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{{बाकस ऋग्वेद}}
'''ऋग्वेद''' (संस्कृत ऋग् 'प्रशंसा' + वेद 'ज्ञान') [[सनातन धर्म]] अथवा [[हिन्दू धर्म]] उत्पतिको श्रोत, र संसारकै पहिलो धार्मिक [[ग्रन्थ]] हो [http://www.britannica.com/ebc/article?tocId=9376934]। यसमा १०१७ [[श्लोक]] छन्, जसमा [[देवता|देवताहरु]]को [[स्तुति]] छ। यसको रचना वैदिक संस्कृतमा गरिएको छ। ऋग्वेद १० किताब (मण्डला) हरुको श्रीङ्खला हो।<br/><br/>
'''ऋग्वेद ''' [[सनातन धर्म]] अथवा [[हिन्दू धर्म]]को स्रोत छ । यसमा १०२८ [[सूक्त]] छन्, जसमा [[देवता|देवताहरु]]को [[स्तुति]] गरिएको छ । यसमा देवताहरुको यज्ञमा आह्वान गर्नका लागि मन्त्र छन्, यही सर्वप्रथम वेद हो। ऋग्वेदलाई संसारका सबै इतिहासकार [[हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार]]को सबैभन्दा पहिलो रचना मान्दछन् । यी संसारका सर्वप्रथम ग्रन्थहरु मध्येको एक हो। ऋक् संहितामा १० मण्डल, बालखिल्य सहित १०२८ सूक्त छन्। वेद मंत्रहरुका समूहलाई सूक्त भनिन्छ, जसमा एकदैवत्व तथा एकार्थको नैं प्रतिपादन रहन्छ। कात्यायन प्रभति ऋषिहरुको अनुक्रमणीका अनुसार ऋचाहरुको संख्या १०,५८०, शब्दहरुको संख्या १५३५२६ तथा शौनक कृत अनुक्रमणीका अनुसार ४,३२,००० अक्षर छन्। ऋग्वेदको जिन २१ शाखाहरुको वर्णन मिल्दछ, उनमादेखि चरणव्युह ग्रन्थका अनुसार पाँच नैं प्रमुख छन्- १. शाकल, २. वाष्कल, ३. आश्वलायन, ४. शांखायन र माण्डूकायन । ऋग्वेदमा ऋचाहरुको बाहुल्य हुनको कारण यसलाई ज्ञानको वेद भनिन्छ। ऋग्वेदमा नैं मृत्युनिवारक त्र्यम्बक-मंत्र वा मृत्युञ्जय मन्त्र (७/५९/१२) वर्णित छ, ऋग्विधानका अनुसार यस मंत्रका जपका साथ विधिवत व्रत तथा हवन गर्नको लागि दीर्घ आयु प्राप्त हुन्छ तथा मृत्यु टाड़ा हो गर्न सब प्रकारको सुख प्राप्त हुन्छ। विश्वविख्यात गाईत्री मन्त्र (ऋ० ३/६२/१०) पनि यसैमा वर्णित हो। ऋग्वेदमा अनेक प्रकारका लोकोपयोगी-सूक्त, तत्त्वज्ञान-सूक्त, संस्कार-सुक्त उदाहरणतः रोग निवारक-सूक्त (ऋ०१०/१३७/१-७),श्री सूक्त वा लक्ष्मी सुक्त (ऋग्वेदका परिशिष्ट सूक्तको खिलसूक्तमा), तत्त्वज्ञानका नाशताव्दीय-सूक्त (ऋ० १०/१२९/१-७) तथा हिरण्यगर्भ-सूक्त (ऋ०१०/१२१/१-१०) र विवाह आदिका सूक्त (ऋ० १०/८५/१-४७) वर्णित छन्, जसमा ज्ञान विज्ञानको चरमोत्कर्ष देखिलाई दिन्छ। ऋग्वेदका विषयमा केही प्रमुख कुराहरु निम्नलिखित छ-
'''श्लोक''' १<br/>
*यो सबैभन्दा प्राचीनतम वेद मानिन्छ।
अग्निमीळे पुरोहितं यज्ञस्य देवं रत्वीजम | <br/>
*ॠग्वेदका धेरै सूक्तहरुमा विभिन्न वैदिक [[देवता|देवताहरु]]को स्तुति गर्ने मंत्र छन्। यद्यपि ॠग्वेदमा अन्य प्रकारका सूक्त पनि छन्, परन्तु देवताहरुको स्तुति गर्ने स्तोत्रहरुको प्रधान्दछ।
होतारं रत्नधातमम || <br/>
*ॠग्वेदमा कुल दस मण्डल छन् र उनमा १०२८ सूक्त छन् र कुल १०,५८० ॠचाहरु छन्।
अग्निः पूर्वेभिर्र्षिभिरीड्यो नूतनैरुत | <br/>
*ॠग्वेदका दस मण्डलहरुमा केही मण्डल साना छन् र केही मण्डल ठूला छन्।
स देवानेह वक्षति || <br/>
 
अग्निना रयिमश्नवत पोषमेव दिवे-दिवे | <br/>
== सम्बन्धित कड़ीहरु ==
यशसं वीरवत्तमम || <br/>
* [http://wikisource.org/wiki/ऋग्वेदः ऋग्वेद / संस्कृत: Wikisource]
अग्ने यं यज्ञमध्वरं विश्वतः परिभूरसि | <br/>
 
स इद्देवेषु गछति || <br/>
==यी पनि हेर्नुहोस्==
अग्निर्होता कविक्रतुः सत्यश्चित्रश्रवस्तमः | <br/>
*[[वैदिक साहित्य]]
देवो देवेभिरा गमत || <br/>
*[[वैदिक काल]]
यदङग दाशुषे तवमग्ने भद्रं करिष्यसि | <br/>
*[[वैदिक धर्म]]
तवेत तत सत्यमङगिरः || <br/>
*[[वैदिक संस्कृति]]
उप तवाग्ने दिवे-दिवे दोषावस्तर्धिया वयम | <br/>
*[[वैदिक कला]]
नमो भरन्त एमसि || <br/>
*[[वैदिक संस्कृत]]
राजन्तमध्वराणां गोपां रतस्य दीदिविम | <br/>
 
वर्धमानंस्वे दमे || <br/>
 
स नः पितेव सूनवे.अग्ने सूपायनो भव | <br/>
==बाह्य कडीहरु==
सचस्वा नः सवस्तये ||<br/><br/>
* [http://www.vedpuran.com/# '''वेद-पुराण'''] - यहाँ चारहरु वेद एवं दस भन्दा अधिक पुराण नेपाली अर्थ सहित उपलब्ध छन्। पुराणहरुलाई यहाँ सुना पनि जा सक्छ।
'''श्लोक २'''<br/>
*[http://is1.mum.edu/vedicreserve/puran.htm महर्षि प्रबंधन विश्वविद्यालय]-यहाँ सम्पूर्ण वैदिक साहित्य संस्कृतमा उपलब्ध छ।
वायवा याहि दर्शतेमे सोमा अरंक्र्ताः | <br/>
*[http://www.tdil.mit.gov.in/vedicjan04/hDefault.html ज्ञानामृतम्] - वेद, अरण्यक, उपनिषद् आदिमा सम्यक जानकारी
तेषां पाहि शरुधी हवम || <br/>
*[http://www.aryasamajjamnagar.org/vedang.htm वेद एवं वेदांग] - आर्य समाज, जामनगरका जालघरमा सबै वेद एवं तिनको भाष्य दिये भए छन्।
वाय उक्थेभिर्जरन्ते तवामछा जरितारः | <br/>
*[http://www.samaydarpan.com/july/pehal5.aspx जसको उदेश्य छ - '''वेद प्रचार''']
सुतसोमा अहर्विदः || <br/>
*[http://veda-vidya.com/puran.php वेद-विद्या_डट_कम]
वायो तव परप्र्ञ्चती धेना जिगाति दाशुषे | <br/>
 
उरूची सोमपीतये || <br/>
 
इन्द्रवायू इमे सुता उप परयोभिरा गतम | <br/>
 
इन्दवो वामुशन्ति हि || <br/>
{{पुराण}}
वायविन्द्रश्च चेतथः सुतानां वाजिनीवसू | <br/>
{{वैदिक साहित्य}}
तावा यातमुप दरवत || <br/>
{{महाभारत}}
वायविन्द्रश्च सुन्वत आ यातमुप निष्क्र्तम | <br/>
{{रामायण}}
मक्ष्वित्था धिया नरा || <br/>
{{हिन्दू धर्म}}
मित्रं हुवे पूतदक्षं वरुणं च रिशादसम | <br/>
 
धियं घर्ताचीं साधन्ता || <br/>
[[श्रेणी:धर्मग्रन्थ]]
रतेन मित्रावरुणाव रताव्र्धाव रतस्प्र्शा | <br/>
[[श्रेणी:देवी-देवता]]
करतुं बर्हन्तमाशाथे || <br/>
[[श्रेणी:हिन्दू धर्म]]
कवी नो मित्रावरुणा तुविजाता उरुक्षया | <br/>
[[श्रेणी:संस्कृत साहित्य]]
दक्षं दधाते अपसम ||<br/><br/>
[[श्रेणी:पुराण]]
'''श्लोक ३'''<br/>
[[श्रेणी:वेद]]
अश्विना यज्वरीरिषो दरवत्पाणी शुभस पति | <br/>
[[श्रेणी:स्मृति]]
पुरुभुजाचनस्यतम || <br/>
[[श्रेणी:वैदिक धर्म]]
अश्विना पुरुदंससा नरा शवीरया धिया | <br/>
 
धिष्ण्या वनतं गिरः || <br/>
 
दस्रा युवाकवः सुता नासत्या वर्क्तबर्हिषः | <br/>
 
आ यातंरुद्रवर्तनी || <br/>
{{Link FA|sl}}
इन्द्रा याहि चित्रभानो सुता इमे तवायवः | <br/>
 
अण्वीभिस्तना पूतासः || <br/>
इन्द्रा याहि धियेषितो विप्रजूतः सुतावतः | <br/>
उप बरह्माणि वाघतः || <br/>
इन्द्रा याहि तूतुजान उप बरह्माणि हरिवः | <br/>
सुते दधिष्वनश्चनः || <br/>
ओमासश्चर्षणीध्र्तो विश्वे देवास आ गत | <br/>
दाश्वांसो दाशुषः सुतम || <br/>
विश्वे देवासो अप्तुरः सुतमा गन्त तूर्णयः | <br/>
उस्रा इवस्वसराणि || <br/>
विश्वे देवासो अस्रिध एहिमायासो अद्रुहः | <br/>
मेधं जुषन्त वह्नयः || <br/>
पावका नः सरस्वती वाजेभिर्वाजिनीवती | <br/>
यज्ञं वष्टु धियावसुः || <br/>
चोदयित्री सून्र्तानां चेतन्ती सुमतीनाम | <br/>
यज्ञं दधे सरस्वती || <br/>
महो अर्णः सरस्वती पर चेतयति केतुना | <br/>
धियो विश्वा वि राजति ||
 
{{हिन्दू धर्म}}
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