"भानुभक्तीय रामायण" का संशोधनहरू बिचको अन्तर
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पङ्क्ति १:
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'''रामायण''' कवि [[वाल्मीकि]] द्वारा लेखिएको [[संस्कृत]]
पङ्क्ति २२:
::::शङ्कित जानकिलाइ देखो प्रभुले तीमी घरैमा यहाँ ।
::::सासुको टहलै गरी कन रहू वर्षै त चौधै महाँ ॥
::::पीताको वचनै लिई सिर उपर् जन्छु म
::::चौधै वर्ष बिताइ जल्दि म यहाँ फिर्न्या छु निश्चै श्रिये !॥३९॥
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