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{{main|दिल्लीको इतिहास}}
[[चित्र:Delhi Red fort.jpg|thumb|300px|बाएँ|लाल किला]]
दिल्लीको प्राचीनतम उल्लेख [[महाभारत]] नामक महापुराणमा मिल्छ जहाँ यसका उल्लेख प्राचीन [[इन्द्रप्रस्थ]]को रूपमा गरिएको छ। इन्द्रप्रस्थ महाभारत कालमा पाण्डवको राजधानी थियो।<ref name=ecosurv1>{{cite web |url=http://delhiplanning.nic.in/Economic%20Survey/ES%202005-06/Chpt/1.pdf |title=Chapter 1: Introduction |accessdate=21 दिसंबर 2006 |format=PDF |work=Economic Survey of Delhi, 2005–2006 |publisher=Planning Department, Government of National Capital Territory of Delhi |pages=pp1–7 |archive-url=https://web.archive.org/web/20161113174155/http://delhiplanning.nic.in/Economic%20Survey/ES%202005-06/Chpt/1.pdf |archive-date=13 नवंबर 2016 |url-status=dead }}</ref> पुरातात्विक रूपबाट इसा पूर्व सय देखि दुई हजारमा दिल्ली र यस आसपास मानव निवास रहेको किराकोकुराको ज्ञात हुन्छ।<ref name=tourhist>{{cite web |url=http://www.indiatourism.com/delhi-history/index.html |title=Delhi History |accessdate=22 दिसंबर 2006 |work=Delhi Tourism |publisher=Advent InfoSoft (P) Ltd |archive-url=https://web.archive.org/web/20061208210557/http://www.indiatourism.com/delhi-history/index.html |archive-date=8 दिसंबर 2006 |url-status=dead }}</ref>। दिल्लीको इतिहास निकै पुरानो छ करीब ७३० ईसा पूर्वको दौरान मालवाको शासक [[ राजा धन्ना भील]]का एक उत्तराधिकारीले दिल्लीको सम्राटलाई चुनौती दिएका थिए। <ref>{{shorturl.at/bCYZ6}}</ref>
 
[[मौर्य-काल]] (ईसा पूर्व ३००) बाट यहाँ एक नगरको विकास हुन आरम्भ भयो। महाराज पृथ्वीराज चौहानका दरबारी कवि [[चन्द बरदाई]]को हिन्दी रचना [[पृथ्वीराज रासो]]मा [[तोमर वंश|तोमर]] राजा [[अनंगपाल]]लाई दिल्लीको संस्थापक बताइन्छ। उसले नै 'लाल-कोट'को निर्माण गराएको र महरौलीको गुप्त कालीन लौह-स्तंभलाई दिल्ली ल्याइएको विश्वास गरिन्छ। दिल्लीमा तोमर शासनकाल वर्ष सन् [[९००]]-[[१२००]] सम्म मानिन्छ। 'दिल्ली' वा 'दिल्लिका' शब्दको प्रयोग सर्वप्रथम उदयपुरमा प्राप्त शिलालेखमा पाइन्छ। यस शिलालेखको समय वर्ष [[११७०]] निर्धारित गरिएको छ। महाराज पृथ्वीराज चौहानलाई दिल्लीको अन्तिम हिन्दू सम्राट मानिन्छ।
 
==सुधार==
[[१२०६]] ई० पश्चात् दिल्ली [[दिल्ली सल्तनत]]को राजधानी बन्यो। दिल्ली माथि [[खिलजी वंश]], [[तुगलक वंश]], [[सैयद वंश]] र [[लोदी वंश]] समेत केही अन्य वंशले शासन गरे। ऐसा माना जाता है कि आज की आधुनिक दिल्ली बनने से पहले दिल्ली सात बार उजड़ी और विभिन्न स्थानों पर बसी, जिनके कुछ अवशेष आधुनिक दिल्ली में अब भी देखे जा सकते हैं। दिल्ली के तत्कालीन शासकों ने इसके स्वरूप में कई बार परिवर्तन किया। मुगल बादशाह हुमायूँ ने सरहिन्द के निकट युद्ध में अफ़गानों को पराजित किया तथा बिना किसी विरोध के दिल्ली पर अधिकार कर लिया। हुमायूँ की मृत्यु के बाद हेमू विक्रमादित्य के नेतृत्व में अफ़गानों नें मुगल सेना को पराजित कर आगरा व दिल्ली पर पुनः अधिकार कर लिया। मुगल बादशाह [[अकबर]] ने अपनी राजधानी को दिल्ली से [[आगरा]] स्थान्तरित कर दिया। अकबर के पोते [[शाहजहाँ]] ([[१६२८]]-[[१६५८]]) ने सत्रहवीं सदी के मध्य में इसे सातवीं बार बसाया जिसे शाहजहाँनाबाद के नाम से पुकारा गया। शाहजहाँनाबाद को आम बोल-चाल की भाषा में पुराना शहर या पुरानी दिल्ली कहा जाता है। प्राचीनकाल से पुरानी दिल्ली पर अनेक राजाओं एवं सम्राटों ने राज्य किया है तथा समय-समय पर इसके नाम में भी परिवर्तन किया जाता रहा था। पुरानी दिल्ली [[१६३८]] के बाद मुग़ल सम्राटों की राजधानी रही। दिल्ली का आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफ़र था जिसकी मृत्यू निवार्सन में ही रंगून में हुई।
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