[[चित्र:Coal anthracite.jpg|thumb|right|250px|कोयला]]
'''कोयला''' एक ठोस कार्बनिक पदार्थ है जिसको ईंधन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है । [[ऊर्जा]] के प्रमुख स्त्रोत के रुप में कोयला अत्यंत महत्वपूर्ण हैं । कुल प्रयुक्त ऊर्जा का ३५% से ४०% भाग कोयलें से पाप्त होता हैं । विभिन्न प्रकार के कोयले में कार्बन की मात्रा अलग़-अलग़ होती है । कोयले से अन्य दहनशील तथा उपयोगी पदार्थ भी प्राप्त किया जाता है । ऊर्जा के अन्य स्रोतों में [[पेट्रोलियम]] तथा उसके उत्पाद का नाम सर्वोपरि है ।

== परिचय ==
कोयला ओर कोयल दोनों संस्कृत के कोकिल शब्द से निकले हैं। साधारणतया लकड़ी के अंगारोंको बुझाने से बच रहे जले हुए अंशको कोयला कहा जाता है। उस खनिज पदार्थको भी कोयला कहते हैं जो संसार के अनेक स्थलों पर खानों से निकाला जाता है। पहले प्रकार के कोयलेको [[लकड़ी का कोयला]] या [[काठ कोयला]], और दूसरे प्रकार के कोयलेको पत्थर का कोयला या केवल कोयला, कहते हैं। एक तीसरे प्रकार का भी कोयला होता है जो हड्डियोंको जलाने से प्राप्त होता है। इसे [[हड्डी का कोयला]] या [[अस्थि कोयला]] कहते हैं।

तीनों प्रकार के कोयले महत्व के हैं और अनेक घरेलू कामों, रासायनिक क्रियाओं और उद्योगधंधों में प्रयुक्त होते हैं। कोयले का विशेष उपयोग ईधंन के रूप में होता है। कोयले के जलने से धुआँ कम या बिल्कुल नहीं होता। कोयले की आँच तेज और लौ साफ होती है तथा कालिख या कजली बहुत कम बनती है। कोयले में गंधक बहुत कम होता है और वह आग जल्दी पकड़ लेता है। कोयले में राख कम होती है और उसका परिवहन सरल होता है। ईधंन के अतिरिक्त कोयले का उपयोग रबर के सामानों, विशेषत: टायर, ट्यूब और जूते के निर्माण में तथा पेंट और एनैमल पालिश, ग्रामोफोन और फोनोग्राफ के रेकार्ड, कारबन, कागज, टाइपराइटर के रिबन, चमड़े, जिल्द बाँधने की दफ्ती, मुद्रण की स्याही और पेंसिल के निर्माण में होता है। कोयले से अनेक रसायनक भी प्राप्त या तैयार होते हैं। कोयले से कोयला गैस भी तैयार होती है, जो प्रकाश और उष्मा प्राप्त करने में आजकल व्यापक रूप से प्रयुक्त होती हैं।

कोयले की एक विशेषता रंगों और गैसों का अवशोषण है, जिससे इसका उपयोग अनेक पदार्थों, जैसे मदिरा, तेलों, रसायनकों, युद्ध और अश्रुगैसों आदि के परिष्कार के लिये तथा अवांछित गैसों के प्रभावको कम या दूर करने के लिये मुखौटों (mask) में होता है। इस काम के लिये एक विशेष प्रकार का सक्रियकृत कोयला तैयार होता है जिसकी अवशोषण क्षमता बहुत अधिक होती है। कोयला [[बारूद]] का भी एक आवश्यक अवयव है। 

== कोयला पत्थर (Coal) और कोयला क्षेत्र (Coal-field) ==
आधुनिक युग में उद्योगों तथा यातायात के विकास के लिये पत्थर का कोयला परमावश्यक पदार्थ हैं। लोहे तथा इस्पात उद्योग में ऐसे उत्तम कोयले की आवश्यकता होती है जिससे कोक बनाया जा सके। भारत में साधारण कोयले के भंडार तो प्रचुर मात्रा में प्राप्त हैं, किंतु कोक उत्पादन के लिये उत्तम श्रेणी का कोयला अपेक्षाकृत सीमित है।

भारत में कोयला मुख्यत: दो विभिन्न युगों के स्तरसमूहों में मिलता है : पहला [[गोंडवाना युग]] (Gondwana Period) में तथा दूसरा [[तृतीय कल्प]] (Tertiary Age) में। इनमें गोंडवाना कोयला उच्च श्रेणी का होता है। इसमें राख की मात्रा अल्प तथा तापोत्पादक शक्ति अधिक होती है। तृतीय कल्प का कोयला घटिया श्रेणी का होता है। इसमें गंधक की प्रचुरता होने के कारण यह कतिपय उद्योगों में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता।

गोंडवाना युग के प्रमुख क्षेत्र [[झरिया]] (झरखंड]] तथा [[रानीगंज]] (बंगाल) में स्थित है। अन्य प्रमुख क्षेत्रों में बोकारो, गिरिडीह, करनपुरा, पेंचघाटी, उमरिया, सोहागपुर, सिगरेनी, कोठा गुदेम आदि उल्लेखनीय हैं। भारत में उत्पादित संपूर्णै कोयले का ७० प्रतिशत केवल झरिया और रानीगंज से प्राप्त होता है। तृतीय कल्प के कोयले, लिग्नाइट और ऐंथ्रासाइट आदि के निक्षेप असम, कशमीर, राजस्थान, मद्रास और कच्छ राज्यों में है।

मुख्य गोंडवाना विरक्षा (Exposures) तथा अन्य संबंधित कोयला निक्षेप प्रायद्वीपीय भारत में दामोदर, सोन, महानदी, गोदावरी और उनकी सहायक नदियों की घाटियों के अनुप्रस्थ एक रेखाबद्ध क्रम (linear fashion) में वितरित हैं।

== कोयले की उत्पत्ति ==
वर्षों पूर्व वनस्पतियों के भूमि के नीचे दबने के कारण कालांतर में ये कोयला बना । लगभग 30 करोड़ वर्ष पूर्व पृथ्वी घने जंगल, कच्छ क्षेत्रों (marshlands) और जलधाराओं से तर थी । वनस्पति समूहों की जल में गिरकर मृत्यु हो गई जो बाद में मिट्टी के बोझ के नीचे दबते चले गए । भूगर्भ में उच्च ताप एवं दबाव के कारण ये जीवावशेष कोयले में परिवर्तित होते गए ।
== संरचना ==
कोयले में मुख्यतः [[कार्बन]] तथा उसके यौगिक रहते है । कार्बन तथा [[हाइड्रोजन]] के अतिरिक्त [[नाईट्रोजन]], [[ऑक्सीजन]] तथा [[गंधक]] (Sulphur) भी रहते हैं । इसके अतिरिक्त [[फॉस्फोरस]] तथा कुछ अकार्बनिक द्रव्य भी पाया जाता है ।

== कोयले के प्रकार ==
नमी रहित कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयलेको निम्नलिखित चार प्रकारो मे बांटा गया हैं -
* एन्थ्रेसाइट (94-98%)
* बिटूमिनस (78-86%)
* लिग्नाइट (28-30%)
* पीट (27%)
== भंजक आसवन ==
हवा की ग़ैरमौज़ूदग़ी में 1000-1400 डिग्री सेल्सियस पर गर्म करने पर [[कोलतार]], [[कोल गैस]], [[अमोनिया]] तथा [[कोल गैस]] प्राप्त होता है । इस प्रक्रियाको कोयले का [[भंजक आसवन]] कहते हैं ।

== कोयले के स्रोत ==
खानों से निकाले जाने वाला यह शक्तिप्रदायक खनिज मुख्यतः - [[चीन]], [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] (USA), [[ग्रेट ब्रिटेन]], [[जर्मनी]], [[पोलैंड]], [[ऑस्ट्रेलिया]] तथा [[भारत]] में पाया जाता है । भारत में यह मुख्यतः [[झारखंड]], [[मध्यप्रदेश]], [[उड़ीसा]], [[पश्चिम बंगाल]] एवं [[आंध्र प्रदेश]] में पाया जाता है । जनवरी 2000 में किए गए आकलन के अनुसार भारत की खानों में कुल 211.5 अरब टन कोयले का भंडार है ।

==स्वच्छ कोयला प्राविधिक==
कोयला एक जीवाश्म ईंधन है जो मुख्य रूप से कार्बनों तथा हाइड्रोकार्बनों से बना है। बिज़ली उद्योग में इसका बड़ी मात्रा में उपयोग किया जाता है। इसे जलाकर वाष्प बनाई जाती है जो टर्बाइनोंको घुमाकर बिज़ली तैयार करती है। जब इसको जलाया जाता है तो इससे उत्सर्जन होता है जो प्रदूषण और वैश्विक तापनको बढ़ाता है। [[भारत]] सहित कई देशों में बिज़ली का उत्पादन मुख्य रूप से कोयले पर निर्भर है इसलिए सरकार स्वच्छ कोयला प्राविधिक पर जोर दे रही है। इस प्राविधिक के माध्यम से  कोयलेको स्वच्छ बनाकर और उसके उत्सर्जनको नियंत्रित करके पर्यावरण पर पड़ने वाले कुप्रभावोंको कम  किया जा सकता है।

स्वच्छ कोयला प्रौद्यांगिकी में कोयले की धुलाई, कोल बेड मीथेन/कोल माइन मीथेन निष्कर्षण, भूमिगत कोयलेको गैस उपचारित करना एवं कोयले का द्रवीकरण करना आदि शामिल है।

=== कोयला प्रक्षालन===
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के दिशानिर्देंशों के अनुसार 34 प्रतिशत भन्दा अधिक राख वाले कोयले का उपयोग उन थर्मल पावर स्टेशनों में मना किया गया है जो लदान केन्द्रों से दूर तथा अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों में हैं। ऐसे में प्रक्षालित कोयले का इस्तेमाल करना महत्वपूर्ण हो गया है। इससे ऐसे पावर स्टेशनों के  संचालन से संबंधित  खर्च में भी कमी आती है। धुले कोयले की आपूर्ति 10वीं पंचवर्षीय योजना के आरंभ में 170 लाख टन थी जो इस योजना के अंत में बढ़कर 550 लाख टन हो गई। 11वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक  इसके 2500 लाख टन होने की संभावना है।

थर्मल पावर स्टेशनों के लिए कोयला धुलाई केंद्रों की मौजूदा क्षमता 1080 लाख टन है जिसे इस अवधि में बढ़ाकर 2500 लाख टन करने की कोशिश की जा रही है। इसमें भन्दा अधिकतर निजी क्षेत्र से संबंधित हैं। इसके अलावा कोल इंडिया लिमिटेड कंपनी ने भी अपनी खदानों से धुले कोयले की आपूर्ति करने का फैसला किया है। इसके लिए वह 20 कोयला धुलाई केंद्रों का निर्माण करेगी जिनकी क्षमता 1110 लाख टन  होगी। 11वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक इन केंद्रों के शुरू होने की संभावना है।

===सीबीएम तथा सीएमएम===
जो [[मिथेन]] गैस कोयले की अनर्छुई परतों से निकाली जाती है उसे कोल बेड मीथेन (सीबीएम) कहते हैं और जो चालू खदानों से निकाली जाती है उसे कोल माइन मीथेन (सीएमएम) कहते हैं। कोल बेड मीथेन#कोल माइन मीथेन के विकासको भारत सरकार ने 1997 में एक नीति के ज़रिए बढ़ावा दिया था। इस नीति के अनुसार कोयला मंत्रालय तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय दोनों मिलकर कार्य कर रहे हैं।  सरकार ने वैश्विक बोली के तीन दौरों के ज़रिए कोल बेड मीथेन के लिए 26 ब्लॉकों की बोली लगाई थी। इनका कुल क्षेत्र 13,600 वर्ग किलोमीटर है और इसमें 1374 अरब घनमीटर गैस भंडार होने की संभावना है। वर्ष 2007 में रानीगंज कोयला क्षेत्र के एक ब्लॉक में वाणिज्यिक उत्पादन आरंभ कर दिया गया था और दो केंद्रों में भी उत्पादन जल्द ही आरंभ हो जाएगा। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत हाइड्रोकार्बन महानिदेशक (डीजीएच) कोल बेड मिथेन संबंधी गतिविधियों के लिए विनियामक की भूमिका निभाता है। डीजीएच ने सीबीएम-4 के तहत 10 नये ब्लॉकों की पेशकश की है।

[[भारत कोकिंग कोल लिमिटेड]] में भूमिगत बोरहोल के ज़रिए यूएनडीपी#ग्लोबल एन्वायरमेंटल फेसिलिटी के साथ मिलकर भारत  कोकिंग कोल लिमिटेड में भूमिगत बोरहालों के माध्यम सीएमएम की एक  प्रदर्शनात्मक परियोजनाको लागू किया गया है। इस परियोजना में कोल बेड मीथेनको एक ऊर्ध्वाधर बोर के ज़रिए प्राप्त किया गया है जहां 500 कि.वा.. बिजली पैदा होती है और उसे बीसीसीएलको आपूर्ति की जाती है।

हाल ही में संयुक्त राज्य पर्यावरण संरक्षण अभिकरण के सहयोग से सीएमपीडीआईएल, रांची में सीबीएमसीएमएम निपटारा केन्द्र स्थापित किया गया है जो भारत में कोल बेड मीथेनकोल माइन मीथेन  के विकास के लिए आवश्यक जानकारियां उपलब्ध कराएगा ।

===भूमिगत कोयला गैसीकरण (यूसीजी)===

भूमिगत कोयला गैसीकरण अप्रयुक्त कोयलेको दहनशील गैस में बदलने की प्रक्रिया है । यह गैस उद्योगों, विद्युत उत्पादन तथा हाइड्रोजन सिंथेटिक प्राकृतिक गैस एवं डीजल ईंधन के निर्माण में इस्तेमाल की जा सकती है । भूमिगत गैसीकरण में उन कोयला भंडारों का दोहन करने की क्षमता है जिनका निष्कर्षण आर्थिक दृष्टि से मंहगा है या जो गहराई प्रतिकूल भूगर्भीय स्थिति सुरक्षा की दृष्टि से निष्कर्षण के लायक नहीं है ।

भूमिगत कोयला गैसीकरण की महत्ता तथा योजना आयोग की समेकित ऊर्जा  समिति एवं कोयला क्षेत्र में सुधार के लिए रोडमेप पर टीएल शंकर समिति की सिफारिशोंको ध्यान में रखते हुए सरकार ने कोयला गैसीकरण अधिसूचना जारी की है जिसमें खनन नीति के तहत भू एवं भूमिगत गैसीकरणको भी शामिल किया गया है ।

कोल इंडिया लिमिटेड ने अपनी साझीदार कंपनियों के साथ मिलकर सीसीएल कमांड एरिया में रामगढ कोलफील्ड के कैथा ब्लाक तथा पश्चिमी कोल फील्ड लिमिटेड कमांड एरिया में पेंच कोलफील्ड के थेसगोड़ा ब्लाक में यूसीजी के विकास के लिये दो स्थल चिन्हित किए हैं । साझीदार कंपनियों के चयन के संबंध में शीघ्र ही आशय पत्र जारी किए जाएंगे ।

इसके अतिरिक्त 5 लिंग्नाइट और 2 कोयला खंड भी यूसीजी के विकास के वास्ते भावी उद्यमियोंको दिये जाने के लिए चिन्हित किए गए हैं ।

कोयला के लिए एस एंड टी कार्यक्रम के तहत सरकार ने राजस्थान के लिए एक यूसीजी परियोजना मंजूर की है जिसका क्रियान्वयन एनएलसी करेगा । एनएलसी ने इस परियोजना के लिए अभी सलाहकार अंतिम रूप से तय नहीं किए हैं।

===कोयला द्रवीकरण===
ऊर्जा सुरक्षा के दृष्टिकोण से देश में कोयला द्रवीकरणको बढावा देने के लिए नीतिगत निर्णय लिया गया है । गजट अधिसूचना जारी की गई है जिसमें कैप्टिव कोयलालिग्नाइट ब्लाकों के उन उद्यमियोंको  कोयला द्रवीकरण के बारे में जानकारी दी गई है जिन्हें इसे आबंटित किया जाना है । कोयला मंत्रालय के अंतर- मंत्रालीय समूह की सिफारिशों के आधार पर कोयला मंत्रालय ने तलचर कोल फील्ड के दो कोयला ब्लाकों क्रमश: मैसर्स स्ट्रैटेजिक इनर्जी टेक्नोलोजी सिस्टम लिमिटेड (एसईटीएल) तथा मैसर्स जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल)को आवंटित किए हैं । मैसर्स एसईटीएलको उत्तरी अर्खा

पाल श्रीरामपुर खंड तथा मैसर्स जेएसपीएलको रामचांदी खंड आवंटित किए गए हैं । हर परियोजना की प्रस्तावित उत्पादन क्षमता 80000 बैरल तेल प्रतिदिन है । प्रस्तावित तेल उत्पादन सात वषों में शुरू हो जाएगा ।

== इन्हें भी देखें ==
* [[कोयला खनन]]

==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.merikhabar.com/News/दिलचस्प_है_भारत_में_कोयला_खनन_का_इतिहास_N2987.html दिलचस्प है भारत में कोयला खनन का इतिहास]


[[चित्र:Coal anthracite.jpg|thumb|right|250px|कोइला]]
'''कोयला''' एक ठोस कार्बनिक पदार्थ हो जसलाई ईंन्धनको रूपमा प्रयोगमा ल्याइन्छ । [[ऊर्जा]]को प्रमुख स्त्रोतको रुपमा कोइला अत्यंत महत्वपूर्ण हो । कुल प्रयुक्त ऊर्जाको ३५% देखि ४०% भाग कोइलाहरु देखि पाप्त हुन्छ । विभिन्न प्रकारको कोइलाहरुमा कार्बनको मात्रा अलग-अलग हुन्छ । कोइलाहरु देखि अन्य बल्ने तथा उपयोगी पदार्थ पनि प्राप्त गरिन्छ । ऊर्जाको अन्य स्रोतहरुमा [[पेट्रोलियम]] तथा उनको उत्पादनको नाम सर्वोपरि छ ।

== परिचय ==
कोयला ओर कोयल दुवै संस्कृतको कोकिल शब्द ले निस्किएका छं। साधारणतया काठको अंगारहरुलाई बुझाने देखि बच रहे जले भएका अंशको कोइला भनिन्छ। उन खनिज पदार्थको पनि कोइला भन्छन् जुन संसारको अनेक स्थलहरुमा खानों देखि निकालइन्छ। पहिले प्रकारको कोइलाहरुको [[काठको कोइला]] या [[काठ कोइला]], र दोस्रो प्रकारको कोइलाहरुको पत्थरको कोइला या केवल कोइला, भन्छन्। एक तेश्रो प्रकारको पनि कोइला हुन्छ जुन हड्डिहरु लाई जलाने देखि प्राप्त हुन्छ। यसलाई [[हड्डीको कोइला]] या [[अस्थि कोइला]] भन्छन्।

तीनों प्रकारको कोइलाहरु महत्वको हो र अनेक घरेलू कामों, रासायनिक क्रियाहरु र उद्योगधंधहरुमा प्रयुक्त हुन्छन्। कोइलाहरुको विशेष उपयोग ईधंनको रूपमा हुन्छ। कोइलाहरुको बल्न देखि धुवाँ कम या बिल्कुल हैन होता। कोइलाहरुको आँच छिटो र लौ साफ हुन्छ तथा कालिख या कजली धेरै कम बन्छ। कोइलाहरुमा गंधक धेरै कम हुन्छ र त्यो आगो चाडै पकड लिन्छ। कोइलाहरुमा राख कम हुन्छ र उनको परिवहन सरल हुन्छ। ईधंनको अतिरिक्त कोइलाहरुको उपयोग रबरको सामानों, विशेषत: टायर, ट्यूब र जूतेको निर्माणमा तथा पेंट र एनैमल पालिश, ग्रामोफोन र फोनोग्राफको रेकार्ड, कारबन, कागज, टाइपराइटरको रिबन, छाला, जिल्द बाँधनेको दफ्ती, मुद्रणको स्याही र पेंसिलको निर्माणमा हुन्छ। कोइलाहरु देखि अनेक रसायनक पनि प्राप्त या तैयार हुन्छन्। कोइलाहरु देखि कोइला ग्याँस पनि तैयार हुन्छ, जुन प्रकाश र उष्मा प्राप्त गर्नमा आजकल व्यापक रूप ले प्रयुक्त हुन्छ।

कोयलेको एक विशेषता रंगहरु र ग्याँसहरुको अवशोषण छ, जसबाट यसको उपयोग अनेक पदार्थहरु, जस्तै मदिरा, तेलों, रसायनकों, युद्ध र अश्रुग्याँसहरु आदिको परिष्कारको लागि तथा अवांछित ग्याँसहरुको प्रभाव लाई कम या टाढा गर्नको लागि मुखौटों (mask)मा हुन्छ। यस कामको लागि एक विशेष प्रकारको सक्रियकृत कोइला तैयार हुन्छ जसको अवशोषण क्षमता धेरै अधिक हुन्छ। कोइला [[बारूद]]को पनि एक आवश्यक अवयव छ। 

== कोइला पत्थर (Coal) र कोइला क्षेत्र (Coal-field) ==
आधुनिक युगमा उद्योगहरु तथा यातायातको विकासको लागि पत्थरको कोइला परमावश्यक पदार्थ हो। फलाम तथा इस्पात उद्योगमा यस्तो उत्तम कोइलाहरुको आवश्यकता हुन्छ जसबाट कोक बनाया जा सके। भारतमा साधारण कोइलाहरुको भंडार त प्रचुर मात्रामा प्राप्त छन्, तर कोक उत्पादनको लागि उत्तम श्रेणीको कोइला अपेक्षाकृत सीमित छ।

भारतमा कोइला मुख्यत: दुइ विभिन्न युगोंको स्तरसमूहहरुमा भेटिन्छ : पहिलो [[गोंडवाना युग]] (Gondwana Period)मा तथा दोस्रो [[तृतीय कल्प]] (Tertiary Age) में। यिनीहरुमा गोंडवाना कोइला उच्च श्रेणीको हुन्छ। यसमा राखको मात्रा अल्प तथा तापोत्पादक शक्ति अधिक हुन्छ। तृतीय कल्पको कोइला घटिया श्रेणीको हुन्छ। यसमा गंधकको प्रचुरता भएको कारण यो कतिपय उद्योगहरुमा प्रयुक्त गर्न सकिन्न।

गोंडवाना युगको प्रमुख क्षेत्र [[झरिया]] (झरखंड]] तथा [[रानीगंज]] (बंगाल)मा स्थित छ। अन्य प्रमुख क्षेत्रहरुमा बोकारो, गिरिडीह, करनपुरा, पेंचघाटी, उमरिया, सोहागपुर, सिगरेनी, कोठा गुदेम आदि उल्लेखनीय छन्। भारतमा उत्पादित संपूर्णै कोइलाहरुको ७० प्रतिशत केवल झरिया र रानीगंज देखि प्राप्त हुन्छ। तृतीय कल्पको कोयले, लिग्नाइट र ऐंथ्रासाइट आदिको निक्षेप असम, कशमीर, राजस्थान, मद्रास र कच्छ राज्यहरुमा छ।

मुख्य गोंडवाना विरक्षा (Exposures) तथा अन्य सम्बन्धित कोइला निक्षेप प्रायद्वीपीय भारतमा दामोदर, सोन, महानदी, गोदावरी र उनको सहायक नदिहरुको घाटिहरुको अनुप्रस्थ एक रेखाबद्ध क्रम (linear fashion)मा वितरित छन्।

== कोइलाहरुको उत्पत्ति ==
वर्षहरु पूर्व वनस्पतिहरुको भूमिको तल दबनेको कारण कालांतरमा यो कोइला बना । लगभग 30 करोड वर्ष पूर्व पृथ्वी घने जंगल, कच्छ क्षेत्रहरु (marshlands) र जलधाराहरु देखि तर थियो । वनस्पति समूहहरुको जलमा गिरकर मृत्यु भयो जुन त्यस पछि माटोको बोझको तल दबते गए । भूगर्भमा उच्च ताप एवं दबावको कारण यो जीवावशेष कोइलाहरुमा परिवर्तित होते गए ।
== संरचना ==
कोयलेमा मुख्यतः [[कार्बन]] तथा उनको यौगिक रहछन । कार्बन तथा [[हाइड्रोजन]]को अतिरिक्त [[नाईट्रोजन]], [[औक्सीजन]] तथा [[गंधक]] (Sulphur) पनि रहछन । यसको अतिरिक्त [[फस्फोरस]] तथा केहि अकार्बनिक द्रव्य पनि पाइन्छ ।

== कोइलाहरुको प्रकार ==
नमी रहित कार्बनको मात्राको आधारमा कोइलाहरुको निम्नलिखित चार प्रकारोमा बांटा गएको छं -
* एन्थ्रेसाइट (94-98%)
* बिटूमिनस (78-86%)
* लिग्नाइट (28-30%)
* पीट (27%)
== भंजक आसवन ==
हवाको गैरमौजूदगीमा 1000-1400 डिग्री सेल्सियसमा गर्म गरे पछि [[कोलतार]], [[कोल ग्याँस]], [[अमोनिया]] तथा [[कोल ग्याँस]] प्राप्त हुन्छ । यस प्रक्रियाको कोइलाहरुको [[भंजक आसवन]] भन्छन् ।

== कोइलाहरुको स्रोत ==
खानों देखि निकाले जाने वाला यो शक्तिप्रदायक खनिज मुख्यतः - [[चीन]], [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] (USA), [[ग्रेट ब्रिटेन]], [[जर्मनी]], [[पोलैंड]], [[औस्ट्रेलिया]] तथा [[भारत]]मा पाइन्छ । भारतमा यो मुख्यतः [[झारखंड]], [[मध्यप्रदेश]], [[उडीसा]], [[पश्चिम बंगाल]] एवं [[आंध्र प्रदेश]]मा पाइन्छ । जनवरी 2000मा गरियो आकलनको अनुसार भारतको खानहरुमा कुल 211.5 अरब टन कोइलाहरुको भंडार छ ।

==स्वच्छ कोइला प्राविधिक==
कोयला एक जीवाश्म ईंन्धन हो जुन मुख्य रूप ले कार्बनहरु तथा हाइड्रोकार्बनहरु देखि बना छ। बिजुली उद्योगमा यसको ठूलो मात्रामा उपयोग गरिन्छ। यसलाई जलाकर वाष्प बनाइन्छ जुन टर्बाइनहरु लाई घुमाकर बिजुली तैयार गर्छ। जब यसलाई जलाइन्छ त यसले उत्सर्जन हुन्छ जुन प्रदूषण र वैश्विक तापनको बढाउँछ। [[भारत]] सहित धेरै देशहरुमा बिजुलीको उत्पादन मुख्य रूप ले कोइलाहरुमा निर्भर छ यसैले सरकार स्वच्छ कोइला प्राविधिकमा जोर दिदैछ। यस प्राविधिकको माध्यम ले कोइलाहरुको स्वच्छ बनाएर र उनको उत्सर्जनको नियंत्रित गरेर पर्यावरणमा पडने वाला कुप्रभावहरुको कम गरिन सक्छ।

स्वच्छ कोइला प्रौद्यांगिकीमा कोइलाहरुको धुलाई, कोल बेड मीथेन/कोल माइन मीथेन निष्कर्षण, भूमिगत कोइलाहरुको ग्याँस उपचारित गर्न एवं कोइलाहरुको द्रवीकरण गर्न आदि शामिल छ।

=== कोइला प्रक्षालन===
पर्यावरण एवं वन मंत्रालयको दिशानिर्देंशोंको अनुसार 34 प्रतिशत भन्दा अधिक राख वाला कोइलाहरुको उपयोग उन थर्मल पावर स्टेशनहरुमा मना गरिएको छ जुन लदान केन्द्रों भन्दा टाढा तथा अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रहरुमा छन्। यस्तोमा प्रक्षालित कोइलाहरुको प्रयोगएरना महत्वपूर्ण भएको छ। यसले यस्तो पावर स्टेशनहरुको संचालन संग सम्बन्धित खर्चमा पनि कमी आउँछ। धुले कोइलाहरुको आपूर्ति 10औं पंचवर्षीय योजनाको आरंभमा 170 लाख टन थियो जुन यस योजनाको अन्तमा बढएर 550 लाख टन भयो। 11औं पंचवर्षीय योजनाको अन्त सम्म यसको 2500 लाख टन भएको संभावना छ।

थर्मल पावर स्टेशनहरुको लागि कोइला धुलाई केंद्रहरुको मौजूदा क्षमता 1080 लाख टन छ जसलाई यस अवधिमा बढाएर 2500 लाख टन गर्ने कोशिशको जा रही छ। यसमा भन्दा अधिकतर निजी क्षेत्र ले सम्बन्धित छन्। यसको वाहेक कोल इंडिया लिमिटेड कम्पनी ले पनि आफ्नो खदानों देखि धुले कोइलाहरुको आपूर्ति गर्ने फैसला गरेको छ। यसको लागि त्यो 20 कोइला धुलाई केंद्रहरुको निर्माण करेगी जसको क्षमता 1110 लाख टन हुनेछ। 11औं पंचवर्षीय योजनाको अन्त सम्म यिनी केंद्रहरुको शुरू भएको संभावना छ।

===सीबीएम तथा सीएमएम===
जो [[मिथेन]] ग्याँस कोइलाहरुको अनर्छुई परतों देखि निकाली जान्छ उसलाई कोल बेड मीथेन (सीबीएम) भन्छन् र जुन चालू खदानों देखि निकाली जान्छ उसलाई कोल माइन मीथेन (सीएमएम) भन्छन्। कोल बेड मीथेन#कोल माइन मीथेनको विकासको भारत सरकार ले 1997मा एक नीतिको जरिए बढावा दिए थियो। यस नीतिको अनुसार कोइला मंत्रालय तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक ग्याँस मंत्रालय दुवै मिलेरकार्य गर्दै छन्। सरकार ले वैश्विक बोलीको तीन दौरोंको जरिए कोल बेड मीथेनको लागि 26 ब्लकोंको बोली लगाए थियो। यिनीहरुका कुल क्षेत्र 13,600 वर्ग किलोमीटर छ र यसमा 1374 अरब घनमीटर ग्याँस भंडार भएको संभावना छ। वर्ष 2007मा रानीगंज कोइला क्षेत्रको एक ब्लकमा वाणिज्यिक उत्पादन आरंभ गर्‍यो गएको थियो बढी दुइ केंद्रहरुमा पनि उत्पादन चाँडै नै आरंभ हुनेछ। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक ग्याँस मंत्रालयको तहत हाइड्रोकार्बन महानिदेशक (डीजीएच) कोल बेड मिथेन सम्बन्धी गतिविधिहरुको लागि विनियामकको भूमिका निभाइन्छ। डीजीएच ले सीबीएम-4को तहत 10 नयाँ ब्लकोंको पेशकशको छ।

[[भारत कोकिंग कोल लिमिटेड]]मा भूमिगत बोरहोलको जरिए यूएनडीपी#ग्लोबल एन्वायरमेंटल फेसिलिटी संग मिलेरभारत कोकिंग कोल लिमिटेडमा भूमिगत बोरहालोंको माध्यम सीएमएमको एक प्रदर्शनात्मक परियोजनाको लागू गरिएको छ। यस परियोजनामा कोल बेड मीथेनको एक ऊर्ध्वाधर बोरको जरिए प्राप्त गरिएको छ जहां 500 कि.वा.. बिजुली पैदा हुन्छ र उसलाई बीसीसीएलको आपूर्ति गरिन्छ।

हाल नैमा संयुक्त राज्य पर्यावरण संरक्षण अभिकरणको सहयोग देखि सीएमपीडीआईएल, रांचीमा सीबीएमसीएमएम निपटारा केन्द्र स्थापित गरिएको छ जुन भारतमा कोल बेड मीथेनकोल माइन मीथेनको विकासको लागि आवश्यक जानकारिहरु उपलब्ध कराएगा ।

===भूमिगत कोइला गैसीकरण (यूसीजी)===

भूमिगत कोइला गैसीकरण अप्रयुक्त कोइलाहरुको बल्ने ग्याँसमा बदलन प्रक्रिया हो । यो ग्याँस उद्योगहरु, विद्युत उत्पादन तथा हाइड्रोजन सिंथेटिक प्राकृतिक ग्याँस एवं डीजल ईंन्धनको निर्माणमा प्रयोग गर्न सकिन्छ । भूमिगत गैसीकरणमा उन कोइला भंडारहरुको दोहन गर्ने क्षमता हो जसको निष्कर्षण आर्थिक दृष्टि ले मंहगा छ या जुन गहिराई प्रतिकूल भूगर्भीय स्थिति सुरक्षाको दृष्टि ले निष्कर्षणको लायक छैन ।

भूमिगत कोइला गैसीकरणको महत्ता तथा योजना आयोगको समेकित ऊर्जा समिति एवं कोइला क्षेत्रमा सुधारको लागि रोडमेपमा टीएल शंकर समितिको सिफारिशहरु लाई ध्यानमा राखदै सरकार ले कोइला गैसीकरण अधिसूचना जारीको छ जसमा खनन नीतिको तहत भू एवं भूमिगत गैसीकरणको पनि शामिल गरिएको छ ।

कोल इंडिया लिमिटेड ले आफ्नो साझीदार कम्पनीहरु संग मिलेरसीसीएल कमांड एरियामा रामगढ कोलफील्डको कैथा ब्लक तथा पश्चिमी कोल फील्ड लिमिटेड कमांड एरियामा पेंच कोलफील्डको थेसगोडा ब्लकमा यूसीजीको विकासको लागि दुइ स्थल चिन्हित गरे हो । साझीदार कम्पनीहरुको चयनको सम्बन्धमा शीघ्र नै आशय पत्र जारी गरिनेछ ।

यसको अतिरिक्त 5 लिंग्नाइट र 2 कोइला खंड पनि यूसीजीको विकासको वास्ते भावी उद्यमिहरु लाई दिये जानेको लागि चिन्हित गरियो हो ।

कोयलाको लागि एस एन्ड टी कार्यक्रमको तहत सरकार ले राजस्थानको लागि एक यूसीजी परियोजना मंजूरको छ जसको क्रियान्वयन एनएलसी गर्नेछ । एनएलसी ले यस परियोजनाको लागि अझै सलाहकार अन्तिम रूप ले तय हैन गरे छन्।

===कोयला द्रवीकरण===
ऊर्जा सुरक्षाको दृष्टिकोण देखि देशमा कोइला द्रवीकरणको बढावा दिनको लागि नीतिगत निर्णय लिया गएको छ । गजट अधिसूचना जारीको गई छ जसमा कैप्टिव कोयलालिग्नाइट ब्लकहरुको उन उद्यमिहरु लाई कोइला द्रवीकरणको बारेमा जानकारी दिइएको छ जसलाई यसलाई आबंटित हुन छ । कोइला मंत्रालयको अंतर- मंत्रालीय समूहको सिफारिशहरुको आधारमा कोइला मंत्रालय ले तलचर कोल फील्डको दुइ कोइला ब्लकहरु क्रमश: मैसर्स स्ट्रैटेजिक इनर्जी टेक्नोलोजी सिस्टम लिमिटेड (एसईटीएल) तथा मैसर्स जिंदल स्टील एन्ड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल)को आवंटित गरे हो । मैसर्स एसईटीएलको उत्तरी अर्खा

पाल श्रीरामपुर खंड तथा मैसर्स जेएसपीएलको रामचांदी खंड आवंटित गरियो हो । हरेक परियोजनाको प्रस्तावित उत्पादन क्षमता 80000 बैरल तेल प्रतिदिन छ । प्रस्तावित तेल उत्पादन सात वषहरुमा शुरू हुनेछ ।

== यिनलाई पनि हेर्नुहोस ==
* [[कोइला खनन]]

==बाहिरी कडिहरु==
*[http://www.merikhabar.com/News/दिलचस्प_है_भारत_में_कोयला_खनन_का_इतिहास_N2987.html रमाइलो छ भारतमा कोइला खननको इतिहास]

"कोइला" पृष्ठमा फर्कनुहोस्।