कुनै सम्पादन सारांश छैन
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पङ्क्ति ८०:
बोटहरु:
*[[user:sarojbot|SarojBot]]
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<font color=#5011ff>बनेर फूल झैं सधैं<br />
हँसाउनू सुवास दी। <br />
 
सधैं रमाउनू जगत्<br />
रमेर नित्य आश दी॥</font></big>