहती हैं। हिमाचल प्रदेश में बहने वाले पांचों नदियां एवं छोटे-छोटे नाले बारह मासी हैं। इनके स्रोत बर्फ से ढकी पहाडि़यों में स्थित हैं। हिमाचल प्रदेश में बहने वाली पांच नदियों में से चार का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। उस समय ये अन्य नामों से जानी जाती थीं जैसे अरिकरी (चिनाब) पुरूष्णी (रावी), अरिजिकिया (ब्यास) तथा शतदुई (सतलुज) पांचवी नदी यमुना जो यमुनोत्तरी से निकलती है उसका सूर्य देव से पौराणिक संबंध दर्शाया जाता है।
 
'''रावी नदीः''' रावी नदी का प्राचीन नाम ‘इरावती और परोष्णी’ है। रावी नदी मध्य [[हिमालय]] की धौलाधार शृंखला की शाखा बड़ा भंगाल से निकलती है। रावी नदी ‘भादल’ और ‘तांतागिरि’ दो खड्डों से मिलकर बनती है। ये खड्डें बर्फ पिघलने से बनती है। यह नदी चंबा से खेड़ी के पास [[पंजाब]] में प्रवेश करती है और पंजाब से [[पाकिस्तान]] में प्रवेश करती है। यह भरमौर और [[चंबा]] शहर में बहती है। यह बहुत ही उग्र नदी है। इसकी सहायक नदियां तृण दैहण, बलजैडी,स्यूल, साहो, चिडाचंद, छतराड़ी और बैरा हैं। इसकी लंबाई 720 किलोमीटर है, परंतु हिमाचल में इसकी लंबाई 158 किलोमीटर है। सिकंदर महान के साथ आए यूनानी इतिहासकार ने इसे ‘हाइड्रास्टर और रहोआदिस’ का नाम दिया था।
 
'''ब्यास नदीः''' ब्यास नदी का पुराना नाम ‘अर्जिकिया’ या ‘विपाशा’ था। यह [[कुल्लू]] में व्यास कुंड से निकलती है। व्यास कुंड पीर पंजाल पर्वत शृंखला में स्थित रोहतांग दर्रे में है। यह [[कुल्लू]], [[मंडी]], [[हमीरपुर]] और [[कांगड़ा]] में बहती है। कांगड़ा से मुरथल के पास पंजाब में चली जाती है। [[मनाली]], [[कुल्लू]], बजौरा, औट, पंडोह, [[मंडी]], सुजानपुर टीहरा, नादौन और देहरा गोपीपुर इसके प्रमुख तटीय स्थान हैं। इसकी कुल लंबाई 460 कि.मी. है। हिमाचल में इसकी लंबाई 260 कि.मी. है। कुल्लू में पतलीकूहल, पार्वती, पिन, मलाणा-नाला, फोजल, सर्वरी और सैज इसकी सहायक नदियां हैं। कांगड़ा में सहायक नदियां बिनवा न्यूगल, गज और चक्की हैं। इस नदी का नाम महर्षि ब्यास के नाम पर रखा गया है। यह प्रदेश की जीवनदायिनी नदियों में से एक है।
 
'''चिनाव नदीः''' चिनाव नदी जम्मू-कश्मीर से होती हुई पंजाब राज्य में बहने वाली नदी है। पानी के घनत्व की दृष्टि से यह प्रदेश की सबसे बड़ी नदी है। यह नदी समुद्र तल से लगभग 4900 मीटर की ऊंचाई पर बारालाचा दर्रे (लाहौल स्पीति) के पास से निकलने वाली चन्द्रा और भागा नदियों के तांदी नामक स्थान पर मिलने से बनती है। इस नदी को वैदिक साहित्य में ‘अश्विनी’ नाम से संबोधित किया गया है। ऊपरी हिमालय पर टांडी में ‘चन्द्र’ और ‘भागा’ नदियां मिलती हैं, जो चिनाव नदी कहलाती है। महाभारत काल में इस नदी का नाम ‘चंद्रभागा’ भी प्रचलित हो गया था। ग्रीक लेखकों ने चिनाव नदी को ‘अकेसिनीज’ लिखा है, जो अश्विनी का ही स्पष्ट रूपांतरण है। चंद्रभागा नदी मानसरोवर (तिब्ब्त) के निकट चंद्रभागा नामक पर्वत से निस्तृत होती है और सिंधु नदी में गिर जाती है। चिनाव नदी की ऊपरी धारा को चद्रभागा कहकर, पुःन शेष नदी का प्राचीन नाम अश्विनी कहा गया है। इस नदी को हिमाचल से अदभुत माना गया है। इस नदी का तटवर्ती प्रदेश पूर्व गुप्त काल में म्लेच्छों तथा यवन शव आदि द्वारा शासित था।
 
==जलवायु==
{{main|हिमाचल प्रदेश की जलवायु}}
हिमाचल में तीन ऋतुएं होती हैं - ग्रीष्म ऋतु, शरद ऋतु और वर्षा ऋतु। हिमाचल प्रदेश की समुद्रतल से ऊंचाई की विविधता के कारण जलवायु में भी भिन्नता है। कहीं सारा वर्ष [[बर्फ]] गिरती है, तो कहीं [[गर्मी]] होती हे। हिमाचल में गर्म पानी के चशमें भी हैं और हिमनद भी है। ऐसा समुद्रतल से ऊंचाई की भिन्नता की वजह से है।
 
== कृषि ==
{{main|कृषि (हिमाचल प्रदेश)}}
 
[[कृषि]] हिमाचल प्रदेश का प्रमुख [[व्‍यवसाय]] है। यह राज्‍य की [[अर्थव्‍यवस्‍था]] में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह 69 प्रतिशत कामकाजी आबादी को सीधा रोजगार मुहैया कराती है। कृषि और उससे संबंधित क्षेत्र से होने वाली आय प्रदेश के कुल घरेलू उत्‍पाद का 22.1 प्रतिशत है। कुल भौगोलिक क्षेत्र 55.673 लाख हेक्‍टेयर में से 9.79 लाख हेक्‍टेयर भूमि के स्‍वामी 9.14 लाख किसान हैं। मंझोले और छोटे किसानो के पास कुल भूमि का 86.4 प्रतिशत भाग है। राज्‍य में कृषि भूमि केवल 10.4 प्रतिशत है। लगभग 80 प्रतिशत क्षेत्र वर्षा-सिंचित है और किसान इंद्र देवता पर निर्भर रहते हैं।
 
=== बागवानी ===
 
प्रकृति ने हिमाचल प्रदेश को व्‍यापक कृषि जलवायु परिस्थितियां प्रदान की हैं जिसकी वजह से किसानों को विविध फल उगाने में सहायता मिली है। बागवानी के अंतर्गत आने वाले प्रमुख फल हैं-[[सेब]], [[नाशपाती]], [[आडू]], [[बेर]], [[खूमानी]], गुठली वाले फल, [[नींबू]] प्रजाति के फल, [[आम]], [[लीची]], [[अमरूद]] और झरबेरी आदि। 1950 में केवल 792 हेक्‍टेयर क्षेत्र [[बागवानी]] के अंतर्गत था, जो बढ़कर 2.23 लाख हेक्‍टेयर हो गया है। इसी तरह,1950 में फल उत्‍पादन 1200 मीट्रिक टन था, जो 2007 में बढकर 6.95 लाख टन हो गया है।
 
=== वानिकी ===
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राज्‍य का कुल भौगोलिक [[क्षेत्रफल]] 55,673 वर्ग किलोमीटर है। वन रिकार्ड के अनुसार कुल वन क्षेत्र 37,033 वर्ग किलोमीटर है। इसमें से 16,376 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र ऐसा है जहां पहाड़ी [[चरागाह]] वाली वनस्‍पतियां नहीं उगाई जा सकतीं क्‍योंकि यह स्‍थायी रूप से [[बर्फ]] से ढका रहता है।
 
राज्‍य में 2 राष्‍ट्रीय पार्क और 32 वन्‍यजीवन [[अभयारण्‍य]] हैं। वन्‍यजीवन अभयारण्‍य के अंतर्गत कुल क्षेत्र 5,562 कि.मी., राष्‍ट्रीय पार्क के अंतर्गत 1,440 कि.मी. है। इस तरह कुल संरक्षित क्षेत्र 7,002 कि.मी. है।
 
== सड़कें ==
 
हिमाचल प्रदेश राज्‍य में यहां की सड़कें ही यहां की जीवन रेखा हैं और ये [[संचार]] के प्रमुख साधन हैं। इसके 55,673 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में से 36,700 किलोमीटर में बसाहट है, जिसमें से 16,807 गांव अनेक पर्वतीय श्रृखलाओं और घाटियों के ढलानों पर फैले हुए हैं। जब यह राज्‍य 1948 में अस्तित्‍व में आया, तो यहां केवल 288 कि.मी. लंबी सड़कें थीं जो 15 अगस्‍त 2007 तक बढ़कर 30,264 हो गई हैं।
 
== सिंचाई और जलापूर्ति ==
 
साल 2007 तक हिमाचल प्रदेश में कुल बुवाई क्षेत्र 5.83 लाख हेक्‍टेयर था। गांवों में पीने के पानी की सुविधा उपलब्‍ध कराई गई और अब तक राज्‍य में 14,611 हैंडपंप लगाए जा चुके हैं। हिमाचल प्रदेश में भूजल की उलब्धता 36,615.92 हैक्टेयर मीटर (है.मी.) है।<ref>http://hindi.indiawaterportal.org/ केंद्रीय भूजल बोर्ड</ref>
 
== पर्यटन ==
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{{main|हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2012}}
नवम्बर २०१२ मे हिमाचल प्रदेश की हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए हुआ चुनाव था।
[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|कांग्रेस]] ने इस चुनाव में जीत हासिल की। ६८ सीटोसीटहरु में सेमध्ये ३६ सीट जीत कर [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस|कांग्रेस]] पार्टी ने सरकार बनाई।
 
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