"अक्षय तृतीया" का संशोधनहरू बिचको अन्तर

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'''अक्षय तृतीया''' [[वैशाख]] मासको [[शुक्ल पक्ष]]को [[तृतीया]] तिथिलाई भनिन्छ। [[पुराण]] ग्रंथहरु अनुसार उअस दिन जो पनि शुभ कार्य गनिन्छ त्यसको अक्षय फल पाइन्छ भन्ने लोक विश्वास छ।<ref name="दुनिया">[http://hindi.webdunia.com/religion/occasion/others/1005/15/1100515058_1.htm अक्षय तृतीया : दान का महापर्व ]।वेब दुनिया</ref> यसै कारण अक्षय तृतीया भनिएको हो।<ref name="नवभारत">[http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/4448085.cms शुभ मुहूर्तको अर्को नाम हो अक्षय तृतीया ]।नवभारत टाइम्स।२७ एप्रील, २००९। पं.केवल आनंद जोशी </ref> सबै बाह्र महिनाका शुकल पक्षीय तृतीया शुभ छन् तर [[वैशाख]] महिनाको तिथि '''स्वयंसिद्ध मुहूर्तहरुमा''' मानिन्छ। [[भविष्य पुराण]] अनुसार यस तिथिको युगादि तिथिहरुमा गणना हुन्छ, [[सत्य युग]] र [[त्रेता युग]]को प्रारंभ यसै तिथिबाट भएको थियो।<ref name="भास्कर"/> भगवान [[विष्णु]] नेले नर-नारायण, [[हयग्रीव]] और [[परशुराम]] जी काको अवतरण भीपनि इसीयसै तिथि कोतिथिमा हुआभएको था।थियो।<ref name="वर्ल्ड">[http://pryas.wordpress.com/2007/04/19/%E0%A4%85%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%AF-%E0%A4%A4%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A5%80%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%87%E0%A4%B7/ अक्षय तृतीया पर विशेष -] यह भी खूब रही-वर्ल्ड प्रेस।१९ अप्रैल, २००७</ref><ref name="लोक"/> [[ब्रह्मा]]जी के पुत्र अक्षय कुमार का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ था।<ref name="नवभारत"/> इस दिन श्री [[बद्रीनाथ]] जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है और श्री [[लक्ष्मी नारायण]] के दर्शन किए जाते हैं। प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के कपाट भी इसी तिथि से ही पुनः खुलते हैं। [[वृंदावन]] स्थित श्री [[बांके बिहारी जी मन्दिर ]] में भी केवल इसी दिन श्री विग्रह के चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वे पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं।<ref name="लोक"/><ref name="दुनिया-२"/> जी.एम. हिंगे के अनुसार तृतीया ४१ घटी २१ पल होती है तथा धर्म सिंधु एवं निर्णय सिंधु ग्रंथ के अनुसार अक्षय तृतीया ६ घटी से अधिक होना चाहिए। [[पद्म पुराण]] के अनुसा इस तृतीया को अपराह्न व्यापिनी मानना चाहिए।<ref name="दुनिया"/> इसी दिन [[महाभारत]] का युद्ध समाप्त हुआ था और [[द्वापर युग]] का समापन भी इसी दिन हुआ था।<ref name="नवभारत"/> ऐसी मान्यता है कि इस दिन से प्रारम्भ किए गए कार्य अथवा इस दिन को किए गए दान का कभी भी क्षय नहीं होता। मदनरत्न के अनुसार:
{{उक्ति|अस्यां तिथौ क्षयमुर्पति हुतं न दत्तं। तेनाक्षयेति कथिता मुनिभिस्तृतीया॥<br />
उद्दिष्य दैवतपितृन्क्रियते मनुष्यैः। तत् च अक्षयं भवति भारत सर्वमेव॥}}<ref name="लोक">[http://www.hindilok.com/akshaya-tritiya-2010-importance.html अक्षय तृतीया (16 मई) की महिमा निराली]।हिन्दी लोक।पं.हनुमान मिश्रा</ref>
 
==महत्व==
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[[श्रेणी:हिन्दू पर्व]]
[[श्रेणी:पर्व]]
[[श्रेणी:चाडचाढ-पर्व]]
[[bn:অক্ষয় তৃতীয়া]]
[[en:Akshaya Tritiya]]
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